हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। एकादशी का अर्थ है चंद्र मास का ग्यारहवां दिन होता है जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से आत्मिक शुद्धि होती है तथा व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस साल 2025 में भी हर महीने दो एकादशी व्रत पड़ेंगे, जिनका अपना अलग धार्मिक महत्व और पूजन विधि होगी। इस तरह, पूरे साल में कुल 24 एकादशी तिथियां रहेंगी।
एकादशी व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसके अलावा, व्रत करने से आपकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक एकादशी व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसकी इच्छाओं की पूर्ति होती हैं।
यदि आप साल 2025 में प्रत्येक महीने एकादशी व्रत करने की योजना बना रही हैं, तो इसकी तिथियों और शुभ मुहूर्त की जानकारी पहले से प्राप्त कर लेना आपके लिए जरूरी है, जिससे सही समय पर विधिपूर्वक पूजन कर सकें। आइए, जानते हैं इस साल जुलाई के महीने में एकादशी तिथियां कब-कब पड़ेंगी और पूरे साल किन शुभ मुहूर्त में एकादशी तिथियां पड़ेंगी इसके बारे में ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें विस्तार से।
जुलाई के महीने में कब-कब पड़ेंगी एकादशी
इस महीने में पहली एकादशी तिथि 6 जुलाई को है, जिसेदेवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद, इस महीने की दूसरी व आखिरी एकादशी21 जुलाई, दिन सोमवार को है, जिसे कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इन दोनों ही एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है।
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
देवशयनी एकादशी, 6 जुलाई, रविवार | 05 जुलाई, शाम 6:58 से 06 जुलाई, रात्रि 9:14 तक |
कामिका एकादशी, 21 जुलाई, सोमवार | 20 जुलाई, दोपहर 12:12 से 21 जुलाई, प्रातः 09:38 तक |
जून के महीने में कब-कब पड़ेंगी एकादशी तिथियां
जून महीने की पहली एकादशी तिथि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होगी जिसे निर्जला एकादशी कहा जाएगा। यह एकादशी 6 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी। वहीं जून महीने की दूसरी एकादशी हिन्दू पंचांग के आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी होगी जिसे योगिनी एकादशी कहा जाएगा। यह एकादशी 21 जून, शनिवार को मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
निर्जला एकादशी, 06 जून, शुक्रवार | 06 जून, प्रातः 2:15 से 07 जून, प्रातः 04:47 तक |
योगिनी एकादशी, 21 जून, शनिवार | 21 जून प्रातः 07:18 से 22 जून, शाम 4:27 तक |
मई महीने में कब हैं एकादशी तिथियां
मई के महीने में दो प्रमुख एकादशी तिथियां आएंगी। पहली एकादशी वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी होगी जो कि 08 मई, गुरूवार के दिन पड़ेगी, जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाएगा। वहीं दूसरी ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी 23 मई, शुक्रवार को पड़ेगी। इस एकादशी अपरा एकादशी के नाम से जाना जाएगा।
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
मोहिनी एकादशी, 08 मई, गुरुवार | 07 मई, प्रातः 10:19 बजे से 08 मई, दोपहर 12:29 तक |
अपरा एकादशी, 23 मई, शुक्रवार | 23 मई, प्रातः 01:12 बजे से रात्रि 10:29 तक |
एकादशी तिथि व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और एकादशी तिथि हर महीने दो बार होती है। पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। एकादशी व्रत का आध्यात्मिक महत्व काफी ज्यादा है। इसे आत्मा और शरीर दोनों की शुद्धि का साधन माना जाता है। इस दिन उपवास करने से न केवल आत्मा की शुध्दि होती है, बल्कि शुभ फलों की प्राप्ति भी होती है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
जनवरी से अप्रैल 2025 तक की एकादशी तिथियां और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में जनवरी से अप्रैल तक कुल आठ एकादशी तिथियां हैं, जो विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती हैं। जनवरी में पौष पुत्रदा एकादशी और षट्तिला एकादशी मनाई गई थीं। इन तिथियों में भगवान विष्णु की आराधना और व्रत करने से संतान सुख और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
फरवरी माह में जया एकादशी और विजया एकादशी मनाई गई थी। शास्त्रों के अनुसार, जया एकादशी का व्रत व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है, जबकि विजया एकादशी सफलता प्राप्ति और विजय के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मार्च में आमलकी एकादशी और पापमोचनी एकादशी मनाई गई थीं। आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है और पापमोचनी एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है।
अप्रैल में कामदा एकादशी और वरूथिनी एकादशी होंगी। इन तिथियों पर व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। हर एकादशी का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार अलग होता है, इसलिए व्रत से पहले इसे अवश्य जान लें।
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
पौष पुत्रदा एकादशी, 10 जनवरी, शुक्रवार | 9 जनवरी, दोपहर 12:22 से 10 जनवरी, प्रातः 10:19 तक |
षटतिला एकादशी, 25 जनवरी, शनिवार | 24 जनवरी, रात्रि 07:25 से 25 जनवरी, रात्रि 8:31 तक |
जया एकादशी, 8 फरवरी, शनिवार | 07 फरवरी, रात्रि 09:26 से 08 फरवरी, रात्रि 08:15 तक |
विजया एकादशी, 24 फरवरी, सोमवार | 23 फरवरी, दोपहर 01:55 से 24 फरवरी, रात्रि 01:44 तक |
आमलकी एकादशी, 10 मार्च, सोमवार | 09 मार्च, प्रातः 7:45 से 10 मार्च, प्रातः 7:44 तक |
पापमोचिनी एकादशी, 25 मार्च, मंगलवार | 25 मार्च प्रातः 05:05 से 26 मार्च, प्रातः 3:45तक |
कामदा एकादशी, 8 अप्रैल, मंगलवार | 07 अप्रैल, रात्रि 08:00 बजे से 8 अप्रैल, रात्रि 09:12 बजे तक |
वरूथिनी एकादशी, 24 अप्रैल, बृहस्पतिवार | 23 अप्रैल, शाम 04:43 से, 24अप्रैल, दोपहर 02:32 तक |
मई से अगस्त 2025 तक की एकादशी तिथियां
हम यहां आपको साल 2025 में मई से अगस्त तक की एकादशी तिथियों के बारे में बता रहे हैं और शुभ मुहूर्त की जानकारी भी दे रहे हैं, जिससे आप समयानुसार पूजा-अर्चना कर सकें। इन चार महीनों में मोहिनी, अपरा, निर्जला, योगिनी, देवशयनी, कामिका, श्रावण पुत्रदा और अजा एकादशी का व्रत आएगा।
प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व है। मई में पड़ने वाली मोहिनी एकादशी पर व्रत रखने से मोह-माया और बंधनों से मुक्ति मिलती है, जबकि निर्जला एकादशी का व्रत पूरे साल के एकादशी व्रतों के बराबर फल देता है। इन तिथियों के दौरान शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानें मई से अगस्त 2025 तक की एकादशी तिथियों और उनके शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से-
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
मोहिनी एकादशी, 8 मई, बृहस्पतिवार | 07 मई, प्रातः 10:19 बजे से 08 मई, दोपहर 12:29 तक |
अपरा एकादशी, 23 मई, शुक्रवार | 23 मई, प्रातः 01:12 बजे से रात्रि 10:29 तक |
निर्जला एकादशी, 06 जून, शुक्रवार | 06 जून, प्रातः 2:15 से 07 जून, प्रातः 04:47 तक |
योगिनी एकादशी, 21 जून, शनिवार | 21 जून प्रातः 07:18 से 22 जून, शाम 4:27 तक |
देवशयनी एकादशी, 6 जुलाई, रविवार | 05 जुलाई, शाम 6:58 से 06 जुलाई, रात्रि 9:14 तक |
कामिका एकादशी, 21 जुलाई, सोमवार | 20 जुलाई, दोपहर 12:12 से 21 जुलाई, प्रातः 09:38 तक |
श्रावण पुत्रदा एकादशी, 05 अगस्त, मंगलवार | 04 अगस्त, प्रातः 11:41 से 05 अगस्त, दोपहर 1:12 तक |
अजा एकादशी, 19 अगस्त, मंगलवार | 18 अगस्त, शाम 05:22 से 19 अगस्त, शाम 03:32 तक |
सितंबर से दिसंबर 2025 तक की एकादशी तिथियां
साल 2025 के सितंबर से दिसंबर महीने के दौरान कई महत्वपूर्ण एकादशी तिथियां पड़ेंगी, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन तिथियों पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पालन करने से समस्त पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
सितंबर में इंदिरा एकादशी और पद्मिनी एकादशी मनाई जाएगी। इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है, जबकि पद्मिनी एकादशी विशेष रूप से इच्छाओं की पूर्ति के लिए महत्व रखती है। अक्टूबर में पापांकुशा एकादशी और रमा एकादशी आएंगी।
इन तिथियों पर व्रत और भगवान विष्णु की आराधना जीवन के कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है। नवंबर में प्रबोधिनी एकादशी या देव उठनी एकादशी मनाई जाएगी, जो चतुर्मास व्रत की समाप्ति का प्रतीक है। यह दिन विष्णु जागरण का त्योहार भी है।
दिसंबर में मोक्षदा एकादशी और सफला एकादशी आएंगी।
मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है, जबकि सफला एकादशी शुभ फलदायी मानी जाती है। इन चार महीनों में पड़ने वाली हर एकादशी तिथि का अपना विशेष महत्व है और व्रत का पालन शुभ मुहूर्त में करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी तिथि | शुभ मुहूर्त |
परिवर्तिनी एकादशी, 03 सितंबर,बुधवार | 03 सितंबर, दोपहर 03:53 से 04 सितंबर, प्रातः 04:21 तक |
इन्दिरा एकादशी, 17 सितंबर,बुधवार | 16 सितंबर रात्रि 12:21 से 17 सितंबर, रात्रि 11:39 तक |
पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर, शुक्रवार | 02 अक्टूबर, रात्रि 07:10 से 03 अक्टूबर, रात्रि 06:32 तक |
रमा एकादशी 17 अक्टूबर, शुक्रवार | 16 अक्टूबर, प्रातः 10:35 से 17 अक्टूबर, प्रातः 11:12 तक |
देवुत्थान एकादशी, 1 नवंबर, शनिवार | 01 नवंबर, प्रातः 9:11 से 02 नवंबर, प्रातः 07:31 तक |
उत्पन्ना एकादशी, 15 नवंबर, शनिवार | 15 नवंबर, दोपहर 12:49 से 16 नवंबर, प्रातः 02:37 तक |
मोक्षदा एकादशी, 1 दिसंबर, सोमवार | 30 नवंबर, रात्रि 09:29 से 01 दिसंबर, रात्रि 07:01 तक |
सफला एकादशी, 15 दिसंबर, सोमवार | 14 दिसंबर, रात्रि 06:49 से 15 दिसंबर, रात्रि 09:19 तक |
पौष पुत्रदा एकादशी 30 दिसंबर, मंगलवार | 30 दिसंबर प्रातः 7:50 से 31 दिसंबर, शाम 5:00 तक |
यहां जनवरी से दिसंबर तक की एकादशी तिथियों और शुभ मुहूर्त की जानकारी दी जा रही है। आप इन्हीं तिथियों को ध्यान में रखते हुए व्रत रख सकते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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