who was sahastranan in ramayan

कौन था सहस्त्रानन जिससे किया था माता सीता ने युद्ध?

जैन रामायण के अनुसार, सहस्त्रानन नाम का एक प्रलयंकर राक्षस था जिसके साथ माता सीता ने युद्ध किया था और माता सीता के हाथों ही उसका वध हुआ था।
Editorial
Updated:- 2025-01-03, 13:23 IST

रामायण में श्री राम और रावण के युद्ध का उल्लेख मिलता है, लेकिन एक युद्ध और भी हुआ था जिसके बारे में रामचरितमानस या फिर वाल्मीकि रामायण में तो वर्णन नहीं मिलता है मगर जैन रामायण में इस युद्ध के बारे में बताया गया है। जैन रामायण के अनुसार, सहस्त्रानन नाम का एक प्रलयंकर राक्षस था जिसके साथ माता सीता ने युद्ध किया था और माता सीता के हाथों ही उसका वध हुआ था। ऐसे में जब हमने इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने हमें कई रोचक तथ्य बताये जिन्हें जानना आपके लिए भी दिलचस्प हो सकता है। आइये जानते हैं कि कौन था सह्स्त्रानन और क्यों हुआ था माता सीता का इससे युद्ध।

क्यों किया था माता सीता ने सहस्त्रानन से युद्ध?

sahastranan ke bare mein

पौराणिक कथा के अनुसार, सहस्त्रानन रावण का बड़ा भाई था। जिस प्रकार अहि रावण और महि रावण दशानन रावण के भाई थे, ठीक ऐसे ही सह्स्त्रानन भी लंकेश रावण का भाई था। हालांकि यह रावण का सगा भाई नहीं था लेकिन रावण से इसे बहुत प्रेम था।

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रावण के पास जितनी आसुरी एवं मायावी शक्तियां थीं उससे कही ज्यादा सहस्त्रनान के पास दिव्य और भयंकर दानवीय शक्तियों से भरपूर अस्त्र-शस्त्र थे। जहां एक ओर रावण के 10 शीश थे तो वहीं, सह्स्त्रानन 1000 शीशों से भी ज्यादा का स्वामी हुआ करता था।

mata sita aur sahastranan ka yuddh

जैन समुदाय की रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब रावण को श्री राम ने युद्ध में पराजित कर मार दिया था और विभीषण जी को लंका का राजा नियुक्त कर श्री राम पुनः माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौट आए थे, तब सहस्त्रानन भी अयोध्या आया था।

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सहस्त्रानन ने कई ऐसे चल-कपट किये थे जिसके माध्यम से वह अयोध्या को ध्वस्त कर सके ललेकिन उसके हर छल कपट को हनुमान जी ने विफल कर दिया था। इसके बाद सहस्त्रानन ने सीधे-सीधे श्री राम को युद्ध के लिए ललकारा था। श्री राम ने भी युद्ध की चुनौती स्वीकार कर ली थी।

kyu kiya tha mata sita ne sahastranan se yuddh

हालांकि जब सहस्त्रानन ने युद्ध में खुद को हारता हुआ पाया तो उसने श्री राम पर ब्रह्म देव के दिव्यास्त्र का प्रयोग किया। श्री राम ने ब्रह्म देव के सम्मान में अपनी अस्त्र नीचे रख दिए। तब माता सीता ने युद्ध में भाग लिया और अपने रौद्र रूप को धारण कर सहस्त्रानन का वध कर दिया था।

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