Maha Kumbh 2025: इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से भव्य महाकुंभ मेले की आयोजन हो चुकी है। ऐसे में, महाकुंभ की चर्चा हर जगह देखने को मिल रहा है। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ महाकुंभ स्नान करने बड़ी तादात में जा रहे हैं। महाकुंभ आस्था का अनूठा संगम है और इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है।
महाकुंभ में स्नान करने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और साधु-संतों क जमावड़ा लगता है। सभी पवित्र त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि कुंभ महापर्व एक खगोलीय संयोग के दौरान मनाया जाता है। यह पर्व हर 12 साल पर चार पवित्र स्थान हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन पर बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना, सरस्वती, शिप्रा और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में लोग श्रद्धा भाव से आस्था की डुबकी लगाते हैं। लेकिन ‘कुंभ’ शब्द की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, इसका विवरण आपको ऋग्वेद में मिल जाएगा। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथों और वेद-पुराणओं में कुंभ का क्या अर्थ बताया गया है।
विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है महाकुंभ
महाकुंभ को विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। साथ ही, कुंभ मेले को भारत का सबसे बड़ा तीर्थ माना गया है। साल 2017 में यूनेस्को द्वारा इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया था। कुंभ मेले के आयोजन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इसके अनुसार, कुंभ आयोजन का संबंध समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है, लेकिन 'कुंभ' शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जानकारी ऋग्वेद से मिलती है।
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ऋग्वेद में कुंभ का क्या अर्थ है?
वेदों में 'कुंभ' शब्द का इस्तेमाल यूं तो कई स्थानों पर किया गया है, जिसका संबंध घड़ा और जल-प्रवाह से है। ऋग्वेद के 10वें मंडल के 89 सूक्त के 7वें मंत्र में 'कुंभ' शब्द मिलता है, जोकि इंद्र के बारे में कहता है। मंत्र में इंद्र को शत्रुनाशक और जल प्रदान करने वाला बताया गया है। ऋग्वेद में कुंभ का अर्थ कच्चे घड़े से है, लेकिन कुंभ मेला या फिर स्नान से इसका कोई संबंध नहीं है। वहीं ऋग्वेद के 600 साल बाद लिखे अर्थवेद में पहली बार 'पूर्ण कुंभ' शब्द मिलता है, जो चौथी मंडल के 34वें सूक्त में है। इसमें पूर्ण कुंभ को समय का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा, महाभारत और पुराणों में प्रयाग का भी उल्लेख देखने को मिलता है। हालांकि, वेद-पुराणों में मेले के रूप में कुंभ का कोई स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है।
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