क्यों असुर करते थे सिर्फ भगवान शिव की ही पूजा? जानें क्या था कारण

जहां एक ओर देवी-देवता भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की ही पूजा करते थे तो वहीं, असुर सिर्फ भगवान शिव की आराधना में लीन रहते थे। असुरों द्वारा सिर्फ भगवान शिव की तपस्या या पूजा की जाती थी। 
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हिन्दू धर्म ग्रंथों में यह वर्णित है कि जहां एक ओर देवी-देवता भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की ही पूजा करते थे तो वहीं, असुर सिर्फ भगवान शिव की आराधना में लीन रहते थे। असुरों द्वारा सिर्फ भगवान शिव की तपस्या या पूजा की जाती थी। इस बारे में जब हमने ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्हें हमें कुछ रोचक बातें बताईं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

असुर क्यों करते थे सिर्फ भगवान शिव की पूजा? (Asur Kyu Karte The Sirf Bhagwan Shiv Ki Puja?)

asur vishnu ji ki puja kyu nahi karte the

भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है यानी कि जो भोले हैं और जल्दी प्रसन्न भी हो जाते हैं। शास्त्रों में यह वर्णित है कि भगवान शिव की पूजा अगर मात्र एक दिन भी तपस्या के रूप में की जाए तो इससे शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन भगवान श्री हरि नारायण की तपस्या न सिर्फ नियमों से बंधी हुई है बल्कि उनकी तपस्या की अवधि भी बहुत बड़ी है।

पौराणिक कथाओं में ऐसी कई घटनाओं का उल्लेख मिलता है जो इस बात को प्रमाणित करती है। उदाहरण के तौर पर, माता यशोदा और नंद बाबा ने अपने पूर्व जन्म में 12 हजार वर्ष तक कठोर तपस्या की थी जिसके फल स्वरूप उन्हें द्वापर युग में भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार में उनके माता-पिता बनने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

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इसक अलावा सुदामा जी की कथा, सतयुग में राजा बलि की कथा, वैष्णों देवी माता के विष्णु अवतार श्री राम को पति रूप में पाने की कथा, सप्त ऋषियों और 16 हजार 108 महा मुनियों की कथा, नागों की कथा आदि इन सभी और ऐसी कई कथाओं में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु की इन सभी ने कई हजार वर्षों तक तपस्या की थी।

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वहीं, महादेव की पूजा और तपस्या बहुत सरल है और उन्हें प्रसन्न करना भी आसान है। इसके अलावा एक कारण यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु असुरों के संहारक हैं और भगवान शिव असुरों के सरक्षक। ऐसे में यह स्वतः ही मान्य हो गया कि महादेव की पूजा असुरों द्वारा की जाने लगी। हालांकि कुछ असुरों ने ब्रह्म देव की तपस्या भी की थी।

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image credit: herzindagi

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