महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और साधु-संत एक साथ पवित्र स्नान के लिए एकत्र होते हैं। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम भी माना जाता है। 13 जनवरी, 2025 से शुरू इस साल के महाकुंभ में हर दिन करोड़ों लोग शामिल हो रहे हैं।
महाकुंभ की भव्यता और इसकी विशालता को इतनी खास है कि आस्था के इस महापर्व में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से साधु-संत, संन्यासी, प्रसिद्ध व मशहूर हस्तियां, उद्योगपति, श्रद्धालु और आमजन शामिल हो रहे हैं। ये सभी लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर डुबकी लगाकर खुद को धन्य महसूस कर रहे हैं। इसी के साथ आइए महाकुंभ से जुड़ी 10 अहम बातें, जो इसे दुनिया भर में खास बनाती हैं।
महाकुंभ से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें (Maha Kumbh 10 important points To Know)
- महाकुंभ मेले का आयोजन हर 144 वर्षों में एक बार आता है, इसलिए यह एक पूरी पीढ़ी के लिए भी खास माना जाता है। वहीं, पूर्ण कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। यही वजह है कि महाकुंभ मेले को अन्य कुंभों से ज्यादा खास माना जाता है।
- भारत में चार जगहों पर महाकुंभ का मेला लगता है। इनमें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज, नासिक शामिल हैं। खास बात यह है कि इन सभी जगहों पर यह मेला किसी नदी के तट पर ही लगता है। हरिद्वार में गंगा के तट पर, प्रयागराज में संगम तट पर, उज्जैन में शिप्रा के तट पर और नासिक में गोदावरी के तट पर।
- महाकुंभ का समुद्र मंथन से गहरा संबंध है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब भगवान धन्वंतरि अमृत से भरे कलश को लेकर जा रहे थे, तो असुरों से छीना-झपटी में अमृत की चार बूंदें इन चारों तीर्थ स्थानों पर गिरी थीं। जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वहां हर तीन साल के अंतराल पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होने लगा और यह सिलसिला अब भी जारी है।
- गूगल प्ले स्टोर पर आपको महाकुंभ 2025 का ऑफिशियल ऐप 'Maha Kumbh Mela 2025' प्लेस्टोर पर मिल जाएगा। यहां पर आपको मेले से जुड़ी सारी जानकारियां मिलने के साथ-साथ मेले का पूरा मैप भी दिख जाएगा। इस ऐप में घाटों और मंदिरों की लोकेशन के साथ शहर के प्रमुख स्थलों की भी जानकारी मौजूद है।
- महाकुंभ में अखाड़ों की परंपरा भी है, जो इसे दुनियाभर में विशेष बनाती है। इसमें प्रमुख 13 अखाड़े हैं, जो शाही स्नान में शामिल होकर महाकुंभ को खास बनाते हैं। शंकराचार्य ने अखाड़े की स्थापना वैदिक सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए की थी।

- महाकुंभ, धार्मिक रूप से सबसे बड़े आयोजनों में से एक होने के साथ-साथ इसे वैश्विक मान्यता भी प्राप्त है। साल 2017 में यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि लिस्ट में कुंभ मेला को शामिल किया गया था।
- कुंभ मेले का पहला लिखित प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग की कहानियों में मिलता है। ह्वेनसांग, राजा हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान भ्रमण के लिए भारत आए थे। आपको बता दें कि कुंभ मेले का पहला ज्ञात विवरण 629 ईसा पूर्व से 645 ईसा पूर्व की अवधि में मिलता है।
- महाकुंभ में आम जनता की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए कई स्तरों पर अधिकारियों की तैनाती की जाती है। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था राज्य सरकार के उच्च पदस्थ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में संचालित होती है, जो मेले के दौरान कानून-व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, आपातकालीन सेवाओं और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करते हैं। इस बार महाकुंभ में सुरक्षाकर्मियों के अलावा, सेंट्रल एजेंसियां, पैरामिलिट्री फोर्सेज, NSG के कमांडो, स्पेशल टास्क फोर्स, एंटी टरर स्कॉड, NCRF और SDRF की तैनाती की गई है।
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