Maha Kumbh 2025: महाकुंभ भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक अभूतपूर्व मेला है, जिसे हर 12 वर्षों में मनाया जाता है। यह अवसर धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से ही नहीं, बल्कि खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। महाकुंभ के दौरान, अमावस्या का विशेष महत्व होता है। मौनी अमावस्या सिर्फ एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। महाकुंभ के दौरान इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि यह दिन भक्ति, साधना, और कर्म के साथ मोक्ष का द्वार खोलता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह दिन पवित्रता, दान और तपस्या के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। आइए इसी के साथ मौनी अमावस्या से जुड़े खास पहलुओं के बारे में सेलिब्रिटी ज्योतिषी डॉ. संदीप कोचर से जान लेते हैं।
मौनी अमावस्या का चंद्रमा से है संबंध
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मौनी अमावस्या का सीधा संबंध चंद्रमा की ऊर्जा से है, जो हमारे मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है, क्योंकि जब अमावस्या आती है, तो चंद्रमा पूर्ण अंधकार में होता है, जो हमारी आंतरिक ऊर्जा और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह दिन आत्मनिरीक्षण, ध्यान और आंतरिक शांति की प्राप्ति के लिए बेहद अहम माना जाता है। महाकुंभ के दौरान, मौनी अमावस्या का महत्व और भी अधिक इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करना विशेष फलदाई माना जाता है।
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महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या का क्या है महत्व?
महाकुंभ के दौरान अमावस्या का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह हमारे पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष प्रदान करता है। साथ ही, इस खास दिन पर पवित्र स्नान करने से पापों का नाश होता है। मौनी अमावस्या के समय चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में होते हैं, जिससे विशिष्ट ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा साधना और तपस्या के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। इसी कारण महाकुंभ की अमावस्या पर श्रद्धालु और साधु-संत गंगा स्नान का करते हैं। महाकुंभ में अमावस्या पर किया गया स्नान और ध्यान व्यक्ति को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करता है। यह दिन आंतरिक विकास, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और ईश्वर के साथ संबंध स्थापित करने के लिए विशिष्ट है। महाकुंभ की यह अमावस्या हमें अपने जीवन में संतुलन, आत्म-शुद्धि, और परमात्मा के निकट पहुंचने का संदेश देता है।
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