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अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करना क्यों होता है जरूरी? जानें कारण और महत्व

हिंदू धर्म के विभिन्न संस्कारों में से सबसे आखिरी और महत्वपूर्ण अंतिम संस्कार को माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस अनुष्ठान के बाद अस्थियों को एकत्रित करना जरूरी होता है और इसका विशेष महत्व है। आइए जानें इसके कारणों के बारे में।
Editorial
Updated:- 2025-03-24, 11:00 IST

हिंदू धर्म में मृत्यु को एक यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नए सफर की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। चूंकि हिंदू धर्म में मृत्यु को एक नए जीवन की शुरुआत माना जाता है, इसलिए अंतिम संस्कार को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया माना जाता है। जब किसी व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है, तो उसकी अस्थियों को एकत्र कर पवित्र नदियों में विसर्जित किया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।

मृतक की अस्थियां इकठ्ठा करने से लेकर अस्थियों के विसर्जन तक की प्रक्रिया को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है अस्थि संग्रह और विसर्जन का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं भी हैं। ऐसा माना जाता है कि जब अस्थियों को गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है, तो मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसका पुनर्जन्म चक्र समाप्त हो जाता है। वहीं, ज्योतिष की मानें तो इस प्रक्रिया से परिवार पर मौजूद नकारात्मक ऊर्जाएं भी समाप्त हो सकती हैं और मानसिक शांति की अनुभूति होती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से कि आखिर क्यों अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करना जरूरी होता है।

अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करने के धार्मिक कारण

ashes collection is required after last rite

किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अस्थियों को एकत्रित करके उनका विसर्जन करने की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी और अन्य पवित्र नदियों में अस्थियों का विसर्जन करने से मृत आत्मा को शांति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। गरुड़ पुराण में भी इस बात का जिक्र है कि मृतक की अस्थियों का विसर्जन न करने से उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है और वह प्रेत योनि में जा सकते हैं।

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अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करने के आध्यात्मिक कारण

किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा अपने भौतिक शरीर को छोड़कर एक नई यात्रा पर निकलती है। यदि अस्थियों का विधिवत विसर्जन किया जाता है, तो आत्मा को अपने नए मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता मिलती है। यह प्रक्रिया आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है और उनके परिजनों को मानसिक शांति प्रदान करती है। यही नहीं हिंदू धर्म में पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए भी पिंडदान और अस्थि विसर्जन जैसी प्रक्रियाओं को आवश्यक माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि जब मृतक के परिजन विधिवत अस्थियों का विसर्जन करते हैं, तब मृत आत्मा तृप्त होकर पितृलोक की यात्रा करती है और इससे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि गयाजी, प्रयागराज, काशी और हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों पर अस्थि विसर्जन का विशेष महत्व होता है।

अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करने के वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो मृतक के अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन समय से ही यह प्रक्रिया पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक मानी जाती रही है। इसके अलावा, परिजनों के लिए यह मानसिक रूप से संतोषजनक प्रक्रिया भी होती है, जिससे वे अपने प्रियजन को श्रद्धांजलि अर्पित कर पाते हैं। जब अस्थियों को पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है तब मृतक को आत्मा को मुक्ति मिलती है और उनके परिजनों को भी संतुष्टि मिल जाती है। इसी वजह से यह कई रूपों में अच्छा माना जाता है।

अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां इकठ्ठा करना परंपराओं का हिस्सा है

ashes collected after cremetion

हिंदू धर्म में प्रत्येक संस्कार के पीछे एक विशेष कारण होता है, जिसे निभाना जरूरी होने के साथ हमारी परंपराओं का हिस्सा भी माना जाता है। अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां एकत्रित करने की प्रक्रिया भी इन्हीं महत्वपूर्ण कर्मकांडों में से एक है। जब किसी व्यक्ति का मृत्योपरांत अंतिम संस्कार किया जाता है तब ऐसा माना जाता है कि उनकी अस्थियों को इकठ्ठा करना आत्मा की शांति के लिए आवश्यक अनुष्ठानों को पूर्ण करता है। भारत के कई धार्मिक स्थल जैसे गंगाघाट, हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी, गया और उज्जैन, अस्थि विसर्जन के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि इन स्थानों पर अस्थि विसर्जन करने से मृत आत्मा को मुक्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष मिलता है।

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अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को कब और कैसे एकत्रित किया जाता है

हिंदू धर्म में मान्यता है कि अंतिम संस्कार के तीसरे दिन अस्थियों को एकत्रित करना चाहिए। इन्हें साफ जल में धोकर पीतल, तांबे या मिट्टी के पात्र में रखा जाता है। इसके बाद उपयुक्त समय देखकर इन्हें किसी पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है। मान्यता है कि अस्थियों को हमेशा बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। अस्थियों के विसर्जन से पहले पिंडदान और तर्पण करना शुभ माना जाता है। यही नहीं अस्थि विसर्जन के बाद परिवार के लोगों को कुछ दिनों तक सात्विक आहार और कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

इस प्रकार हिंदू धर्म के विशेष संस्कारों में से अंतिम संस्कार के भी कुछ नियम हैं और इन नियमों का पालन करने से घर में समृद्धि बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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