ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय का देवता माना गया है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है या व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से गुजर रहा होता है, तो उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आपके जीवन में परेशानियां आ रही हैं, बनते-बनते काम बिगड़ रहे हैं। तो शनिदेव की पूजा करनी चाहिए, वह आपके बुरे कर्मों का प्रभाव कम करते हैं और जीवन सरल बनाते हैं।
शिव पुराण में शनिदेव की पूजा का महत्व भी बताया गया है। शिव पुराण में ऐसा जिक्र है कि राजा दशरथ ने भी शनिदेव की पूजा की थी। अगर आप अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन शनि देव की पूजा और चालीसा का पाठ करना लाभदायी हो सकता है। साथ ही शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती में भी राहत मिल सकती है। आइए, ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ किस विधि से करना चाहिए।
शनिवार के दिन शनि चालीस का पाठ विशेष रूप से करें । इससे सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है।
इसे जरूर पढ़ें - शनि देव की पूजा करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं आरिहिं संहारा।।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन।।
सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।।
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । रंकहुं राव करैंक्षण माहीं।।
पर्वतहू तृण होई निहारत । तृण हू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चतुराई।।
लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । मचिगा दल में हाहाकारा।।
रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई।।
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका।।
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलाखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।।
विनय राग दीपक महं कीन्हों । तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों।।
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी।।
तैसे नल परदशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी।।
श्री शंकरहि गहयो जब जाई । पार्वती को सती कराई।।
तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उडि़ गयो गौरिसुत सीसा।।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी।।
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्घ महाभारत करि डारयो।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला।।
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नखधारी । सो फल जज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्रण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा।।
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै।।
समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी।।
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अदभुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला।।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।।
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।।
अगर आप घर की सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं, तो रोजाना शनिवार (शनिवार मंत्र) के दिन शनि चालीस का पाठ अवश्य करें। शनिवार का दिन बेहद उत्तम माना गया है। अगर संभव हो तो शनिवार के दिन शनि मंदिर या पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें।
शनिवार को घर में पूजा स्थान पर सरसों के तेल का दीपक लगाकर शनिदेव का ध्यान करें।
शनि चालीसा का पाठ करने के दौरान मन को शांत रखें। इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।
अगर आप शनिवार के दिव शनि चालीसा का पाठ कर रहे हैं, तो शनिदेव (शनिदेव पूजा) की प्रतिमा के सामने कभी सीधा न देखें। उनकी पूजा करने के दौरान सिर ढकें और तिरछा खड़े होकर पूजा करें।
शनि चालीसा का पाठ करने के बाद पीपल के पेड़ और नवग्रह की परिक्रमा जरूर लगाएं। इससे शनि दोष से छुटकारा मिल सकता है और शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
इसे जरूर पढ़ें - जूते-चप्पलों से भी है शनि देव का नाता, जानें इनसे जुड़े कुछ नियम
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- Freepik
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें-
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।