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Devshayani Ekadashi Muhurat 2025: देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बन रहे हैं ये 2 शुभ मुहूर्त, जानें तिथि और महत्व

देवशयनी एकादशी को हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी एकादशी से चातुर्मास लग जाता है और भगवान विष्णु निद्रा के लिए पाताल में निवास करने चले जाते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-07-05, 22:27 IST

हिन्दू धर्म में 24 एकादशी तिथियों का उल्लेख मिलता है जिसमें से एक है देवशयनी एकादशी जो आषाढ़ माह में आती है। देवशयनी एकादशी को हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी एकादशी से चातुर्मास लग जाता है और भगवान विष्णु निद्रा के लिए पाताल में निवास करने चले जाते हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि देवशयनी एकादशी का व्रत रख जो भी कोई व्यक्ति भगवान विष्णु की सच्ची श्रद्धा से पूजा करता है उसके घर एवं जीवन पर चातुर्मास की शुभता नहीं पड़ती है। ऐसे में आइये जानते हैं कि इस साल कब है देवशयनी एकादशी, क्या है इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।

देवशयनी एकादशी 2025 कब है?

आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी तिथि का आरंभ 5 जुलाई, शनिवार के दिन रात 9 बजकर 30 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इसका समापन 6 जुलाई रविवार के दिन रात 10 बजकर 10 मिनट पर होगा।

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ऐसे में देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई को रखा जाएगा और भगवान विष्णु की पूजा भी इसी दिन होगी। हालांकि व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर यानी कि गले दिन 7 जुलाई को मुहूर्त अनुसार होगा।

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देवशयनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी यानी कि 6 जुलाई के दिन स्नान-दान के लिए शुभ समय है ब्रह्म मुहूर्त जो सुबह 04:08 बजे से सुबह 04:49 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, यह दिन की शुरुआत में भगवान का स्मरण करने और ध्यान करने का सबसे शुभ समय माना जाता है।

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए अभिजित मुहूर्त उत्तम रहेगा जो सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक है। वहीं, दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक और इस मुहूर्त में आप किसी भी नए एवं शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं।

देवशयनी एकादशी के दिन शाम 07:21 बजे से शाम 07:42 बजे तक गोधुली मुहूर्त रहेगा। यह संध्याकाल का वह समय होता है जब गायें चरकर वापस लौटती हैं, ऐसे में इस मुहूर्त में गौ सेवा करना वो भी एकादशी के दिन बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

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देवशयनी एकादशी के दिन दोपहर 12:51 बजे से दोपहर 02:38 बजे तक अमृत काल रहेगा। इसके अलावा, इस दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। त्रिपुष्कर योग में इस योग में किए गए कार्यों का फल तीन गुना मिलता है।

वहीं, रवि योग सूर्य देव की कृपा दिलाता है और सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है। जहां एक ओर रवि योग सुबह 05:56 बजे से रात 10:42 बजे तक है तो वहीं, त्रिपुष्कर योग रात 09:14 बजे से रात 10:42 बजे तक रहेगा।

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देवशयनी एकादशी 2025 महत्व

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से कई विशेष लाभ मिलते हैं। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

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FAQ
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को क्या भोग लगाएं? 
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केसर की मिठाई, पंचामृत और पीले रंग की चीजें जैसे कि बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू या केले का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
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