हम अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद स्नान क्यों करते हैं? आखिर क्यों इस प्रथा को जरूरी माना जाता है? क्या अंतिम संस्कार के बाद स्नान करने से मृतक के शरीर को मुक्ति मिल सकती है? ऐसे न जाने कितने सवाल हमारे मन में आते रहते हैं।
अगर हम विज्ञान की मानें तो मृतक के शरीर में कई तरह के संक्रमण फैलने की आशंका रहती है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि अंतिम संस्कार के बाद घर आने पर स्नान करना चाहिए जिससे शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण न हो।
वहीं ज्योतिष में भी ऐसी कई बातें बताई जाती हैं जिसकी वजह से स्नान करना जरूरी माना जाता है। ज्योतिष सहित कई संस्कृतियों में, अंतिम संस्कार के बाद स्नान करना वहां उपस्थित सभी व्यक्तियों के लिए अनिवार्य माना जाता है।
यह परंपरा ज्योतिषीय सिद्धांतों और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें कि आखिर क्यों ऐसा जरूरी होता है कि किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद स्नान क्यों करना चाहिए।
ज्योतिष में अंतिम संस्कार क्यों है जरूरी
ऐसा माना जाता है कि विशिष्ट ग्रहों की स्थिति अंतिम संस्कार के दौरान प्रचलित ऊर्जाओं को प्रभावित करती है। ऐसी मान्यता है कि अंतिम संस्कार से मृत शरीर को मुक्ति मिलती है और मोक्ष मिलता है।
यह व्यक्ति के जीवन का सबसे आखिरी संस्कार माना जाता है और इसके बाद शरीर को मुक्ति मिलती है और आत्मा दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। ज्योतिष के अनुसार अंत्येष्टि के कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और इनका पालन मृतक के परिवारीजनों के लिए जरूरी माना जाता है। इन्हीं नियमों में से एक है अंतिम संस्कार के बाद स्नान करने का नियम।
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आखिर क्यों जरूरी होता है अंतिम संस्कार के बाद स्नान करना
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से पता चलता है कि अंत्येष्टि में शामिल होने वाले व्यक्ति मृत्यु और शोक से जुड़ी इन अनोखी ऊर्जाओं को अवशोषित कर सकते हैं। ज्योतिष की मानें तो किसी की मृत्यु के समय ग्रहों की स्थिति को महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दौरान उत्पन्न कंपन वातावरण में बना रहता है।
अंतिम संस्कार के बाद स्नान इसलिए जरूरी माना जाता है क्योंकि इसे शुद्धिकरण का एक माध्यम माना जाता है और आध्यात्मिक प्रथाओं में पानी का अत्यधिक प्रतीकात्मक महत्व है। पानी अक्सर शुद्धता, सफाई और नवीनीकरण से जुड़ा होता है। अंतिम संस्कार के बाद स्नान इस विश्वास पर आधारित है कि पानी में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की अशुद्धियों को धोने की शक्ति होती है।
पानी नकारात्मक शक्तियों को अवशोषित कर सकता है
ज्योतिष में जल सहित प्रत्येक तत्व विशिष्ट गुणों और ऊर्जाओं से जुड़े होते हैं। पानी को नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करने और इसे दूर ले जाने की क्षमता के लिए पूजनीय माना जाता है। अंतिम संस्कार के बाद के स्नान को शुद्धि के एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देखा जाता है जो मृत्यु से जुड़ी भारी और दुखद ऊर्जाओं से स्वयं को शुद्ध करने का एक साधन माना जाता है।
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विज्ञान के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद स्नान क्यों जरूरी है
विज्ञान की दृष्टि से अंतिम संस्कार के बाद स्नान का महत्व व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ जुड़ा हुआ है। यह प्रथा, विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में भी है और व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर शुद्धि प्रदान करने का भी एक तरीका है।
यदि हम विज्ञान की मानें तो मृतक के शरीर के कई कीटाणु दूसरों के शरीर में प्रवेश ना करें इसलिए स्नान करना जरूरी माना जाता है। स्नान मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए जरूरी है और इससे मानसिक स्थिति को स्थिर करने और तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है। विभिन्न धार्मिक सामाजिक संस्कृतियों में, स्नान को आत्मिक शुद्धि का सकारात्मक संकेत माना जाता है।
यही नहीं स्नान करने से व्यक्ति को रोगों के खिलाफ रक्षा करने में भी मदद मिलती है। स्नान में इस्तेमाल किए जाने वाले साबुन और अन्य स्नान सामग्रियां एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होती हैं जो कीटाणुओं के खिलाफ एक सुरक्षा चक्र बनाने में मदद करती हैं।
इन्हीं विशेष कारणों की वजह से किसी भी व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले सभी लोगों को उस स्थान से वापस आने के बाद स्नान करने की सलाह दी जाती है।
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