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महालया है आज लेकिन दुर्गा पूजा होगी 35 दिनों के बाद, जानें क्‍या है इसमें खास

इस साल दुर्गा पूजा का उत्सव महालया के एक महीने बाद शुरू होगा। ऐसा क्‍यों है? आइए इस बारे में आर्टिकल के माध्‍यम से विस्‍तार में जानें। 
Editorial
Updated:- 2020-09-17, 11:46 IST

महालया पितृ पक्ष श्राद्ध के अंत का प्रतीक है और बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा की शुरुआत है। इस साल महालया अमावस्या 17 सितंबर, 2020 को यानि आज मनाया जा रहा है। आमतौर पर दुर्गा पूजा के लिए उत्सव महालया के सात दिन बाद शुरू होते हैं। लेकिन 2020 में यह बहुप्रतीक्षित त्योहार महालया के एक महीने बाद आयोजित किया जाएगा। इस साल दुर्गा पूजा समारोह 22 अक्टूबर (षष्ठी) और 26 अक्टूबर (विजयादशमी) के बीच आयोजित किया जाएगा। इस साल ऐसा क्‍यों होने जा रहा है? ज्‍यादातर लोगों के मन में इससे जुड़े कई सवाल हैं। अगर आपके मन में भी ऐसा कुछ है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें। 

बंगाल में महालया अमावस्या का काफी महत्व है। जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि महालया से ही पितृपक्ष श्राद्ध का समापन होता है और दुर्गा पूजा का प्रारंभ होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही मां दुर्गा धरती पर आगमन करती हैं और आगामी 10 दिनों के लिए धरती पर ही वास करती हैं। किन्तु इस बार मलमास के कारण ऐसा होना संभव नहीं है।

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महालया के 35 दिन बाद दुर्गा पूजा 2020 क्यों होगी?

बिसुधा सिद्धान्त और सूर्यसिद्धांत के अनुसार, पंचांग के दोनों स्कूल, महालया और दुर्गा पूजा के बीच का असामान्य अंतर 'मलमास' या एक चंद्र माह के कारण होता है, जो दो नए चंद्रमा हैं। इस महीने के दौरान कोई भी शुभ त्योहार या अनुष्ठान नहीं देखा जा सकता है। बंगाली महीना आश्विन एक चंद्र महीना है और दुर्गा पूजा समाप्त होने के बाद ही आयोजित किया जा सकता है।

हालांकि यह एक असामान्य समय है, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि दुर्गा पूजा में देरी होगी। आखिरी बार ऐसा 2001 में हुआ था जब दुर्गा पूजा महालया के 30 दिन बाद मनाई गई थी। कहा जाता है कि बंगाली महालया के समय से ही उत्सव के मूड में आ जाते हैं। जबकि पूजा पंडालों को अंतिम रूप मिल जाता है, लोग नए कपड़े खरीदना शुरू कर देते हैं और त्योहार के लिए योजना बनाते हैं, हालांकि इस महामारी के बीच उत्सव अलग होने की संभावना है।

 

क्‍या होता है मलमास? 

हिन्दू कैलेंडर में 30 तिथियां होती हैं, जिसमें 15 दिन कृष्ण पक्ष के और 15 दिन शुक्ल पक्ष के माने जाते हैं। कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा होती है। सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर हिन्दू कैलेंडर बनाया जाता है। इस कैलेंडर की तिथियां घटती बढ़ती रहती हैं, यह अंग्रेजी कैलेंडर के 24 घंटे के एक दिन जैसे निर्धारित नहीं होती हैं। तीन वर्ष तक जो तिथियां घटती और बढ़ती हैं उनसे बचे समय से हर तीन वर्ष पर एक माह का निर्माण होता है जो मलमास कहलाता है।

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कैसे मनाया जाता है महालया?

यह हर बंगाली के लिए एक प्रसिद्ध दिन है। इस दिन वह धार्मिक रूप से बिरेंद्र कृष्ण भद्रा द्वारा महिषासुर मर्दिनी नामक मंत्रों के रेडियो पाठ को सुनने के लिए सुबह 4 बजे उठता है। मंत्रों को देवी का आह्वान करने के लिए किया जाता है और धार्मिक भजनों को हिंदू धार्मिक ग्रंथ देवी महात्म्यम या ''देवी की महिमा'' से लिया जाता है। ''जागो तुमी जागो'' सबसे आम भजनों में से एक है। इस अवसर पर एक और फेमस त्योहार की शुरुआत होती है जिसे दुर्गा पूजा कहा जाता है। 

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यह अवसर विभिन्न प्रथाओं और अनुष्ठानों के साथ जुड़ा हुआ है। बहुत से लोग इस दिन 'तर्पण' करते हैं और अपने पूर्वजों की दिवंगत आत्माओं की पूजा करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन और सामग्री के साथ 'भोग' देते हैं। इस दिन को शुभ माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन देवी दुर्गा अपने बच्चों के साथ पृथ्वी पर कदम रखती हैं। 

 

यह माना जाता है कि देवी दुर्गा ने कैलाश पर्वत से अपनी यात्रा की शुरुआत महालया के बाद पृथ्वी पर स्थित अपने घर, एक पालकी, नाव, हाथी या घोड़े पर की थी। 'देवी पक्ष' या दुर्गा पूजा मनाए जाने का शुभ काल, 17 अक्टूबर को 'प्रतिपदा' या शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होगा। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें। 

Image Credit: Twitter.com

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