शारदीय नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से नवरात्रि आरंभ होता है और दशहरा के साथ इस उत्सव का समापन होता है। इस पर्व को माता दुर्गा की आराधना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ हो रही है और 2 अक्टूबर को दशहरा के साथ इसका समापन होगा। चारों तरफ नवरात्रि और दुर्गा पूजा की धूम है और भक्तों ने माता के आगमन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस साल माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जो बहुत शुभ माना जाता है और इससे आपके जीवन में भी बहुत से सकारात्मक बदलाव हो सकते हैं। अगर आप भी माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के आगमन की तैयारी कर रही हैं और शारदीय नवरात्रि का उपवास करती हैं तो इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, माता के विभिन्न स्वरूपों के अलग-अलग रंग और भोग के बारे में जानकारी लेनी जरूरी है। शारदीय नवरात्रि की धूम न सिर्फ भक्तों के बीच है बल्कि गूगल ट्रेंड में भी इस पर्व को लेकर भक्तों में मन में कई सवाल हैं। शारदीय नवरात्रि की पूजा से जुड़े कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए उनसे जानें इस पर्व और माता दुर्गा के 9 स्वरूपों के बारे में विस्तार से।
शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में अलग रंगों के वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का पूजन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप माता के विभिन्न स्वरूप के अनुसार ही वस्त्र धारण करती हैं और माता को भी उन्हीं रंगों के वस्त्रों से सुसज्जित करती हैं तो पूजन का पूर्ण फल मिल सकता है। आइए जानें इन शुभ रंगों के बारे में यहां-
शारदीय नवरात्रि तिथि | माता का स्वरूप | शुभ रंग |
22 सितंबर 2025, सोमवार | मां शैलपुत्री | सफेद रंग |
23 सितंबर 2025, मंगलवार | मां ब्रह्मचारिणी | लाल रंग |
24 सितंबर 2025, बुधवार | मां चंद्रघंटा | रॉयल ब्लू |
25 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार | मां चंद्रघंटा | रॉयल ब्लू |
26 सितंबर 2025, शुक्रवार | मां कूष्माण्डा | पीला रंग |
27 सितंबर 2025, शनिवार | मां स्कंदमाता | गहरा हरा |
28 सितंबर 2025, रविवार | मां कात्यायनी | स्लेटी रंग |
29 सितंबर 2025, सोमवार | मां कालरात्रि | नारंगी रंग |
30 सितंबर 2025, मंगलवार | मां महागौरी | पीकॉक ग्रीन (हरा रंग) |
01 अक्टूबर 2025, बुधवार | मां सिद्धिदात्री | गुलाबी रंग |
अगर आप नवरात्रि के नौ दिनों में माता के अलग स्वरूपों को भोग लगाती हैं तो ये जानना जरूरी है कि कौन सा भोग सबसे ज्यादा शुभ हो सकता है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप माता की पसंद के भोग उन्हें अर्पित करती हैं तो सदैव उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है।
माता का स्वरूप | क्या भोग लगाएं |
मां शैलपुत्री का भोग | नवरात्रि के पहले दिन माता को घी का भोग लगाएं |
मां ब्रह्मचारिणी का भोग | नवरात्रि के दूसरे दिन माता को चीनी का भोग लगाएं |
मां चंद्रघंटा का भोग | नवरात्रि के तीसरे दिन माता को खीर का भोग लगाएं |
मां कूष्माण्डा का भोग | नवरात्रि के चौथे दिन माता को मालपुए का भोग लगाएं। |
मां स्कंदमाता का भोग | नवरात्रि के पांचवें दिन माता को केले का भोग लगाएं। |
मां कात्यायनी का भोग | नवरात्रि के छठे दिन माता को शहद का भोग लगाएं |
मां कालरात्रि का भोग | नवरात्रि के सातवें दिन माता को गुड़ का भोग लगाएं |
मां महागौरी का भोग | नवरात्रि के आठवें दिन माता को नारियल का भोग लगाएं |
मां सिद्धिदात्री का भोग | नवरात्रि के नौवें दिन माता को सफेद तिल का भोग लगाएं |
अगर आप शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करती हैं और उनके विशेष बीज मंत्रों का जाप करती हैं तो आपके घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है। यही नहीं मंत्रों का जाप आपके आस-पास के वातावरण को भी सकरात्मक करता है। आइए आपको बताते हैं 9 दिनों के शुभ मंत्रों के बारे में -
माता का स्वरूप | माता के बीज मंत्र |
प्रथम शैलपुत्री पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: |
द्वितीय ब्रह्मचारिणी पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम |
तृतीय चंद्रघंटा पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघण्टायै नम: |
चतुर्थ कूष्माण्डा पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नम: |
पंचम स्कंदमाता पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम: |
षष्ठी कात्यायनी पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नम: |
सप्तम कालरात्रि पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम: |
अष्टम महागौरी पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नम: |
नवम सिद्धिदात्री पूजा | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम: |
शारदीय नवरात्रि का महत्व सनातन धर्म में बहुत ज्यादा है। यह पर्व विशेष रूप से माता दुर्गा की पूजा का समय होता है, जिसमें भक्त नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की आराधना विधि-विधान से करते हैं। इस पर्व के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है जिसे अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में भी इस बात का वर्णन है कि माता दुर्गा ने महिषासुर जैसे राक्षस का वध करके धर्म की रक्षा की थी। नवरात्रि के दौरान, भक्त पूरे नौ दिन उपवास करते हैं और माता से घर की समृद्धि की कामना करते हैं। इस दौरान घर में कलश की स्थापना करना और ज्वार उगाना इस बात का प्रतीक होता है कि आप माता से घर की खुशहाली की कामना कर रही हैं। इस दौरान जगह-जगह पर दुर्गा पंडाल लगाए जाते हैं और लोग इन स्थानों पर एक साथ पूजन करते हैं जो सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक भी माने जाते हैं। शारदीय नवरात्रि का पर्व जीवन में सकारात्मकता, सुख-शांति और समृद्धि लाने का एक साधन होता है। यह न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का अवसर भी है।
शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में उपवास, पूजा, कलश स्थापना और भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है, जो न केवल भक्तों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। इस पर्व के दौरान माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से घर में खुशहाली और समृद्धि का वास होता है।
Nav Durga Beej Mantra | Navratri Hawan Vidhi | Sanjhi Mata Aarti |
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