भगवान राम, श्री कृष्ण और भगवान शिव के कई अस्त्र-शस्त्र थे जिन्हें तपस्या कर असुर या देवी-देवता वरदान में प्राप्त करने की इच्छा रखते थे क्योंकि इन अस्त्रों-शस्त्रों से किसी को भी पराजित किया जा सकता था। हम सभी जानते हैं कि श्री राम का सबसे बड़ा अस्त्र था उनका धनुष, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि श्री कृष्ण और शिव जी के पास भी थे उनके अपने धनुष जो अत्यंत प्रलयंकरकारी थे। आइये जानते हैं भगवान राम, श्री कृष्ण और शिव जी का धनुष के नाम और साथ ही ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से ये भी जानेंगे कि तीनों भगवानों के धनुष की क्या विशेषताएं थीं।
क्या है भगवान शिव के धनुष का नाम और उसकी विशेषता?
भगवान शिव के धनुष का नाम पिनाक था। यह धनुष भगवान शिव का प्रसिद्ध और शक्तिशाली धनुष था जिसका उपयोग रामायण और महाभारत काल में हुआ था। पिनाक धनुष बहुत में मां शक्ति की ऊर्जा समाहित थी जिसे महाशक्ति के रूप में भगवान शिव ने धारण किया था और इसके द्वारा उन्होंने असंख्य राक्षसों का वध भी किया था।
रामायण काल में जब भगवान राम माता सीता के स्वयंवर में पहुंचते थे तब, इसी धनुष को खंडित कर उन्होंने माता सीता संग विवाह रचाया था और राजा जनक की शर्त को पूरा किया था। भगवान शिव ने यह धनुष अपने परम शिष्य परशुराम जी को दिया तय और उन्होंने इसे त्रेता युग में राजा जनक के हाथों सीता सयाम्वर के लिए सौंपा था।
क्या है भगवान राम के धनुष का नाम और उसकी विशेषता?
भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था। यह धनुष बहुत प्रसिद्ध और चमत्कारिक धनुष था। कोदंड शब्द का अर्थ होता है बांस से बना हुआ धनुष। यह धनुष इतना शक्तिशाली और अद्भुत था कि इसे सामान्य मनुष्य द्वारा धारण करना असंभव था। भगवान राम ने स्वयं इस धनुष की रचना की थी और इसे विभिन्न दिव्य एवं चमत्कारी मंत्रों से अभिमंत्रित किया था।
चूंकि धनुष का नाम कोदंड था इसलिए भगवान राम को भी उनके अनेक नामों में से एक कोदंड कहा जाता है। कोदंड धनुष को लेकर ऐसा बताया गया है रामायण में कि इस धनुष से निकला बाण हमेशा अपना लक्ष्य भेदकर ही वापस आता था। रामायण युद्ध के दौरान लंकापति रावण का अंत भी श्री राम ने इसी धनुष की सहायता से किया था।
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क्या है भगवान कृष्ण के धनुष का नाम और उसकी विशेषता?
भगवान श्री कृष्ण का परम अस्त्र द्वापरयुग में सुदर्शन चक्र था लेकिन भगवान शिव के परम भक्त बाणासुर से युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने जिस धनुष का उपयोग किया था उसका नाम शारंग था। शारंग का अर्थ होता है रंगा हुआ, जिसमें सभी रंग समाहित हों और जो सुंदर हो। भगवान श्री कृष्ण ने इसी धनुष से बाणासुर का अंत सुनिश्चित किया था।
भगवान श्री कृष्ण ने इस धनुष का निर्माण सुंदर और रंगबिरंगी बांस की लकड़ियों से किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का यह शारंग धनुष इतना सुंदर था कि शत्रु भी एक क्षण के लिए धनुष को देख कर मोहित हो जाता था। इस धनुष से बाणासुर के अलावा, श्री कृष्ण ने जरासंध को भी युद्ध में 18 बार पराजित किया था।
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