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Sanjhi Mata Aarti for Navratri 2025: इस नवरात्रि जरूर करें सांझी माता की आरती, मनचाही कामना होगी पूरी

हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद आरती करने का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले सांझी माता की आरती के बारे में विस्तार से और आरती करने का सही तरीका क्या है। 
Editorial
Updated:- 2025-09-20, 12:11 IST

सांझी माता हिंदू धर्म, विशेषकर उत्तर भारत में, विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं की देवी के रूप में पूजित की जाती हैं। सांझी पर्व, जो खासतौर से शारदीय नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है, कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष महत्व रखता है।सांझी माता की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलने की मान्यता है। माना जाता है कि सांझी माता कुंवारी कन्याओं की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। सांझी पूजा घर में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाती है। माना जाता है कि सांझी माता के आशीर्वाद से घर में खुशहाली आती है। आपको बता दें, नवरात्रि के दौरान पहले माता सांझी को आटे, चावल के आटे या रेत से बनाया जाता है।सांझी माता को बनाने के बाद उनकी पूरी विधि-विधान के साथ-पूजा-अर्चना भी की जाती है। कहते हैं, कि अगर सांझी माता की पूजा पूरी श्रद्धा से किया जाए, तो माता उन्हें सभी सुखों से भर देती हैं। अब ऐसे में नवरात्रि के दौरान सांझी माता की आरती क्या है और आरती करने का क्या महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नवरात्रि के दौरान करें माता सांझी की आरती

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नवरात्रि के दौरान माता सांझी की आरती करने से मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख-सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।

आरता री आरता मेरी सांझी माई आरता,
आरता के नैन, कचाली भर आइयो,
टेढ़ी टेढ़ी पगियो में, बीरा जी हमारे,
लंबे लंबे घूंघट वाली, भावज हमारी,
क्या मेरी सांझी ओढेगी, पहरेगी,
सोने का सीस गुनधाएगी,
जाग सांझी जाग तेरे माथे लगे भाग,
तेरी पटियों में मांग, तेरे हाथो में सुहाग,
गोरा री गोरा सांझी का भैया गोरा
गोरी है बहुरिया,
अस्सी तेरे फूल, पिचासी तेरे डंडे,
श्रवण तेरी डोर, मुल्तानी तेरे पलड़े,
हल्दी गांठ गठीली, सबकी बहु है हठीली,
माँगे सोने का बिंदा, बिंदा मोल गया,
भाभो रूठ गयी, भैया बागों में जाइयो,
एक लोधड़ा कटाइयो, सूडा सूड़ मचाइयो,

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कालबली के ऊंचे पाए, नीचे पाए
लेले बेटा गोद खिलाए,
गुरसल मंगल गाती आई,
चिड़िया चूँ चूँ करती आई
अऊं तेरी सांझी, मांगे गेंहू,
तू दे सपूती जौ, तेरे बेटा होंगे नौ,
नौ नोरते देवी के, सोलह कनागत पितरों के,
खोल मेरी देवी , चंदन किवाड़,
मैं आई तेरे पुजनहार,

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पूज पूजन्ति क्या कुछ लाई,
भैया भतीजे सब परिवार,
भैया तेरे नौ दस बीस
भतीजे तेरे पूरे तीस

रोज सवेरे उठकर के, तुम्हें हम सब दें पानी।
संध्या को जलती है ज्योति, सुनते हैं तुम्हारी कहानी।
जय सांझी, मां जय सांझी, तुम्हें पूजें सब नर-नारी।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ
सांझी माता की पूजा कब की जाती है?
भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या में सांझी माता की पूजा होती है।
सांझी माता क्यों लगाई जाती है?
कुंवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। इसलिए आपको यह व्रत रखा जाता है।
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