कुंभ मेला भारत का सबसे विशाल आध्यात्मिक समागम है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु-संत देश-विदेश से संगम में डुबकी लगाने आते हैं। यह मेला विश्वास और भक्ति का अद्भुत संयोग होने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक जीवंत प्रतीक भी माना जाता है। इस विशिष्ट अवसर पर साधु और संत रुद्राक्ष की माला धारण किए नजर आते हैं।
महाकुंभ के दौरान, साधुओं द्वारा रुद्राक्ष पहनने का भी विशेष महत्व होता है। यह माला सिर्फ एक धार्मिक आभूषण नहीं है, बल्कि इसे शक्तिशाली आध्यात्मिक और ज्योतिषीय साधन का प्रतीक भी माना जाता है। आइए, इसी के साथ महाकुंभ पर साधुओं के रुद्राक्ष माला पहनने के महत्व के बारे में सेलिब्रिटी ज्योतिषी डॉ. संदीप कोचर से जान लेते हैं।
रुद्राक्ष माला का पौराणिक और आध्यात्मिक मूल्य
रुद्राक्ष को भगवान शिव का दिव्य वरदान माना जाता है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यह रुद्र, अर्थात् शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है। कुंभ मेले में, जहां शिव के भक्तों की संख्या बड़ी तादात में होती है, वहीं साधुओं के गले में रुद्राक्ष की माला शिव से गहन आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक माना जाता है।कुंभ मेले के दौरान लाखों लोगों की उपस्थिति और विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं का समागम होता है। इस स्थिति में साधुओं के लिए ध्यान और साधना करना एक चुनौती बन सकता है। रुद्राक्ष माला में विशिष्ट चुंबकीय और ऊर्जा संतुलन विशेषताएं होती हैं, जो साधुओं को अपनी साधना में स्थिरता बनाए रखने में सहायता करती हैं। यह माला उन्हें कुंभ जैसे विशाल आयोजनों में मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करती है।
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नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
कुंभ के दौरान साधुओं को अपनी साधना और तपस्या स्थिर रखने के लिए नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। रुद्राक्ष माला साधुओं को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के साथ-साथ उन्हें आध्यात्मिक सुरक्षा भी प्रदान करती है। यह माला साधुओं के लिए एक सुरक्षा कवच के समान कार्य करती है, जो उन्हें बाहरी विकर्षणों से बचाने में सहायक होती है।
ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टिकोण
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, रुद्राक्ष माला को धारण करने से ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम किया जा सकता है। खासकर कुंभ जैसी पवित्र घटनाओं के दौरान, जहाँ ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति विशेष महत्त्व रखती है, रुद्राक्ष माला का महत्व और बढ़कर सामने आता है। यह माला साधुओं को उनकी साधना को और प्रभावशाली बनाने में सहायक होती है।कुंभ मेला एक तीर्थ यात्रा ही नहीं है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक जागृति का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। रुद्राक्ष माला साधुओं के साधना में आवश्यक भूमिका निभाती है, जो उन्हें इस पवित्र समय में अपनी भक्ति और तपस्या को और भी गहराई से निभाने में सहायता करती है।
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