हिंदी साहित्य की दुनिया अनमोल रत्नों से भरी पड़ी है। आपको यहां एक से बढ़कर एक साहित्यकार की रचनाएं देखने को मिल सकती है जिनमें न केवल कहानियां होती हैं, बल्कि समाज की आत्मा को छू लेने वाली भावनाओं का भी अनोखा विस्तार देखने को मिल सकता है। भारत के हिन्दी साहित्यकारों ने अपने उपन्यास के जरिए वर्षों से पाठकों के दिलों को छुआ है, जिनके माध्यम से कभी हंसाया गया है तो कभी रुलाया गया है और कभी-कभी तो आत्म-चिंतन करने को भी मजबूर कर दिया है। आज कुछ बेहतरीन Hindi Novels को लेकर आएं हैं जो आपके मनोरंजन के साथ-साथ चिंतन का विषय भी बन सकता है और आपके हाउस ऑफ बुक्स में शामिल होकर आपके पढ़ने की ललक को बढ़ा सकता है।
क्या आज भी हिन्दी उपन्यास प्रचलन में है?
जैसे-जैसे वक्त बदलता है वैसे-वैसे बदलती है लोगों की आदतें। पहले हाथ में लेकर किताबें पढ़ी जाती थी तो अब मोबाइल वाले जमाने में लोग स्क्रीन और वीडियो की मदद से पढ़ने की आदत डाल रहें हैं। ऐसे में यह सवाल तो जायज है कि आज के इस डिजिटल जमाने में भी क्या उपन्यास प्रचलन में है और लोग इसे पढ़ना पसंद कर रहे हैं? तो इसका जबाव हो सकता है हां। भले ही दुनिया काफी आधुनिक हो गई हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग भावनाओं से दूर हो गए हैं। पढ़ने वाले लोगों की आज भी कमी नहीं है, हां आज थोड़ा स्टाइल जरूर बदल गया है जिसके चलते अब हिंदी उपन्यास अब ऑनलाइन साइट पर भी मिल सकते हैं और इन्हें ऑडियोबुक्स और पॉडकास्ट्स के माध्यम से नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है। हिन्दी साहित्य में समाज की छवि दिखाई पड़ती है जो लोगों को सच्चाई से अवगत करवा सकते हैं। साथ ही, ये रचनाएं केवल मनोरंजन नहीं देती है बल्कि आज के रिश्तों की सच्चाई और संघर्ष के सवालों को भी उजागर कर सकती है, जिससे लोग आज भी जुड़ना पसंद करते हैं। सच बात यह है कि नोबल कहीं नहीं गए हैं बस इनका रूप बदल गया है लेकिन लोग इसे आज भी पढ़ रहे हैं।
Top Five Products
Godaan (Hindi)
गोदान को मुंशी प्रेमचंद्र जी की सारी रचनाओं में से खास रचना माना गया है, क्योंकि यह सबसे अंतिम और प्रसिद्ध रचना रही है। इसमें आपको सामाजिक असमानतों से लेकर ग्रामीण जीवन का परिचय देखने को मिलेगा। लेखक ने इसमें भारतीय समाज की सामाजिक, आर्थिक और नैतिक समस्याओं को प्रस्तुत करने की कोशिश की है। इस नोबल में आपको एक किसान की दुर्दशा को महसूस करने का मौका मिलेगा कि कैसे उच्च वर्ग के लोगों ने उस समय उनका शोषण किया और साथ ही, सामाजिक दबाव बनाने के साथ-साथ महिलाओं के साथ किया गया अत्याचार को इस उपन्यास में शब्दों के माध्यम से दिखाया गया है। गोदान सिर्फ एक सामान्य कहानी वाला उपन्यास नहीं है बल्कि यह ग्रामीण समाज का दर्पण माना जाता है, जिसे मुंशी प्रेमचंद्र ने काफी सजीवता के साथ लिखा है।
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Maila Aanchal :A Timeless Hindi Classic
प्रतिष्ठित उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु की यह प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक है जिसमें इन्होंने बिहार के छोटे से गांव के दुखों को उजागर करने का प्रयास किया है। मैला आंचल नामक यह उपन्यास 1954 में लिखी गई थी जिसमें आजादी के बाद के भारत की स्थिति को दर्शाया गया है। इस उपन्यास में उस दौर के ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन से लेकर कुरीतियों तक का उल्लेख है, जिससे किस तरह लोग शोषण का शिकार हुए थे यह भी बताया गया है। इस उपन्यास में आपको बिहार की भाषा और बोलियों को जानने का मौका मिलेगा और साथ ही किस तरह से उस समय जो स्त्रियों पर अत्याचार और राजनीतिक भ्रष्टाचार होते थे यह सबको फणीश्वर नाथ रेणु ने अपने शब्दों के माध्यम से बताया है। इनके अलावा आपको इस Book In Hindi में जाति व्यवस्था और सामाजिक विभाजन के मुद्दे भी देखने को मिल सकते हैं।
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Gunahon Ka Devta
गुनाहों का देवता हिन्दी साहित्य का एक अत्यंत लोकप्रिय और भावनात्मक उपन्यास है जिसे डॉ. धर्मवीर भारती ने लिखा है। इस उपन्यास के जरिए लेखक ने प्रेम की गहराई के साथ भारतीय समाज की रूढ़ियों को दर्शाने की कोशिश की है। यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है बल्कि इसमें भारतीय समाज के उस दौर की सामाजिक स्थिति को लिखा गया है जिसमें समाज की नीतियों का पालन करते हुए व्यक्ति अपने निजी सुखों का बलि दे देता था। यह उपन्यास आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसकी भाषा काफी सरल और साधारण है, जो पाठकों को पढ़ने में आसानी देती है। साथ ही, यह उपन्यास आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि क्या प्रेम को समाज की दीवारों में कैद किया जाना चाहिए?
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Chitralekha
पाप, पुण्य, भोग और मनुष्य जीवन के दार्शनिक सवालों को दर्शाता हुआ यह चित्रलेखा उपन्यास भगवतीचरण वर्मा जी के द्वारा लिखा हुआ है। इसमें लेखक ने प्रेम कथा को तो दिखाया ही है, साथ ही यह भी बताने की कोशिश की है कि पाप-पुण्य की परिभाषा समाज के द्वारा तय नहीं किया जाता है । यह Hindi Book मानव जीवन के मूलभूत सवालों पर विचार करने वाला एक दार्शनिक ग्रंथ है जो आपको आत्म-चिंतन करने पर मजबूर कर सकता है। इस उपन्यास की खासियत यह है कि यह मौर्यकाल के समय का है जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य जैसे पात्रों का वर्णन किया गया है ।
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Chandrakanta (Hindi)
देवकीनंदन खत्री के द्वारा लिखा गया यह चंद्रकांता उपन्यास हिन्दी भाषा का पहला लोकप्रिय उपन्यास माना जाता है, जिसमें साहित्यकार ने राजकुमारी चंद्रकांता की प्रेम कहानी को अपने शब्दों में लिखा है। यह अभी भी पाठकों को हिन्दी पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। यह उपन्यास आपको रोमांचकारी अनुभव दे सकता है क्योंकि यह ना केवल एक साधारण प्रेम कहानी है बल्कि रहस्य, राजनीति, तिलिस्म, कल्पना से भरपूर एक मनोरंजन कथा है। इस उपन्यास की भाषा उस समय में बोली जाने वाली हिन्दी भाषा पर आधारित है जिसमें उर्दू भी मिक्स है, जो आज के पाठकों पुरानी और रोचक लग सकती है। यदि आप भी एक मजेदार Novel In Hindi की तलाश में है तो यह आपके लिए एक बढ़िया विकल्प साबित हो सकती है।
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आज की युवा पीढ़ी के लिए हिन्दी उपन्यास पढ़ना कितना जरूरी है?
आज के दौर में जब मोबाइल और खासकर सोशल मीडिया ने लोगों की सोच और समय दोनों पर ही अपना कब्जा कर लिया है, तो इस वक्त उपन्यास पढ़ना एक बिछड़ी हुई आदत-सी महसूस हो सकती है। लेकिन क्या सच में आज की युवा पीढ़ी के लिए हिन्दी उपन्यासों से जुड़ना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है? तो आपको बता दें कि जो हमारी Novels है उसमें भारतीय साहित्यकारों ने ना केवल कहानियां लिखी है बल्कि हमारे समाज, हमारी संस्कृति और सभ्यता और भावनाओं को बढ़िया तरीका से पिरोया है। प्रेमचंद के गोदान से लेकर भगवतीचरण वर्मा के चित्रलेखा तक, हर उपन्यास अपने समय की तस्वीर को शब्दों के रूप में सजाए हुए हैं और साथ ही यह पाठकों को सोचने पर मजबूर कर सकता है। जब आज की युवा पीढ़ी इन कहानियों से जुड़ेगी तो वो ना सिर्फ भारतीय समाज की जड़ों को पहचानेगी बल्कि हमारी हिन्दी भाषा की सुंदरता को भी समझेगी। जितना ये युवा पीढ़ी अपने करियर और जीवन को लेकर जागरूक हैं उतना ही उनको अपने संस्कारों को लेकर भी होना चाहिए। इसलिए आज इस भागदौड़ वाली ज़िंदगी में थोड़ा ठहर कर हिन्दी उपन्यासों की दुनिया में खो जाना अपने अस्तित्व को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश हो सकती है।
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