हिंदू धर्म में श्री गणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे ऊपर माना गया है। इसलिए सभी लोग अपने घर के मंदिर में श्री गुणेश जी की प्रतिमा जरूर रखते हैं। गणेश जी को विघ्न हरता और सुख करता कहा गया है। मगर श्री गणेश ही आपके घर में खुशहाली लाते हैं और उनके ही प्रकोप से जीवन में दरिद्रता फैलती है। अगर आप नहीं चाहते हैं कि भगवान श्री गणेश आप से नाराज हों, तो आपको भी उनके दर्शन करते वक्त कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस बारे में हमारी बातचीत पंडित एंव ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा से हुई है। वह कहते हैं, " हमारी आदत होती है कि जब हम मंदिर जाते हैं, तब भगवान के आगे से दर्शन करने के बाद पीछे जाकर उनकी पीठ पर भी माथा टेकते हैं। मगर ऐसा हर देवी-देवता के मंदिर में नहीं करना चाहिए। खासतौर पर अगर आप गणेश जी के मंदिर जा रही हैं, तो भूल से भी उनके पीठ के दर्शन न करें या उनकी पीठ पर माथा न टेकें। क्योंकि श्री गणेश की पीठ पर दरिद्रता वास करती है।"
इतना ही नहीं, पंडित जी ने हमें बताया है कि श्री गणेश जी के शरीर के कौन से अंग के दर्शन करने से आपको क्या लाभ हो सकता है। तो अगर आप भी भगवान श्री गणेश के भक्त हैं, तो आपको यह लेख अंत तक पढ़ना चाहिए।
गणेश जी के दर्शन का महत्व
गणेश जी के दर्शन करने से पहले मन और शरीर की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जब हम उनके दर्शन करते हैं, तो हमारे मन में केवल श्रद्धा, आस्था और सकारात्मकता होनी चाहिए। दर्शन करते समय यह ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पीठ की ओर कभी न देखें। ऐसा माना जाता है कि उनकी पीठ पर दरिद्रता का वास होता है।
पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, "गणेश जी की मूर्ति के हर अंग का अलग-अलग महत्व है। उनके दर्शन से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।"
गणेश जी के अंगों के दर्शन का महत्व
मस्तक:
गणेश जी के मस्तक पर ब्रह्मलोक का वास माना जाता है। उनके मस्तक का दर्शन करने से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
कान:
गणेश जी के कान बड़े और चौड़े होते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि वे अपने भक्तों की सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं। कानों के दर्शन से यह प्रतीकात्मक संदेश मिलता है कि हमें दूसरों की बातें ध्यान से सुननी चाहिए। साथ ही बिना सुनी बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
आंखें:
भगवान गणेश की आंखें छोटी लेकिन गहरी होती हैं, जो दूरदर्शिता और एकाग्रता का प्रतीक हैं। उनके नेत्रों का दर्शन करने से व्यक्ति को अपने लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
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सूंड:
गणेश जी की सूंड सजीव और सक्रिय रहने का संदेश देती है। इसके दर्शन करने से आपको हमेशा गतिशील और कर्मशील रहने की प्रेरणा मिलती है।
दायां हाथ:
गणेश जी के दाएं हाथ में वर मुद्रा होती है, जो यह दर्शाती है कि वे अपने भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
बायां हाथ:
बाएं हाथ में भगवान गणेश अन्न का प्रतीक लिए रहते हैं, जो यह दर्शाता है कि वे अपने भक्तों को समृद्धि और संतोष प्रदान करते हैं। इसका दर्शन करने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
पेट:
गणपति पेट बड़ा होता है, जो उनकी उदारता और संतोष का प्रतीक है। उनके पेट का दर्शन करने से जीवन में खुशहाली और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
नाभि:
गणेश जी की नाभि में ब्रह्मांड का प्रतीक माना गया है। यह जीवन के संतुलन और सृजन का संकेत देता है।
पैर:
उनके पैरों में सात लोकों का वास माना जाता है। उनके चरणों का स्पर्श और दर्शन व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
पैर के तलवे:
गणेश जी के तलवे धन-धान्य और जीवन में समृद्धि का प्रतीक हैं। उनके तलवों का ध्यान करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।
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भगवान गणेश के दर्शन और पूजन का सही तरीका हमें जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करता है। उनकी पूजा श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और हमारी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसलिए गणेश जी की पूजा करते समय इन नियमों का पालन अवश्य करें।
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