Agni has seven tongues

अग्नि देव की जीभ में है इन सात देवियों का वास

हिंदू धर्म में अग्नि देव आग के देवता हैं, इन्हें सभी देवताओं के लिए यज्ञ-वस्तु भरण का माध्यम माना जाता है। वैदिक काल से इस अग्नि देव को देवों में सबसे ऊंचे देव का दर्जा दिया गया है। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-06-10, 15:08 IST

अग्निदेव को हिंदू धर्म में आग का देवता कहा गया है, पंच तत्वों में से एक, अग्नि देव में एक विशेष गुण है कि वह निष्पक्ष होकर अंगीकार करते हैं। अग्नि अंगीकार करते हुए यह नहीं देखते हैं कि वह किसकी महंगी छत को राख कर रहे हैं या झोपड़ी को। अग्नि देव को यज्ञ का प्रधान कहा गया है। ये सभी जगह प्रकाश करने वाले एवं सभी पुरुषार्थ को प्रदान करने वाले देव हैं। साथ ही सभी रत्नों को धारण करने वाले देव भी अग्नि ही हैं। बता दें कि वेदों में पहला वेद ऋग्वेद है, जिसके पहले शब्द में अग्नि ही प्राप्त होता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि दुनिया के पहले साहित्य का प्रथम शब्द अग्नि है। ऐतरेय ब्राह्मण जैसे अन्य ग्रन्थों में यह बार-बार कहा गया है कि देवताओं में सर्वप्रथम स्थान अग्नि देव का है।

कौन हैं अग्निदेव की पत्नी?

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यज्ञ और हवन के दौरान आहुति देते वक्त, स्वाहा शब्द का उच्चारण किया जाता है। बता दें कि स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं, जिनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था। पुराणों में अग्नि देव की पत्नी स्वाहा को बताया गया है। स्वाहा सभी देवताओं का मुख है और जो भी यज्ञ में आहुति दी जाती है, वह इन्हीं के द्वारा सभी देवताओं और अग्निदेव तक पहुंचती है। इसके अलावा पुराणों में अग्नि देव की पत्नी स्वाहा के तीन पुत्र हुए हैं, पावक, पवमान और शुचि। इसके अलावा भगवान कार्तिकेय को भी अग्नि देव का पुत्र माना गया है। 

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कौन हैं अग्नि के देव के सात जीभ?

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वैदिक ग्रंथों के अनुसार अग्नि देव को अग्निमय लाल रंग के स्वरूप में वर्णित किया गया है, जिनके तीन पैर, सात भुजाएं, सात जीभ, तेज सुनहरे दांत हैं। इसके अलावा अग्नि देव दो चेहरे, काली आंखें और काले बालों और घी के साथ घिरे हुए हैं। अग्नि देव के दोनों चेहरे, उनके फायदेमंद और विनाशकारी गुणों को बताता है, कि वह कितने विनाशकारी और फायदेमंद हैं। अग्नि देव की सात जीभ उनके शरीर से विकिरित प्रकाश की सात किरणों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनका नाम है काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता, धुम्रवर्णा, विश्वरुचि, स्फुलिंगिनी।

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Image Credit:  Freepik 

 

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