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रावण से भी ज्यादा घातक था ये योद्धा, 2 बार हारे थे युद्ध में श्री राम

रावण को विनाशकारी असुर माना गया क्योंकि उसके पास एक से बढ़कर एक खतरनाक आसुरी शक्तियां थीं, लेकिन सत्य तो यह है कि रावण द्वारा किये गए कृत्यों के कारण उसे जितने भी श्राप मिले उन सभी की वजह से उसकी शक्तियां क्षीण हो गई थीं।  
Editorial
Updated:- 2025-02-18, 08:00 IST

रामायण में इस बात का वर्णन मिलता है कि रावण सर्व ज्ञान विज्ञाता था। रावण न सिर्फ वेदों, पुराणों, ग्रंथों आदि का परम ज्ञाता था बल्कि भक्ति में उसने सर्वोच्च स्थान पाया था। हालांकि, ज्ञान और भक्ति के अहंकार में किए गए बुरे कर्मों के कारण उसे श्री राम के हाथों युद्ध में मृत्यु को प्रात होना पड़ा, मगर ऐसा कहा जाता है कि रावण रामायण के समय का सबसे बड़ा योद्धा था। वहीं, रामायण में ये लिखा है कि रावण से भी भयंकर योद्धा कोई था जिसने युद्ध के दौरान श्री राम को 2 बार पराजित किया था। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें इस योद्ध के बारे में बताया। आइये जानते हैं इस विषय में विस्तार से।

कौन था रामायण युद्ध का सबसे ताकतवर योद्धा?

रावण को विनाशकारी असुर माना गया क्योंकि उसके पास एक से बढ़कर एक खतरनाक आसुरी शक्तियां थीं, लेकिन सत्य तो यह है कि रावण द्वारा किये गए कृत्यों के कारण उसे जितने भी श्राप मिले उन सभी की वजह से उसकी शक्तियां क्षीण हो गई थीं।

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वहीं, दूसरी ओर मेघनाद था जिसने अपने जीवनकाल में बार-बार अनेकों बार ब्रह्म देव और देवी माता को प्रसन्न कर रावण और उसके भाई कुंभकर्ण से भी ज्यादा शक्तियां प्राप्त कर ली थीं। मेघनाद की शक्तियां अचूक और प्रलयंकरकारी मानी जाती थीं।

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मेघनाद ने युद्ध के दौरान ऐसी ही एक शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया था, जिसके बाद हनुमान जी को संजीविनी बूटी लानी पड़ी थी लक्ष्मण जी के जीवन को बचाने के लिए। एक बार और ऐसा हुआ था मेघनाद युद्ध में भारी पड़ा था।

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युद्ध के आरंभ में ही मेघनाद ने श्री राम और लक्ष्मण जी पर नाग बाण छोड़ा था, जिसके बाद भयंकर विषयले सापों ने दोनों भाइयों को जकड़ लिया था। तब हनुमान जी के आवेदन पर गरुड़ जी स्वयं युद्ध में आये थे और दोनों भाइयों को मुक्त कराया था।

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यही कारण है कि जब मेघनाद लक्ष्मण जी से अंतिम युद्ध करने से एक रात पहले देवी माता के अखंड हवन के लिए बैठा था तब हनुमान जी ने वानरों के साथ मिलकर उसका हवन भंग कर दिया था। तभी लक्ष्मण जी मेघनाद का युद्ध में वध कर पाए थे।

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