अंतिम संस्कार से पहले मृत व्यक्ति को क्यों नहलाया जाता है?

हिंदू धर्म में जीवन के प्रत्येक चरण के लिए विभिन्न संस्कारों और नियमों का पालन आवश्यक माना गया है। यह नियम केवल जीवित अवस्था तक सीमित नहीं होते, बल्कि मृत्यु के पश्चात भी आत्मा की शुद्धि और शांति के लिए कुछ विशेष परंपराएं निभाई जाती हैं। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण परंपरा है-अंतिम संस्कार से पूर्व मृतक को स्नान कराना। आइए जानें यह जरूरी क्यों होता है।
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जब किसी अपने की मृत्यु होती है तो शोक और भावनाओं के बीच हम उन्हें सम्मानपूर्वक उसकी अंतिम विदाई की तैयारी में लग जाते हैं। यही संसार का नियम है। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कई परंपराएं होती हैं, जिनमें से एक बेहद महत्वपूर्ण है मृत शरीर को स्नान कराना। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी बताते हैं कि हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद भी आत्मा कुछ समय तक शरीर के पास रहती है। ऐसे में मृतक को स्नान कराना आत्मा की शुद्धि और शरीर की विदाई का प्रतीक है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मृतक को स्नान कराने से मृत शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और संक्रमण से बचाव होता है। वहीं, ज्योतिष की मानें तो मृत्यु के समय राहु, केतु और शनि जैसी नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है,इसलिए स्नान कराना आवश्यक होता है जिससे आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो सके। आइए इस सवाल के जवाब के बारे में यहां विस्तार से जानें।

मृतक को नहलाने का धार्मिक कारण

हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि कई अन्य धर्मों में यह मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा तुरंत शरीर को नहीं छोड़ती है। आत्मा कुछ समय तक शरीर के आस-पास ही मौजूद रहती है। ऐसे में, मृतक के शरीर को स्नान कराने से आत्मा को शांति मिलती है और वह स्वयं को शुद्ध अनुभव करती है। यह एक तरह से आत्मा को अगली यात्रा के लिए तैयार करने की प्रक्रिया मानी जाती है। आत्मा के साथ-साथ मृत शरीर की शुद्धि के लिए भी मृतक को स्नान कराना जरूरी माना जाता है।

मृतक को नहलाने का ज्योतिष कारण

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ज्योतिष शास्त्र की मानें तो आत्मा अमर और शाश्वत होती है और इसका संबंध सूर्य ग्रह से होता है। सूर्य न केवल जीवन दाता है, बल्कि वह आत्मा का प्रतीक भी है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आत्मा तुरंत शरीर को नहीं छोड़ती है बल्कि कुछ समय तक उसके समीप ही बनी रहती है। ऐसे में मृत शरीर को स्नान कराना केवल शुद्धिकरण की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मा को सूर्य तत्व की पवित्र ऊर्जा से जोड़ने का भी एक माध्यम माना जाता है। मृतक के स्नान के दौरान कई वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे एक सकारात्मक और पवित्र वातावरण बनता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से आत्मा की सम्मान पूर्वक विदाई की जाती है, जिससे वह मोक्ष प्राप्त कर सके।

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मृतक को नहलाने से शारीरिक संक्रमण से बचाव

अगर हम वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो मृत्यु के समय व्यक्ति कई शारीरिक बीमारियों से ग्रसित हो सकता है, जिसकी वजह से शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस पैदा हो सकते हैं जो मृतक के आस-पास के लोगों के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में मृत व्यक्ति के शरीर को नहलाना एक प्रकार का स्वच्छता उपाय भी है जिससे अन्य किसी को भी संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है। यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण माना जाता है जब अंतिम संस्कार में कई लोग सम्मिलित होते हैं।

मृतक को नहलाना आत्मा की नई यात्रा की तैयारी

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जब आत्मा एक शरीर को त्याग कर दूसरी यात्रा पर निकलती है, तो शास्त्रों के अनुसार यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण होता है। इस दौरान आत्मा को जितना अधिक सम्मान और शुद्ध वातावरण दिया जाता है वह उतनी ही आसानी से अपने अगले गंतव्य तक पहुंच जाती है। मृत व्यक्ति को नहलाना इस प्रक्रिया को शुभ और शांतिपूर्ण बनाने का एक माध्यम माना जाता है।

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मृतक को नहलाना सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक

अंतिम संस्कार सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं है बल्कि यह उस व्यक्ति के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान को भी प्रकट करने का एक माध्यम माना जाता है। जैसे हम जीवित अवस्था में साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा या विशेष कार्य करते हैं, वैसे ही मृत्यु के बाद भी मृत शरीर को स्नान कराकर उसे सम्मान पूर्वक अंतिम विदाई दी जाती है। यह इस बात को दर्शाता है कि मृत्यु के बाद भी हम अपने प्रियजन को वही आदर दे रहे हैं जो जीवित अवस्था में देते थे। शरीर और आत्मा का संबंध अत्यंत सूक्ष्म माना जाता है। जब आत्मा शरीर को छोड़ती है, तो वह कुछ समय तक उसी वातावरण में रहती है। स्नान कराने से उस वातावरण को शुद्ध किया जाता है जिससे आत्मा को आध्यात्मिक संतुलन और मानसिक शांति मिलती है।

मृत व्यक्ति के शरीर को अंतिम संस्कार से पहले स्नान कराने का केवल एक धार्मिक कारण नहीं, बल्कि यह एक अनिवार्य प्रक्रिया है। इसमें वैज्ञानिक सोच, ज्योतिषीय गहराई और आध्यात्मिक भावनाएं समाहित होती हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Images:freepik.com

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