5 Nights of Shab-e-Qadr: रमजान का महीना बेहद खास होता है, लेकिन इसके आखिरी 10 दिन सबसे ज्यादा बरकत और रहमत वाले होते हैं। इन रातों में से कोई एक रात शब-ए-कद्र है, जो हजार महीनों की इबादत से बेहतर मानी जाती है। यही वजह है कि इस मुबारक रात का हर मुसलमान बहुत ही बेसब्री से इंतजार करता है।
इस मुबारक रात को की गई हर इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप इस रात को जागकर अल्लाह की याद में बिताते हैं, तो यह आपकी जिंदगी का सबसे बड़ा इनाम साबित हो सकता है। यह रात 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं में एक होती है। सबसे ज्यादा 27वीं रात में शब-ए-कद्र मानी जाती है।
इस रात अल्लाह अपने बंदों की दुआओं को कबूल करते हैं और उनकी किस्मत संवारते हैं। आप भी कसरत से इबादत करें, लेकिन ये पांच काम करना न भूलें।
इन मुबारक रात को आप ज्यादा से ज्यादा इबादत करें। रोजा रखें, पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ नफ्ल नमाज अदा करें। आप नमाज-ए-तहज्जुद, नमाज-ए-तौबा पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, कुरान-ए-पाक की तिलावत करें, खासकर सूरह अल-कद्र, सूरह यासीन और सूरह रहमान पढ़ें।
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इसके साथ-साथ तसबीह पढ़ें जैसे- सुभानल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर और ला इलाहा इल्लल्लाह आदि। इन तसबीह को सच्चे दिल से पढ़ें और दुआ करें।
यह रात अल्लाह से अपनी गलतियों की माफी मांगने की रात है। जितना हो सके अल्लाह से रोकर दुआ करें और अपनी की गई गलतियों का एहसास करें और अल्लाह से दुआ करें कि वह आपको दोबारा गुनाह करने से बचाए।
अल्लाह को राजी करें और लगातार सच्चे दिल से अस्तगफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि जंबिन व अतुबू इलैह पढ़ें। बता दें यह दुआ तौबा करने के लिए ही पढ़ी जाती है, जिसे आप हर नमाज के बाद भी पढ़ सकते हैं।
वैसे को पूरे साल अल्लाह की राह में खर्च किया जाना चाहिए। मगर इस रात किए गए नेक कामों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए जितना हो सके गरीबों, यतीमों और जरूरतमंद की मदद करें।
खाने-पीने की चीजें बांटे, जकात निकालें और किसी भी तरह की मदद करें। अल्लाह ऐसे बंदों से बहुत ही खुश होता है और हदीस में आता है कि सबसे बेहतरीन इंसान वह है, जो दूसरों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हो।
इस रात अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ कबूल करता है। इसलिए अपने लिए, अपने परिवार, मां-बाप, दोस्तों और पूरी उम्मत के लिए दुआ करें। साथ ही, जो लोग इस दुनिया से चले गए हैं, उनके लिए मगफिरत की दुआ करें।
कसरत से अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फअफू अन्नी पढ़ें। इसका मतलब है हे अल्लाह! तू माफ करने वाला है, माफी को पसंद करता है, मुझे भी माफ कर दे।
मां-बाप हमारे लिए अल्लाह की सबसे बड़ी नेमत हैं। उनकी दुआएं हमारी जिंदगी में बरकत, कामयाबी और सकून लाती हैं। इस्लाम में भी मां-बाप की खिदमत और इज्जत करने पर बहुत जोर दिया गया है। इस रात उन्हें भी माफी मांगे और उनकी जरूरतों का ख्याल रखें।
अगर आपके मां-बाप इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनकी क्रब पर जाकर दरूद पढ़ें। साथ ही, उनके लिए मगफिरत और जन्नत की दुआ करें। मां-बाप की दुआएं ही हमारी तकदीर बदल सकती हैं। इसलिए उनकी कद्र करें, उनसे प्यार करें और उनकी खिदमत करके दुनिया और आखिरत में कामयाबी पाएं।
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तो आइए, इस शब-ए-कद्र की रात अपने लिए और पूरी उम्मत के लिए दुआ करें और अल्लाह की रहमत पाएं। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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