
हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को 'न्याय का देवता' और 'कर्मफल दाता' माना गया है। यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है कि शनिदेव केवल डराने वाले या कष्ट देने वाले देवता हैं। वास्तव में शनि अनुशासन, धैर्य और मेहनत के प्रतीक हैं। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किसी विपत्ति का इंतजार करना जरूरी नहीं है। जिस प्रकार हम स्वस्थ रहने के लिए रोज व्यायाम करते हैं, उसी प्रकार जीवन में संतुलन और स्थिरता बनाए रखने के लिए शनिदेव की आराधना सदैव फलदायी होती है।
हालांकि, हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि शनि देव की दृष्टि क्रूर है, ऐसे में अगर उनकी रोज पूजा की जाए तो उनकी दृष्टि हम पर पड़ेगी। जहां एक ओर अन्य किसी भी देवी-देवता की दृष्टि पड़ना शुभ और कल्याणकारी होता है तो वहीं, दूसरी ओर शनिदेव की दृष्टी पड़ने का अर्थ है कष्टों का सामना करना। यूं तो 'साढ़े साती' या 'ढैय्या' जब चल रही होती है तभी लोग शनि देव की पूजा करते हैं, लेकिन क्या रोजाना शनिदेव की पूजा करना सही है? क्या जब साढ़े साती या ढैय्या नहीं है तब भी शनिदेव की पूजा करना उचित है? आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, रोजाना बिना साढ़े साती या ढैय्या के भी शनिदेव की पूजा करना सही है। नियमित शनिदेव की पूजा करना आपके जीवन के लिए अत्यंत लाभकारी है। ज्योतिष के अनुसार, शनि ग्रह हमारे करियर, आयु, संचित धन और अनुशासन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अगर आपकी कुंडली में साढ़े साती नहीं चल रही है, तब भी शनिदेव किसी न किसी भाव में स्थित होकर आपके जीवन को प्रभावित कर रहे होते हैं। बिना किसी कष्ट के उनकी पूजा करना इस बात का प्रतीक है कि आप अपने जीवन में अनुशासन और नैतिकता को महत्व देते हैं।
जब हम बिना किसी स्वार्थ या डर के शनिदेव की शरण में जाते हैं तो वे अधिक प्रसन्न होते हैं। इससे व्यक्ति के भीतर धैर्य की वृद्धि होती है और वह कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है। इसे एक 'सुरक्षा कवच' की तरह देखा जा सकता है।
जब बुरा समय आएगा तो आपकी पहले से की गई भक्ति उस समय के प्रभाव को काफी कम कर देगी। शास्त्रों में यह बताया गया है कि शनिदेव की दृष्टि क्रूर है, लेकिन आपको शनिदेव से रोजाना नजरे नहीं मिलानी है अर्थात आपको मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करने की जरूरत नहीं है।
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साढ़े साती और ढैय्या के दौरान शनिदेव को देव के रूप में पूजा जाता है जबकि अगर साढ़े साती या ढैय्या नहीं तब शनिदेव को एक ग्रह के रूप में पूजा जाता है और यह कामना की जाती है कि एक ग्रह के रूप में हमेशा शुभता बनाये रखें। घर पर रहकर भी शनिदेव की पूजा हो सकती है।

आप घर पर शनि चालीसा का पाठ लकर सकते हैं। शनि देव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। सबसे सरल उपाय शनिदेव को प्रसन्न करने का उनकी कृपा पाने का एवं उनकी भक्ति करने का यही है कि अपने कर्मों को धर्म के अनुसार और सही रखें। आप कर्म अच्छे करेंगे तो कर्मफल दाता की कृपा होगी।
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