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How to chant Shani chalisa

श्री शनि चालीसा | Shani Chalisa Lyrics in Hindi​

Shani Chalisa in Hindi: शनि चालीसा का पाठ करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। पाठ के दौरान मन को शांत रखें और किसी के प्रति द्वेष न रखें। चालीसा पाठ के बाद "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें। इस पाठ को करने से बिगड़ते काम भी बन सकते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-06-20, 18:33 IST

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना गया है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है या व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से गुजर रहा होता है, तो उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके जीवन में परेशानियां आ रही हैं, बनते-बनते काम बिगड़ रहे हैं। तो शनिदेव की पूजा करनी चाहिए, वह आपके बुरे कर्मों का प्रभाव कम करते हैं और जीवन सरल बनाते हैं।

शिव पुराण में शनिदेव की पूजा का महत्व भी बताया गया है। शिव पुराण में ऐसा जिक्र है कि राजा दशरथ ने भी शनिदेव की पूजा की थी। अगर आप अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन शनि देव की पूजा और चालीसा का पाठ करना लाभदायी हो सकता है। साथ ही शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती में भी राहत मिल सकती है। आइए, ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ किस विधि से करना चाहिए।

श्री शनि चालीसा (Shani Chalisa Lyrics in Hindi)

shani dev ke vahan

शनिवार के दिन शनि चालीस का पाठ विशेष रूप से करें । इससे सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। 

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दोहा 

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

।। चौपाई।।

जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं आरिहिं संहारा।।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन।।

सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।।
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । रंकहुं राव करैंक्षण माहीं।।

पर्वतहू तृण होई निहारत । तृण हू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों।।

बनहूं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चतुराई।।
लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । मचिगा दल में हाहाकारा।।

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई।।
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका।।

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलाखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।।
विनय राग दीपक महं कीन्हों । तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों।।

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी।।
तैसे नल परदशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी।।

श्री शंकरहि गहयो जब जाई । पार्वती को सती कराई।।
तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उडि़ गयो गौरिसुत सीसा।।

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी।।
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्घ महाभारत करि डारयो।।

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला।।
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ई।।

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नखधारी । सो फल जज्योतिष कहत पुकारी।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा।।

जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्रण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी।।

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा।।
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै।।

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी।।
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।

अदभुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला।।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।।

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

।। दोहा ।।

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार । 

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।

इस विधि से करें शनि चालीसा का पाठ (Shani chalisa Path vidhi)

shani dev ko prasan karne ke upay

अगर आप घर की सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं, तो रोजाना शनिवार (शनिवार मंत्र) के दिन शनि चालीस का पाठ अवश्य करें। शनिवार का दिन बेहद उत्तम माना गया है। अगर संभव हो तो शनिवार के दिन शनि मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें। 

शनिवार को घर में पूजा स्थान पर सरसों के तेल का दीपक लगाकर शनिदेव का ध्यान करें। 

शनि चालीसा का पाठ करने के दौरान मन को शांत रखें। इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है। 

अगर आप शनिवार के दिव शनि चालीसा का पाठ कर रहे हैं, तो शनिदेव (शनिदेव पूजा) की प्रतिमा के सामने कभी सीधा न देखें। उनकी पूजा करने के दौरान सिर ढकें और तिरछा खड़े होकर पूजा करें। 

शनि चालीसा का पाठ करने के बाद पीपल के पेड़ और नवग्रह की परिक्रमा जरूर लगाएं। इससे शनि दोष से छुटकारा मिल सकता है और शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

इसे जरूर पढ़ें - जूते-चप्पलों से भी है शनि देव का नाता, जानें इनसे जुड़े कुछ नियम

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FAQ
शनि देव की चालीसा का पाठ करने से क्या होता है?
शनि देव की चालीसा का पाठ करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
क्या घर में शनि चालीसा का पाठ कर सकते हैं?
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना गया है कि पीपल के पेड़ या शनि मंदिर जाकर शनि चालीसा का पाठ करना सबसे ज्यादा फलदायी होता है। वहीं, अगर मंदिर जाना संभव न हो तो घर पर शनिवार को शाम के समय शनि चालीसा का पाठ किया जा सकता है। 
शनिदेव की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
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