Navratri Havan Mantra: नवरात्रि में हवन करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। यह मां दुर्गा की पूजा का एक अभिन्न अंग है जिसमें अग्नि के माध्यम से देवी-देवताओं को आहुति दी जाती है। हवन का मुख्य उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। ऐसा माना जाता है कि हवन के धुंए से वायुमंडल में मौजूद नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस दौरान बोले जाने वाले मंत्रों से एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है जो मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है।
हवन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। हवन में जलाई जाने वाली सामग्री, जैसे आम की लकड़ी, देसी घी, धूप, गुग्गल, जौ और विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां, जब अग्नि के संपर्क में आती हैं तो कुछ ऐसे तत्व उत्पन्न करती हैं जो वायु को कीटाणुरहित बनाते हैं। यह क्रिया न केवल घर के वातावरण को शुद्ध करती है, बल्कि यह हमारे शरीर और मन को भी स्वस्थ रखने में सहायक होती है। इसलिए, नवरात्रि के पावन पर्व पर हवन करने से हमें आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह के लाभ मिलते हैं जिससे हमारा जीवन और अधिक पवित्र और सुखमय बनता है।
ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर नवरात्रि में हवन के दौरान कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए और क्या हैं उनसे मिलने वाले लाभ।
अग्नि देव के लिए: ॐ आग्नेय नम: स्वाहा। यह मंत्र अग्नि देव को समर्पित है। अग्नि को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसे ईश्वर और मनुष्य के बीच कड़ी माना जाता है। हवन में जो कुछ भी हम आहुति देते हैं, वह अग्नि के माध्यम से ही देवी-देवताओं तक पहुंचता है। इस मंत्र का जाप करने से अग्नि देव प्रसन्न होते हैं और हमारी आहुतियां स्वीकार करते हैं।
ज्योतिषीय रूप से, अग्नि ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। यह मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ है, जो साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास का ग्रह है। इस मंत्र का जाप करने से मंगल ग्रह मजबूत होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में साहस और शक्ति बढ़ती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने और जीवन में नई शुरुआत करने में भी मदद करता है।
नवग्रहों के लिए: ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी। यह मंत्र नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु) को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र में इन नौ ग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव माना जाता है। कुंडली में इनकी स्थिति हमारे भाग्य, स्वास्थ्य, करियर और संबंधों को प्रभावित करती है।
इस मंत्र का जाप करने से सभी नौ ग्रहों की स्थिति को संतुलित करने में मदद मिलती है। यह उन ग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करता है जो कुंडली में कमजोर या पीड़ित होते हैं और शुभ ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाता है। यह जीवन में शांति, स्थिरता और सौभाग्य लाता है।
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मां दुर्गा के लिए: ॐ श्रीं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः स्वाहा। यह मंत्र मां दुर्गा को समर्पित है, जो शक्ति, सुरक्षा और साहस की देवी हैं। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है, जिससे वह अपने जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों और बाधाओं का सामना कर पाता है।
ज्योतिषीय रूप से यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी कुंडली में कोई शत्रु ग्रह परेशानी दे रहा हो या फिर किसी तरह का डर हो। यह मंत्र मन में साहस और निडरता पैदा करता है, और व्यक्ति को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
गणेश जी के लिए: ॐ गणेशाय नम: स्वाहा। भगवान गणेश को 'विघ्नहर्ता' यानी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और हमारे मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हैं।
ज्योतिषीय रूप से, गणेश जी का संबंध बुध और केतु ग्रहों से माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से बुध ग्रह मजबूत होता है, जिससे व्यक्ति की बुद्धि, वाणी और व्यापार में सफलता मिलती है। यह केतु के नकारात्मक प्रभावों को भी कम करता है, जिससे जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिकता आती है।
कुल देवता के लिए: ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा। हर परिवार के अपने कुल देवता या देवी होते हैं, जो पीढ़ियों से परिवार की रक्षा करते आ रहे हैं। इस मंत्र का जाप करने से हम अपने कुल देवता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
यह मंत्र परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने में मदद करता है। ज्योतिषीय रूप से, कुल देवता हमारे पूर्वजों की ऊर्जा से जुड़े होते हैं। इस मंत्र का जाप करने से पितृ दोष कम होता है और परिवार में आने वाली परेशानियाँ दूर होती हैं।
संपूर्ण आहुति के लिए: ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्। यह मंत्र पूर्णाहुति के समय बोला जाता है, जो हवन के अंत में की जाती है। इस मंत्र का अर्थ है कि सब कुछ पूर्ण है, और पूर्ण से ही पूर्ण की उत्पत्ति होती है। यह मंत्र इस बात का प्रतीक है कि हमने जो भी आहुति दी है, वह पूर्ण है और ईश्वर ने उसे स्वीकार कर लिया है।
ज्योतिषीय रूप से, यह मंत्र जीवन में पूर्णता और संतोष लाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति ने अपने कर्मों को पूरा कर लिया है और अब वह ईश्वर की कृपा से संतुष्ट है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
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