साल 2025 का महाकुंभ एक दिव्य और दुर्लभ संयोग लेकर आया है, जहां करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए स्नान कर रहे हैं। यह महास्नान न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी माना जाता है। इस दौरान लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाने आते हैं। स्नान करने से लाभ तो मिलता ही है और समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं। यही नहीं इस दौरान आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह भी दी जाती है। मुख्य रूप से कुछ नियम हैं जो महाकुंभ में स्नान करते समय महिलाओं को ध्यान में रखना चाहिए। विशेष रूप से महिलाओं के लिए महाकुंभ स्नान के कुछ नियम और परंपराएं निर्धारित की गई हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है।
महाकुंभ में महिलाओं के स्नान से जुड़े नियमों का गहरा धार्मिक और सामाजिक महत्व है। इनमें उनका उचित वस्त्र धारण, स्नान का शुभ मुहूर्त, सुरक्षा नियम और धार्मिक मर्यादाओं का पालन करना शामिल है। मान्यता है कि यदि महिलाएं इन नियमों के अनुसार स्नान करती हैं, तो उन्हें विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इन नियमों के बारे में विस्तार से।
महाकुंभ में स्नान का महत्व
सनातन धर्म में महाकुंभ स्नान को परम पवित्र और अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का एक प्रभावी साधन भी है। मान्यता है कि कुंभ के पवित्र जल में डुबकी लगाने से न केवल व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि उसे ईश्वरीय कृपा और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कुंभ स्नान का महत्व देवताओं और असुरों द्वारा अमृत मंथन से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इस अवधि में दिव्य ऊर्जा का संचार अधिक रहता है और गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह स्नान न केवल आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोलता है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि में भी सहायक होता है। महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि जब भी कुंभ मेले का आयोजन होता है करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र अवसर का लाभ उठाने के लिए संगम तट पर एकत्रित होते हैं।
महाकुंभ में स्नान के लिए महिलाओं के लिए नियम
महाकुंभ में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए स्नान के कुछ नियम बनाए गए हैं। हालांकि, महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम और परंपराएं हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है। आइए जानें उन नियमों के बारे में-
महिलाओं को शुभ मुहूर्त में स्नान करना चाहिए
महिलाओं को महाकुंभ स्नान के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शाही स्नान के समय संत-महात्माओं के स्नान के बाद ही महिलाओं को स्नान करने की अनुमति होती है, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विशेष तिथियों जैसे मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन आपको संतों के स्नान के बाद ही संगम में डुबकी लगानी चाहिए।
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महाकुंभ स्नान के दौरान साफ वस्त्र पहनें
महाकुंभ में स्नान के दौरान महिलाओं को सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। आपको इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि आप जो भी वस्त्र पहन रहे हैं वो साफ़-सुथरे होने चाहिए। इन वस्त्रों को शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। आपको स्नान के दौरान गहरे और चमकीले रंग के कपड़ों से बचना चाहिए क्योंकि यह धार्मिक अनुशासन के विपरीत माना जाता है।
महाकुंभ स्नान से पहले संकल्प लेना चाहिए
स्नान करने से पहले महिलाओं को एक विशेष संकल्प लेना चाहिए जिसमें वे अपने पूर्वजों, देवी-देवताओं और स्वयं की आत्मशुद्धि के लिए गंगा स्नान का संकल्प करें। इस संकल्प के बिना स्नान का पूरा लाभ नहीं मिलता है। वैसे तो इस नियम का पालन संगम में स्नान करने वाले पुरुषों को भी करना चाहिए।
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मासिक धर्म के दौरान स्नान से बचें
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान महाकुंभ स्नान नहीं करना चाहिए। इस दौरान मंदिरों और पवित्र स्थलों पर जाने से भी बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि यदि इसे आप धर्म और ज्योतिष से न भी जोड़ें तो नदियों की शुद्धता बनाए रखने के लिए इस दौरान स्नान नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म समाप्त होने के बाद आप स्न्नान में हिस्सा ले सकती हैं। यदि आपको उस समय मासिक धर्म आ जाए तो स्नान करने के बजाय गंगा का जल अपने शरीर पर छिड़कें। इससे आपको स्नान के बराबर पुण्य मिल सकता है।
महाकुंभ स्नान के दौरान महिलाएं बाल खुले न रखें
महिलाओं को कभी भी स्नान के समय बाल खुले नहीं रखने चाहिए। धार्मिक दृष्टि से यह शुभ नहीं माना जाता और इससे नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित हो सकती है। स्नान के बाद बालों को सुखाने के लिए खुले स्थान पर धूप का उपयोग करना चाहिए। वहीं महाकुंभ स्नान के दौरान महिलाओं को सोने-चांदी के गहने, चमड़े की वस्तुएं या अन्य आभूषण पहनने से बचना चाहिए। यह शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक माना जाता है। महिलाओं को गंगा जल में अधिक समय तक नहीं रुकना चाहिए। स्नान के बाद ताजे और साफ वस्त्र पहनना आवश्यक माना जाता है।यदि आप भी महाकुंभ में स्नान की योजना बना रही हैं तो आपको यहां बताई बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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