Prayagraj Kumbh Mela 2025: 12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। 144 वर्षों बाद आने वाले इस पर्व का साक्ष्य बनने के लिए दुनियाभर से करोड़ों लोग इस प्रयागराज आ रहे हैं। 13 जनवरी से प्रारंभ हुए महाकुंभ का समापन 26 फरवरी, 2025 को होगा। 2-3 फरवरी बसंत पंचमी पर नागा साधु और अन्य संतों ने शाही स्नान किया। इसके बाद अन्य लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। ऐसा माना जाता है कि इस स्नान से व्यक्ति के सभी पाप खत्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में स्नान को लेकर कई नियम बनाए गए हैं कि कब और कौन संगम में पहली डुबकी लगाएगा। इसके साथ ही गृहस्थ और अविवाहित लोगों को कितनी डुबकी लगानी चाहिए। हालांकि, कुछ लोग स्नान के दौरान कुछ गलतियां कर देते हैं, जिससे उन्हें इसके पुण्य नहीं मिलता है। इस लेख में आज हम आपको इलाहाबाद के पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि डुबकी लगाते वक्त कौन अंग छूना चाहिए।
नदी या संगम में स्नान करने को लेकर प्राचीन समय से कुछ नियम बनाए गए हैं। इन नियमों के तहत स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य मिलता है। साथ ही उसके द्वारा किए गए पाप से मुक्ति मिलती है। हम सभी स्नान करते वक्त नदी में नाक बंद कर जल में डुबकी लगाते हैं। वहीं कुछ लोग नाक और कान या केवल कान पकड़कर नदी में स्नान करते है। बता दें, कि आप स्नान करते वक्त आप नाक और कान दोनों को छूकर डुबकी लगा सकते हैं। अब ऐसे में सवाल यह आता है कि महाकुंभ स्नान के दौरान आखिर कान और नाक छूकर क्यों डुबकी लगाया जाता है।
आमतौर हम सभी नाक पकड़कर पर पानी में डुबकी लगाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर नाक ही क्यों पकड़ते हैं। पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी जी कहते हैं कि संगम में स्नान करते समय नाक पकड़कर डुबकी लगाना एक परंपरा है, जिसे कुछ श्रद्धालु अनुसरण करते हैं। यह परंपरा विशेष रूप से उन लोगों द्वारा की जाती है जो पवित्र जल में स्नान करने के साथ-साथ शरीर और आत्मा की शुद्धि की ओर अग्रसर होते हैं।
नाक पकड़कर डुबकी लगाने को ऐसा माना जाता है इससे शरीर की शुद्धि और मन की पवित्रता होती है। साथ ही नाक से जुड़ी हुई संवेदी प्रणाली को शुद्ध करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि इस क्रिया से सांस की समस्याएं दूर होती हैं और व्यक्ति को आंतरिक शांति मिलती है।
हम में कई लोग ऐसे हैं, जो डुबकी लगाते वक्त नाक नहीं बल्कि कान पकड़कर पानी में स्नान करते हैं। बता दें कान पकड़कर पानी में डुबकी लगाना एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसे कुछ लोग संगम में स्नान करते समय पालन करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कान को पकड़कर डुबकी लगाने से मानसिक शुद्धि, आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। कान की शुद्धि से व्यक्ति को बुरे विचारों और नकारात्मक चीजों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, प्राचीन समय से कान को आध्यात्मिक दृष्टिकोण और ध्यान को भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि कानों से ही हम दुनिया की आवाजों को सुनते हैं और शुद्ध कान हमें शांति की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
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