(why kartikeya is worshipped only in South India) देवों के देव महादेव भगवान शिव के दो पुत्र हैं। एक भगवान कार्तिकेय और एक भगवान गणेश हैं। पुराणों में कार्तित्य को ही देवताओं का प्रधान सेनापति बताया गया है। कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। उनके जन्म की कथा बेहद विचित्र है। भगवान कार्तिकेय का जन्म महाभयंकर दैत्यों का नाश करने के लिए हुआ था।
वहीं स्कंदपुराण के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था। तब भगवान शिव ने अपना आपा खो लिया था। जिसका असुरों ने बहुत फायदा उठाया और इससे सृष्टि शक्तिहीन हो गई थी। वहीं एक दैत्य जिसका नाम तारकासुर था । वह ब्रह्मा जी से वरदान पाकर सभी प्राणियों पर अत्याचार करने लग गया था और अधर्म भी फैलने लग गया था।
तब ब्रह्माजी ने देवताओं से कहा कि तारकासुर का वध महादेव के पुत्र ही कर सकता है। तभी षष्ठी तिथि को कार्तिकेय प्रकट हुए थे। अब ऐसे में सवाल है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा आखिर दक्षिण भारत में ही क्यों की जाती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का ब्रह्मचारी रूप
उत्तर भारत में एकमात्र कार्तिकेय का मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास पेहवा शहर में है। यहां भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र) के बेटे कार्तिकेय को ब्रह्मचारी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा कहते हैं कि कौरवों को युद्ध में मारने के बाद पश्चाताप के लिए युधिष्ठिर ने इस मंदिर की स्थापना की थी, लेकिन अधिकतर इनकी पूजा दक्षिण भारत में विधिवत रूप से की जाती है।
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय हैं विवाहित
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय ने सुरपद्मन को भी मारा था। इसलिए वहां उन्हें महान योद्धा माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि कार्तिकेय और भगवान शिव के बीच मतभेद हुआ था। जिसके कारण कैलाश पर्वत छोड़कर अगस्त्य मुनि के साथ दक्षिण भारत चले गए। इसलिए इनकी पूजा खासकर दक्षिण भारत में की जाती है। बता दें, तमिलनाडु में पलणि के पहाड़ों पर एक भव्य मंदिर है। यहां पर भगवान कार्तिकेय ब्रह्मचारी नहीं है।
इसे जरूर पढ़ें - Bhagwan Shiv: आपके जीवन से जुड़ा है भगवान शिव के इन प्रतीकों का रहस्य
दक्षिण भारत में कार्तिकेय को मुरुगन नाम से जाना जाता है। प्राचीन तमिल संगम साहित्य में उनका उल्लेख मिलता है। उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय ब्रह्मचारी हैं और दक्षिण भारत में विवाहित हैं।
इसे जरूर पढ़ें - घर की सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं ये 10 चीज़ें
मौर्य काल में भगवान कार्तिकेय की पूजा
मौर्य काल में भी कार्तिकेय को विशेष महत्व दिया गया है। मोर पर बैठे कार्तिकेय का संबंध मंगल (मंगल दोष उपाय) ग्रह से भी बताया गया है।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- Freepik
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहांक्लिक करें-
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों