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सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार क्यों नहीं किया जाता है? जानें क्या कहता है शास्त्र

शास्त्रों में ऐसी कई बातों का जिक्र है जिसका कारण जान पाना मुश्किल होता है इनमें से एक ऐसी बात है सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने की मनाही। 
Editorial
Updated:- 2022-09-06, 13:10 IST

हमारे शास्त्रों में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं जिनका कोई न कोई संबंध हमारे जीवन से जुड़ा होता है। ऐसी कई बातें शास्त्रों में लिखी हैं जिनके बारे में हम जानते तो हैं, लेकिन उनके कारणों से अंजान ही होते हैं। ऐसी कुछ बातें जैसे शाम के समय झाड़ू नहीं लगानी चाहिए, रात में नाखून और बाल काटने की मनाही, भोजन हमेशा फर्श पर बैठकर ही करना चाहिए और कई ऐसे संस्कार जिनका जीवन से सीधा संबंध है। ऐसी कई बातों का मिश्रण हैं हमारे शास्त्र। इन्हीं बातों में से एक है दाह संस्कार के नियम।

इन नियमों में से एक है सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार न करना। हिंदू धर्म शास्त्रों में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है। इन सभी संस्कारों में से सबसे आखिरी होता है अंतिम संस्कार। यह व्यक्ति की मृत्यु के बाद किया जाता है।

इस अनुष्ठान के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। जिसमें सूर्यास्त के बाद कभी भी शव का अंतिम संस्कार न करना प्रमुख है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें इसके पीछे के कारणों के बारे में क्या कहता है शास्त्र।

शास्त्रों में है सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार की क्यों है मनाही

why should not cremation done after sunset

गरुण पुराण में भी इस बात का जिक्र है कि यदि किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद (सूर्यास्त के बाद न करें इन चीजों का दान) किया जाता है तो उसे कभी भी मोक्ष नहीं मिलता है। ऐसे में यदि व्यक्ति की मृत्यु रात के समय भी होती है तब भी दाह संस्कार के लिए सुबह का इंतज़ार किया जाता है।

शास्त्रों की मानें तो रात में यानी सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार करने पर स्वर्ग के सभी द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं। इसलिए यदि इस समय अंतिम संस्कार किया गया तो सीधे नर्क में स्थान मिलता है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति को अगले जन्म में कोई अंग दोष भी हो सकता है।

विधि विधान के साथ होता है अंतिम संस्कार

हिंदू धर्म में रीति रिवाज और परंपराओं का बहुत पालन किया जाता है। इसमें कोई भी काम बिना किसी रीति के संपन्न नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है उसके बाद उसका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से किया जाता है।

ऐसा माना भी जाता है कि जिसका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से नहीं होता है उसे मनुष्य योनि से मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसी आत्मा भटकती रहती है और मोक्ष से वंचित रहती है। उन्हीं शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार न करने का विधान भी है।

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कैसे किया जाता है अंतिम संस्कार

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जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उस समय उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। साथ ही एक घड़े में पानी भरकर मृत शरीर के चारों ओर परिक्रमा करके और अंत में मिट्टी के बर्तन को फोड़ने के बाद, यह माना जाता है कि आत्मा का शरीर के प्रति लगाव भंग हो गया है और उसे मुक्ति मिल गयी है।

मृत्यु (मृत्यु के बाद क्या होता है) शय्या पर शव की परिक्रमा के दौरान व्यक्ति के जीवन की कहानी सुनाई जाती है। इसमें मनुष्य को घड़ा माना जाता है और घड़े में मौजूद जल को व्यक्ति का समय माना जाता है। जैसे-जैसे छेद से बूंद-बूंद पानी घटता जाता है, वैसे ही उस व्यक्ति की आयु घटती जाती है। अंत में घड़े को तोड़ना यह दर्शाता है कि व्यक्ति का जीवन समाप्त हो गया है और शरीर में निवास करने वाली आत्मा मुक्त हो गई है।

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इस प्रकार हिंदू धर्म शास्त्रों में सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार न करने की मनाही होती है और यदि इन नियमों का पालन न किया जाए तो व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik.com

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