क्या आपको पता है हनुमान जी और श्री राम के बीच भी हुआ था युद्ध? जानें क्यों आपस में लड़े थे भक्त और भगवान

क्या आप जानते हैं कि जिन हनुमान जी के रोम-रोम में राम बसते हैं और जो श्री राम हनुमान जी को अपने पुत्र समान प्रेम करते हैं उनके मध्य भी एक बार भयंकर युद्ध हुआ था। 
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हनुमान जी को श्री राम का परम भक्त माना जाता है। रामकाज में हनुमान जी न सिर्फ सबसे बड़े सहायक सिद्ध हुए बल्कि उनकी भक्ति ने उन्हें राम जी का परम प्रिय भी बना दिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन हनुमान जी के रोम-रोम में राम बसते हैं और जो श्री राम हनुमान जी को अपने पुत्र समान प्रेम करते हैं उनके मध्य भी एक बार भयंकर युद्ध हुआ था। जी हां, श्री राम और हनुमान जी ने एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध किया था। क्या थी ये पूरी घटना, क्यों भक्त और भगवान का युद्ध हुआ और आखिर इस युद्ध का क्या परिणाम निकला आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्यों श्री राम ने किया था हनुमान जी से युद्ध?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवलोक में संत सभा का आयोजन हुआ। इस सभा में ब्रह्मांड के सभी तेजस्वी और ग्यानी संत शामिल हुए। वहीं, एक संत थे जो पहले राजा हुआ करते थे मगर बाद में उन्होंने राजपाट त्याग कर संन्यास धारण कर लिया था। वह राजा थे सुकंत।

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सुकंत जब उस संत सभा में पहुंचे तो उन्होंने सभी ऋषियों एवं संतों को प्रणाम किया लेकिन ऋषि विश्वामित्र को नमन नहीं किया। यह देख ऋषि विश्वामित्र बहुत दुखी हुए और संत सभा से चले गए। जब ऋषि विश्वामित्र अयोध्या लौटे और श्री राम से मिले तो श्री राम ने उन्हें दुखी देखा।

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श्री राम ने कारण पूछा तो ऋषि ने बताया कि जिस संत सभा में वह गए थे वहां सुकंत नामक राजा जो अब संत बन चुके हैं, वह भी आये थे। उन्होंने सबको प्रणाम किया सिर्फ एक ऋषि विश्वामित्र को छोड़कर। इस घटना से ऋषि बहुत आहात हुए। वहीं, श्री राम को यह व्यवहार सहन नहीं हुआ।

श्री राम ने सौगंध खाई कि ऋषि अपमान के अपराध में वह राजा सुकंत का वध कर देंगे। यह बात जब राजा को पता चली तो वह माता अंजनी के पास पहुंचे जो हनुमान जी की माता थीं। सुकंत राजा ने माता को बताया की उनके प्राण संकट में हैं लेकिन यह नहीं बताया कि किससे।

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जब माता अंजनी ने हनुमान जी को रजा सुकंत की रक्षा के लिए आदेश दिया और हनुमान जी ने श्री राम की सौगंध खाकर रक्षा का वचन इ दिया तब राजा सुकंत ने बताया कि श्री राम हैं जो उनका वध करना चाहते हैं और पूरी घटना का हनुमान जी के सामने उल्लेख किया।

इसके बाद हनुमान जी और श्री राम के मध्य युद्ध हुआ। जहां एक ओर हनुमान जी ने एक घेरा बनाया उस घेरे में सुकंत राजा के साथ बैठकर उस घेरो को राम नाम के जाप से सुरक्षित कर दिया तो वहीं, श्री राम युद्ध आरंभ करते हुए राजा सुकंत पर एक के बाद एक तीर छोड़ते गए।

हालांकि, श्री राम के नाम के प्रभाव के कारण स्वयं उनके छोड़े गए बाण निष्फल हो गए और तब ऋषि विश्वामित्र ने देखा कि हनुमान जी की भक्ति श्री राम के प्रति कितनी आलौकिक है। इसके बाद विश्वामित्र ऋषि ने राजा को क्षमा कर दिया और श्री राम से युद्ध रोकने के लिए कहा।

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कहा जाता है की श्री राम और हनुमान जी का युद्ध ५ दिन चला था। पांचों दिन श्री राम ने एक से एक भयंकर अस्त्र-शस्त्रों का आवाहन कर राजा सुकंत को मारने का प्रयास किया था लेकिन अपने नाम जाप के आगे वह कुछ न कर सके। तभी से कहा जाता है कि- राम से बड़ा राम का नाम।

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image credit: herzindagi

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