Amavasya 2025 List: जुलाई से दिसंबर तक कब-कब पड़ रही है अमावस्या? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 12 अमावस्याएं होती हैं। चूंकि जनवरी से जून 2025 तक की अमावस्या तिथियां निकल चुकी हैं, तो आइए जानते हैं कि जुलाई से दिसंबर 2025 तक ये कब-कब पड़ेंगी।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में आने वाली सभी 12 अमावस्या तिथियों का अपना विशेष महत्व है. आमतौर पर अमावस्या को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इसका खास स्थान है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, अमावस्या पर राहु का प्रभाव अधिक होता है. इस दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना गया है, क्योंकि राहु पर शनि देव का भी प्रभाव रहता है.

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने 2025 की अमावस्या तिथियों, उनके शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी है, जिसे हम इस लेख में जानेंगे।

जुलाई और अगस्त तक की अमावस्या लिस्ट

ज्येष्ठ माह हनुमान जी का महीना होता है। आमतौर पर अमावस्या तिथि पर हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है, क्योंकि इस दिन हनुमान जी ने राहु से युद्ध के दौरान विश्राम किया था। हालांकि, चूंकि ज्येष्ठ माह हनुमान जी से संबंधित है, इस कारण इस अमावस्या पर हनुमान जी की पूजा की जा सकती है। वहीं, आषाढ़ मास में किसी भी देवी-देवता की पूजा करना शुभ होता है, श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का महत्व है, और भाद्रपद मास की अमावस्या पर श्री कृष्ण की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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अमावस्या का नाम तिथि शुभ मुहूर्त
श्रावण अमावस्या 24 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार प्रारम्भ - 02:28 ए एम, जुलाई 24
समाप्त - 12:40 ए एम, जुलाई 25
भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त 2025, शनिवार प्रारम्भ - 11:55 ए एम, अगस्त 22
समाप्त - 11:35 ए एम, अगस्त 23

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सितंबर से दिसंबर तक की अमावस्या लिस्ट

अश्विन माह भगवान विष्णु और सूर्य देव को समर्पित होता है, इसलिए इस माह की अमावस्या पर सूर्य देव और श्री हरि की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। वहीं, कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली पर्व मनाया जाता है, जिसमें मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या पर शनि देव की पूजा करना भी फलदायी और सिद्धि देने वाला माना जाता है। इसके अलावा, पौष अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त पूजा करना शुभ माना जाता है।

amavasya tithi 2025

अमावस्या का नाम तिथि शुभ मुहूर्त
आश्विन अमावस्या 21 सितंबर 2025, रविवार प्रारम्भ - 12:16 ए एम, सितम्बर 21
समाप्त - 01:23 ए एम, सितम्बर 22
कार्तिक अमावस्या 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार प्रारम्भ - 03:44 पी एम, अक्टूबर 20
समाप्त - 05:54 पी एम, अक्टूबर 21
मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर 2025, बृहस्पतिवार प्रारम्भ - 09:43 ए एम, नवम्बर 19
समाप्त - 12:16 पी एम, नवम्बर 20
पौष अमावस्या 19 दिसंबर 2025, शुक्रवार प्रारम्भ - 04:59 ए एम, दिसम्बर 19
समाप्त - 07:12 ए एम, दिसम्बर 20

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जनवरी से अप्रैल तक की अमावस्या लिस्ट

जनवरी से अप्रैल तक चार अमावस्या तिथियां पड़ रही हैं, जो माघ, फाल्गुन, चैत्र और वैशाख हैं। माघ अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जबकि फाल्गुन अमावस्याभगवान शिवको समर्पित होती है। वहीं, चैत्र और वैशाख अमावस्या के दिन भगवान शिव के साथ-साथ पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ और लाभकारी माना जाता है।

amavasya dates in 2025

अमावस्या का नाम तिथि शुभ मुहूर्त
माघ अमावस्या 29 जनवरी 2025, बुधवार

प्रारम्भ - 07:35 पी एम, जनवरी 28
समाप्त - 06:05 पी एम, जनवरी 29

फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार

प्रारम्भ - 08:54 ए एम, फरवरी 27
समाप्त - 06:14 ए एम, फरवरी 28

चैत्र अमावस्या 29 मार्च 2025, शनिवार

प्रारम्भ - 07:55 पी एम, मार्च 28
समाप्त - 04:27 पी एम, मार्च 29

वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025, रविवार

प्रारम्भ - 04:49 ए एम, अप्रैल 27
समाप्त - 01:00 ए एम, अप्रैल 28

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FAQ

  • अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?

    अमावस्या के दिन दान करना चाहिए, पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, पितरों का तर्पण करना चाहिए और भगवान शिव का ध्यान रखना चाहिए।
  • अमावस के दिन सिर धो सकते हैं क्या?

    धर्म शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या तिथि पर बाल नहीं धोने चाहिए।
  • अमावस्या तिथि पर शिव जी की पूजा का क्या महत्व है?

    अमावस्या तिथि पर शिव जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, अखंड सौभाग्य और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। 
  • अमावस्या के दिन क्या उपाय करना चाहिए?

    अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा एवं पीपल के पेड़ में दूध चढ़ाना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
  • अमावस्या के दिन कौन सा मंत्र जपना चाहिए?

    ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः