Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में हठयोगी क्यों नहीं काटते हैं अपने नाखून और बाल?

महाकुंभ एक ऐसा महा पर्व है जहां भिन्न-भिन्न प्रकार के और अलग-अलग मठों से आए साधु-संतों के दर्शन होते हैं। महाकुंभ में साधु-संतों के बीच हठ योगी भी पधारते हैं।  
hath yogi rituals in maha kumbh

आज 13 जनवरी, दिन सोमवार, पौष पूर्णिमा से महा कुंभ का आरंभ हो चुका है। महाकुंभ के पहले दिन ही शाही स्नान किया जा रहा है। सबसे पहले नागा साधु शाही स्नान करेंगे और फिर उसके बाद अन्य गृहस्थ भक्तों को स्नान की आज्ञा होगी। महाकुंभ एक ऐसा महा पर्व है जहां भिन्न-भिन्न प्रकार के और अलग-अलग मठों से आए साधु-संतों के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि महाकुंभ जिस भी व्यक्ति ने अपने जीवन काल में एक बार भी देख लिया या उसका हिस्सा बन गया तो मानो उस व्यक्ति का कल्याण ही कल्याण भगवान द्वारा निश्चित है।

महाकुंभ में साधु-संतों के बीच हठ योगी भी पधारते हैं। हठ योगी संतों की वो श्रेणी होती है जहां संत एक विशेष योग मुद्रा में सालों से ताप करते हैं। अमूमन तौर पर जो साधु-संत होते हैं उनके नियम फिर भी थोड़े सरल होते हैं लेकिन हठ योगियों के नियम बहुत कठिन माने जाते हैं। इन्हीं नियमों में से एक है बाल और नाखून न काटना। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में।

महाकुंभ में हठ योगी क्यों नहीं कटवाते हैं बाल और नाखून?

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हठ योगी भगवान शिव की साधना में लीन रहते हैं। भगवान शिव के स्वरूप को याद किया जाए तो स्वयं महादेव की भी जटाएं हैं। ऐसे में हठ योगी जब अपने केशों को जटाओं में परिवर्तित करते हैं तो वह एक प्रकार से भगवान शिव के प्रतीक को धारण कर रहे हैं।

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ऐसे में जटाओं को काटना शिव शंभू शंकर के अपमान के समान है। महाकुंभ में जिन जटाओं को जब प्रयागराज में स्नान कराया जाता है या यूं कहें कि धोया जाता है तब संपूर्ण दिव्यता हठ योगियों की इन्हीं जटाओं में समाहित हो जाती है जिसका आभास सिर्फ उन्हें ही होता है।

why hath yogi not cut their nails or hair in maha kumbh

महाकुंभ के दौरान या फिर जब महाकुंभ नहीं भी होता है तब हठ योगी अपने नाखून भी नहीं काटते हैं क्योंकि नाखून काटना शारीरिक मोह को दर्शाता है। हठ योगियों में शरीर के प्रति हर प्रकार के लगाव को छोड़ने का नियम होता है। ऐसे में वो अपने शरीर के रखरखाव पर ध्यान नहीं देते हैं।

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महाकुंभ में हठयोगी अपना हठ दिखाने नहीं आते हैं बल्कि भगवान शिव की कृपा प्राप्ति और प्रयागराज संगम पर स्नान कर अपने हठ योग को पूर्ण समापन की ओर ले जाने के लिए आते हैं क्योंकि इसके बाद उन्हें आगे स्वयं महादेव प्राप्त हो जाते हैं और हठ योगियों में दिव्य शक्तियां आ जाती हैं।

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image credit: herzindagi

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