क्या वास्तव में मृत्यु के बाद 13 दिनों तक अपने घर में रहती है आत्मा, जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण

ऐसी मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा तुरंत लोक परिवर्तन नहीं करती है, बल्कि मृत्यु के बाद लगभग 13 दिनों तक वह अपने परिजनों के आस-पास रहती है। इसके कारणों के बारे में गरुड़ पुराण में भी विस्तार से वर्णन मिलता है। आइए जानें कि क्या है इस बात की सच्चाई।
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किसी प्रियजन को खोना जीवन का सबसे बुरा अनुभव माना जाता है। यह क्षण न केवल दुख से भरा होता है, बल्कि एक ऐसी स्थिति भी लाता है जहां कई परंपराएं भी निभाई जाती हैं। हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात कई महत्वपूर्ण संस्कार और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य न केवल मृतक की आत्मा को शांति प्रदान करना होता है, बल्कि घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा एवं समृद्धि को बनाए रखना भी होता है। ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी बताते हैं कि इन्हीं प्रमुख संस्कारों में से एक है ‘तेरहवीं’, जिसे मृत्यु के 13वें दिन संपन्न किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा 13 दिनों तक अपने घर और परिजनों के समीप रहती है और इस बात की अनुभूति भी मृतक के परिजनों को होती है। यह धारणा केवल मान्यताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उल्लेख गरुड़ पुराण जैसे आध्यात्मिक ग्रंथ में भी विस्तार से मिलता है। गरुड़ पुराण में आत्मा की मृत्यु के बाद की यात्रा, कर्मों के प्रभाव और 13 दिनों तक उसके भौतिक संसार से जुड़े रहने की बात स्पष्ट रूप से कही गई है। आइए इसके बारे में आपको यहां विस्तार से बताते हैं।

क्या मृत्यु के 13 दिनों बाद तक आत्मा घर पर रहती है?

rituals after death

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा तुरंत ही मृत शरीर को छोड़ देती है। हालांकि आत्मा को पूर्ण मुक्ति प्राप्त करने में 13 दिनों का समय लगता है।

ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद के 13 दिन आत्मा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में आत्मा अपने परिवार और प्रियजनों के आस-पास मौजूद रहती है, उन्हें अपनी उपस्थिति का अनुभव कराती है, उनके दुःख और शोक को देखती है और अपने कर्मों के प्रभाव को महसूस करती है। यही नहीं कई बार मृतक की आत्मा अपनी उपस्थिति दिखाकर अपनी किसी अपूर्ण इच्छा को पूरा करने की बात भी करती है।

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मृतक की आत्मा 13 दिनों तक घर पर ही क्यों मौजूद रहती है?

गरुड़ पुराण में कहा गया है कि आत्मा मृत्यु के तुरंत बाद भ्रमित होती है और यह समझने में असमर्थ रहती है कि उसने शरीर त्याग दिया है। इसे अपने जीवन के अच्छे और बुरे कर्मों का आभास होता है और यह अपने परिवार के सदस्यों को रोते हुए देखती है।

इसी वजह से शास्त्रों में मृत्यु के बाद 13 दिनों तक विशेष कर्मकांड और शांति पाठ करने का विधान बताया गया है जिससे मृतक की आत्मा को शांति और मार्गदर्शन मिल सके। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा अपने प्रियजनों का साथ नहीं छोड़ना चाहती है और आस-पास ही रहती है। इसी कारण से आत्मा की मुक्ति के लिए कई अनुष्ठान किए जाते हैं और इन अनुष्ठानों से आत्मा को अपने घर से विदा किया जाता है, जिससे वो परलोक में स्थान प्राप्त कर से और संसार की मोह माया से दूर जा सके।

आत्मा की मुक्ति के लिए 13 दिनों तक क्यों किए जाते हैं कर्मकांड?

गरुड़ पुराण के अनुसार, 13 दिनों तक किए जाने वाले कर्मकांड का उद्देश्य आत्मा को उसके अगले जीवन की यात्रा के लिए तैयार करना होता है।

इस दौरान पिंडदान, तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं और मृतक की आत्मा की शांति के लिए कई उपाय भी किए जाते हैं। यह सभी कर्म कांड मृतक की आत्मा को अगले लोक की ओर बढ़ने में सहायता करती है।

ऐसा माना जाता है कि इन कर्मकांडों के माध्यम से आत्मा को उसकी गलतियों का प्रायश्चित करने और मोक्ष की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है। यही नहीं 13 दिनों तक किए गए सभी कर्म कांड आत्मा की मुक्ति का मार्ग खोजते हैं।

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मृत्यु के बाद 13वें दिन किया जाता है विशेष अनुष्ठान

after death rituals

तेरहवीं किसी मृतक की आत्मा को अंतिम विदा देने का दिन होता है। किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद 13वें दिन किया जाने वाला यह पवित्र अनुष्ठान, दिवंगत लोगों को उनके पूर्वजों और भगवान के साथ फिर से मिलाने की हमारी इच्छा को दर्शाता है। 13वें दिन के समारोह का उद्देश्य और महत्व एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में चमकता है।

ये अनुष्ठान सूक्ष्म शरीर को सांसारिक लगाव से परे और आध्यात्मिक नियति की ओर बढ़ाने की शक्ति प्रदान करता है। तेरहवीं का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आत्मा के मोक्ष और शांति के लिए भी अहम माना जाता है। इस दिन किए जाने वाले कर्मकांड आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर आध्यात्मिक यात्रा की दिशा में प्रेरित करते हैं।

क्या विज्ञान के अनुसार मृत्यु के 13 दिनों बाद तक आत्मा घर पर रहती है

यदि हम विज्ञान की बात करें तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आत्मा के 13 दिनों तक घर में रहने की अवधारणा को सिद्ध करना कठिन है, लेकिन यह अवश्य माना जाता है कि शोक और दुःख के समय परिवार के सदस्यों को मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए इन धार्मिक अनुष्ठानों का सहारा मिलताहै।
गरुड़ पुराण में वर्णित आत्मा के 13 दिनों तक घर में रहने की अवधारणा आध्यात्मिक और धार्मिक विश्वासों पर आधारित है। यह न केवल आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि परिवार के सदस्यों को भी सांत्वना और मानसिक शांति प्रदान करता है। चाहे इसे धार्मिक दृष्टि से देखा जाए या भावनात्मक, इस प्रथा का उद्देश्य जीवन और मृत्यु के बीच के संबंधों को समझना और उन्हें स्वीकार करना है। हालांकि विज्ञान इसके पीछे कोई तर्क नहीं देता है और ये केवल लोगों का विश्वास है।


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Images:freepik.com

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FAQ

  • क्या आत्मा 13 दिनों तक घर में रहती है?

    ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति की मृत्यु के 13 दिनों तक उसकी आत्मा घर के आस-पास ही मौजूद रहती है। 
  • आपको कैसे पता चलेगा कि आपके घर में आत्मा कब है?

    अगर आपको किसी परिजन की मृत्यु के बाद उनके आस-पास होने का अनुभव होता है या फिर कोई आवाज सुनाई देती है, तो ये घर में आत्मा की उपस्थिति का संकेत हो सकता है।