गुरुवार का दिन हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन शादीशुदा और कुंवारी दोनों तरह की महिलाएं पूरे मन से पूजा करती हैं। माना जाता है कि इस पूजा से जीवन में सुख, पैसा और खुशहाली आती है। यह दिन खासकर उन लड़कियों के लिए बहुत खास है जिनकी शादी में कोई अड़चन आ रही है, गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से जल्द शादी के योग बनते हैं। अगर आपके जीवन में कोई काम अटक रहा है या लगातार परेशानियां आ रही हैं तो आपको भी गुरुवार को पूजा करनी चाहिए।
ऐसा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है और आपके सारे काम बन जाते हैं। यह व्रत आपकी मुश्किलों को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद करता है। अगर आप भी किसी परेशानी से जूझ रही हैं और भगवान विष्णु की कृपा चाहती हैं तो आपको गुरुवार को ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स जी द्वारा बताई गई विधि के अनुसार पूजा करनी चाहिए। आगे हम गुरुवार व्रत की पूरी पूजा विधि, सामग्री और इसके महत्व के बारे में जानेंगे।
गुरुवार व्रत पूजा सामग्री (Guruwar Puja Samagri)
भगवान विष्णु/बृहस्पति देव: दोनों की मूर्ति या तस्वीर, स्थापना के लिए।
पीला वस्त्र: भगवान को चढ़ाने के लिए एक छोटा कपड़ा।
पीले फूल: गेंदा या कोई भी पीला फूल।
केसर/हल्दी: तिलक लगाने के लिए।
पीले चावल: चावल को हल्दी में रंग लें।
चने की दाल: थोड़ी सी रात भर भिगोकर रखें।
गुड़: छोटा टुकड़ा।
केले: 5 या 7, दान केलिए या गाय को खिलाने के लिए।
दीपक: घी का दीपक।
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धूप/अगरबत्ती: सुगंध के लिए।
जल कलश: जल भरने के लिए।
पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण थोड़ी-थोड़ी मात्रा में।
तुलसी दल: कुछ पत्ते।
हल्दी की गांठ: एक या दो।
पूजा की चौकी या आसन: जिस पर आप पूजा करेंगे।
लकड़ी की चौकी: भगवान की मूर्ति/तस्वीर रखने के लिए।
पीला आसन: स्वयं बैठने के लिए।
पीला प्रसाद: बेसन के लड्डू, पीले फल या कोई भी पीली मिठाई।
व्रत कथा की पुस्तक: गुरुवार व्रत कथा पढ़ने के लिए।
दक्षिणा: दान के लिए कुछ रुपए।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि आप पीले वस्त्र नहीं पहन सकते तो कम से कम पीले रंग का रुमाल या कोई पीला कपड़ा अपने पास रखें। पूजा घर को साफ करें। एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर पीला वस्त्र बिछाएं।
चौकी पर भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें। हाथ में जल और कुछ पीले चावल लेकर व्रत का संकल्प लें। मन ही मन बोलें कि आप कितने गुरुवार का व्रत रखेंगे और आपकी क्या मनोकामना है। पूजा स्थान और स्वयं पर गंगाजल छिड़कें।
भगवान को केसर या हल्दी का तिलक लगाएं। स्वयं भी लगाएं। भगवान को पीले फूल और हल्दी वाले चावल (अक्षत) चढ़ाएं। यदि मूर्ति हो तो पंचामृत से स्नान कराएं। यदि तस्वीर हो तो थोड़ा सा पंचामृत अर्पित करें। भगवान को पीला वस्त्र अर्पित करें।
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घी का दीपक जलाएं और धूप/अगरबत्ती जलाएं। भीगी हुई चने की दाल और गुड़ को एक साथ मिलाकर भगवान को भोग लगाएं। केले भी अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करें। अब गुरुवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
कथा पूरी होने के बाद भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की आरती करें। पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए भगवान से क्षमा मांगें। प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें। केले का सेवन स्वयं न करें, इसे किसी गरीब को दान करें या गाय को खिला दें।
दिन भर व्रत रखें। शाम को पूजा करने के बाद या सूर्यास्त के बाद आप दूध, फल, पीले अनाज (जैसे बेसन, चने की दाल से बनी चीजें) आदि का सेवन कर सकते हैं। नमक रहित भोजन करें।
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