image

Magh Mela 2026: कब से शुरू हो रहा है माघ मेला? शाही स्नान की सभी तिथियों, कल्पवास का महत्व समेत अन्य जरूरी बातें यहां जानें

Magh Mela Kab Hai 2026: हर साल माघ मेले का आयोजन प्रयागराज की पावन धरती पर किया जाता है। पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाला यह मेला संगम स्नान, कल्पवास और दान-पुण्य के लिए विशेष माना जाता है। हर साल इस दौरान प्रयागराज पर लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक के लिए एकत्र होते हैं। आइए आपको बताते हैं इस साल 2026 में आयोजित होने वाले माघ मेले से जुड़ी कुछ बातें।
Editorial
Updated:- 2025-12-31, 13:52 IST

प्रयागराज की पावन धरती पर आयोजित होने वाला माघ मेला  हर साल माघ के महीने में आयोजित होता है। इसका आरंभ पौष पूर्णिमा से होता है और समापन महाशिवरात्रि पर होता है। यह भारतीय सनातन परंपरा, आस्था और तपस्या का अद्भुत संगम होता है। हर साल माघ मास में गंगा, यमुना और अदृश्य नदी सरस्वती के संगम तट पर लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान, दान, जप-तप और कल्पवास के लिए एकत्र होते हैं। माघ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन होता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, साधना और सामाजिक एकता का भी प्रतीक माना जाता है। इस साल माघ मेला 2026 को लेकर श्रद्धालुओं में पहले से ही खास उत्साह देखने को मिल रहा है और भक्त बेसब्री से माघ मेला का इंतजार कर रहे हैं। यही नहीं इस इसे लेकर गूगल ट्रेंड्स में भी बहुत से सवाल पूछे जा रहे हैं। माघ मेले का सबसे विशेष पक्ष कल्पवास को माना जाता है। गूगल पर पूछे जाने वाले कई सवालों में से एक है माघ मेला कब शुरू हो रहा है? शाही स्नान की तिथियां क्या हैं और इससे जुड़ी अन्य बातें जानें ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से।

कब से शुरू हो रहा है माघ मेला

माघ मेला इस साल 03 जनवरी, पौष पूर्णिमा के पहले स्नान से शुरू होकर 15 फरवरी, शिवरात्रि के आखिरी स्नान तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न पर्वों और शाही स्नान की शुभ तिथियों के अनुसार श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। यह आयोजन लगभग 44 दिनों तक चलता है और इस दौरान संगम पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्नान के लिए उमड़ती है।

magh mela dates

यह भी पढ़ें- Magh Mela 2026 Prayagraj: प्रयागराज में हर साल क्यों लगता है माघ मेला? इतिहास, महत्व के साथ जानें अन्य जरूरी बातें

माघ मेला 2026 में प्रमुख स्नान तिथियां कौन-सी हैं?

माघ मेला के दौरान प्रयागराज में संगम स्नान का विशेष महत्व होता है और इस दौरान कुछ तिथियों को सबसे अधिक पुण्यकारी माना जाता है। 2026 में प्रयागराज में माघ मेले की कुछ प्रमुख स्नान की तिथियां हैं। आइए जानें उनके बारे में यहां विस्तार से-

स्नान तिथि तारीख  दिन
पौष पूर्णिमा 3 जनवरी 2026 शनिवार
मकर संक्रांति  14 जनवरी 2026 बुधवार
मौनी अमावस्या 18 जनवरी 2026  रविवार
बसंत पंचमी 23 जनवरी 2026 शुक्रवार
माघी पूर्णिमा 1 फरवरी 2026 रविवार
महाशिवरात्रि 15 फरवरी 2026 रविवार

पौष पूर्णिमा-3 जनवरी 2026, शनिवार

यह माघ मेला का उद्घाटन दिवस माना जाता है और इसी दिन कल्पवास की शुरुआत भी होती है। श्रद्धालुजन इस दिन संगम में स्नान करके आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत करते हैं।

मकर संक्रांति- 14 जनवरी 2026, बुधवार

माघ मेले का दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन पड़ेगा और इस दिन से ही सूर्य का मकर राशि में प्रवेश भी होता है, इसलिए इस स्नान का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।  

मौनी अमावस्या -18 जनवरी 2026, रविवार

इस दिन के स्नान को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मौन साधना, श्राद्ध, दान-पुण्य और विशेष पूजा भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धालु मौन व्रत करके त्रिवेणी में स्नान करते हैं और शुभ फलों की कामना करते हैं।

बसंत पंचमी- 23 जनवरी 2026, शुक्रवार

बसंत ऋतु के दिन मुख्य रूप से माता सरस्वती की पूजा की जाती है और इस दिन के स्नान को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन को माता सरस्वती की पूजा और ज्ञान-प्राप्ति के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।

माघी पूर्णिमा- 1 फरवरी 2026, रविवार

माघ पूर्णिमा के दिन से ही कल्पवास का समापन होता है और इस दिन संगम में स्नान करने को बहुत शुभ माना जाता है।

महाशिवरात्रि -15 फरवरी 2026, रविवार

माघ मेला का अंतिम और सबसे पवित्र स्नान माघ मेले के समापन यानी कि महाशिवरात्रि के दिन होता है। इस दिन शिव जी की उपासना के साथ यदि संगम में स्नान किया जाता है तो इसके शुभ फल मिलते हैं।

magh mela facts

माघ मेला में क्या होता है कल्पवास का महत्व और नियम

कल्पवास माघ मेला का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। कल्पवास वह समय है जब श्रद्धालु त्रिवेणी संगम के किनारे पूरे माघ मास यानी कि लगभग एक महीने तक साधना, तपस्या और संयम का पालन करते हैं। इस दौरान श्रद्धालु बाहरी दुनिया से दूरी बना लेते हैं और कल्पवास के नियमों का पालन भी करते हैं। कल्पवास एक महीने, एक साल, 12 साल या पूरे जीवन भी किया जा सकता है। कल्पवास के कुछ प्रमुख नियम बनाए गए हैं जिनका पालन जरूरी माना जाता है। कल्पवास के नियमों के बारे में यहां जानें-

  • अगर आप माघ मेले में कल्पवास कर रहे हैं तो आपको एक महीने तक नियमित सूर्योदय से पहले यानी ब्रह्म मुहूर्त में ही गंगा में स्नान करना चाहिए।
  • इस दौरान कम से कम भोजन करना चाहिए और साधना, ध्यान, जाप, भजन-कीर्तन में लीन रहना चाहिए,जिससे आपको कल्पवास के पूर्ण फल मिलें।
  • कल्पवास के दौरान आपको दान-पुण्य का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

magh mela google trends

माघ मेला में कौन-कौन से पूजा-पाठ किए जाते हैं?

माघ मेला केवल स्नान करने का  समय नहीं होता है बल्कि यह सूर्य की पूजा का समय भी होता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव है जिसमें कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इस दौरान संगम पर ही तीनों नदियों की पूजा की जाती है जिसमें गंगा-यमुना-सरस्वती नदियों की एक साथ पूजा की जाती है। वैसे तो त्रिवेणी संगम का स्नान ही सबसे बड़ा अनुष्ठान माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु त्रिवेणी के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति चाहते हैं। इस दौरान नियमित पूजा, हवन-यज्ञ और व्रत अनुष्ठान भी किए जाते हैं और इस उनका उद्देश्य पुण्य की प्राप्ति करना होता है।

यह भी पढ़ें- Magh Mela 2026: साल 2024 से कितना अलग होगा इस साल का माघ मेला, तैयारी से लेकर सुविधा तक, हर डिटेल्स जानें यहां

 

माघ मेला में किन चीजों का दान शुभ माना जाता है?

माघ मेला के दौरान दान-पुण्य करने का सबसे ज्यादा महत्व होता है और माघ मेला के दौरान यदि आप कुछ चीजों का दान करती हैं तो शुभ फल मिलते हैं। आइए जानें इस दौरान किन चीजों का दान फलदायी हो सकता है।

  • अन्न दान- अगर आप माघ मेले के दौरान चावल, गेहूं, दाल आदि खाद्य सामग्रियों का दान करती हैं तो समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं इससे पुण्य फलों की प्राप्ति भी हो सकती है।
  • वस्त्र दान- इस दौरान यदि आप जरूरतमंदों को ऊनी वस्त्रों का दान करती हैं जैसे कंबल, चादर, वस्त्र आदि जरूरतमंदों को देती हैं तो घर में समृद्धि बनी रहती है।
  • तिल, घी और गुड़ का दान- अगर आप माघ मेले में काले तिल, गुड़ और घी का दान करती हैं तो बहुत शुभ माना जाता है।
  • गायों का दान- अगर आप माघ मेले में गायों का दान करेंगी तो आपके लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाएगा।

माघ मेले से जुड़ी ये बातें इस समय को और खास बनाती हैं। वहीं इस दौरान होने वाले पूजा-पाठ और कल्पवास का अपना अलग महत्व है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;