रमज़ान का महीना चल रहा है और यकीनन आप सभी मुस्लिम भाई-बहन को कसरत से अल्लाह की इबादत करते देख रहे होंगे। कितना खूबसूरत मंज़र होता है ना जब हमारा मुस्लिम भाई नमाज़ पढ़ता है और खो जाता है अल्लाह की इबादत करने में, नमाज़ अदा करने में। सबसे ज्यादा मज़ा तो तब आता है जब हम किसी दोस्त के यहां इफ्तार करने के लिए जाते हैं।
इफ्तार में न सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजन होते हैं बल्कि शिद्दत से दुआएं भी मांगी जाती हैं। कई अल्फाज़ तो ऐसे होते हैं जिन्हें मुस्लिम समुदाय के लोग कसरत से बोलते हैं जैसे- माशाल्लाह, सुब्हान अल्लाह, अस्तगफार, अस्तगफिरुल्लाह। मगर इसके असल मतलब से कोई वाकिफ नहीं होता। अगर आपको भी हमें अस्तगफिरुल्लाह का मतलब नहीं पता तो आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
अस्तगफिरूल्ला क्या है?
अस्तगफिरूल्ला एक इस्लामिक शब्द है, जिसका इस्तेमाल अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए किया जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि मैं खुदा से अपने किए गए सभी गुनाहों की माफी मांगता या मांगती हूं। मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि यह तभी बोला जाए जब हम गलती करते हैं।
अस्तगफिरूल्ला एक ऐसा शब्द है जिसे लोग अल्लाह से अपनी माफी मांगने के लिए उपयोग करते हैं और दुआ पढ़ी जाती है। (Sorry का असली मतलब क्या जानते हैं आप?)
इसे ज़रूर पढ़ें-Ramadan Duas: रमज़ान के पाक महीने में पढ़ी जाने वाली खास दुआएं
अस्तगफिरूल्ला कब बोला जाता है?
अस्तगफिरूल्ला का मतलब तो हमने समझ लिया, लेकिन इसकी तिलावत कब करनी चाहिए। इसकी जानकारी भी हमें होना बहुत जरूरी है...कहा जाता है कि जब हम अपने किए गए गुनाहों की पश्चाताप करते हैं और हमें एहसास होता है कि हमने कोई गुनाह किया है।
तब हम अस्तगफिरूल्ला शब्द बोल सकते हैं। यह सब बोलने से अल्लाह हमें समझता है और हमारी किए गए गुनाहों को माफ कर देता है। हालांकि, यह हमारी नीयत पर भी निर्भर करता है।
अस्तगफार की फजीलत
अस्तगफार की फजीलत यह है कि इसकी तिलावत कसरत से करते रहनी चाहिए क्योंकि हुजुर नबी करीम फरमाते हैं कि जो हमेशा अस्तगफार करता रहता है अल्लाह पाक उसके गम से, तंगी से निजात देकर ऐसी जगह से रोज़ी देता है जहां से उसे वहम-ओ-गुमान भी नहीं होता। (Minute को हिंदी में क्या कहते हैं?)
इसे ज़रूर पढ़ें-Roza Rakhne or Kholne Ki Dua: रोज़ा रखने से लेकर रोज़ा खोलने की दुआ यहां जानें
अस्तगफार की दुआ
अल्लाह पाक ने फरमाया गुनाहों से तौबा अस्तगफार पढ़ने की वजह से आदमी ऐसा हो जाता है जैस गुनाह किया ही नहीं है। अगर आप भी अस्तगफार पढ़ना चाहते हैं तो आपको नीचे बताई गई दुआ को पढ़ा होगा।
“अस्तग़ फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिंव व आतुबो इलैह“
“Astaghfirullah Rabbi Min Kulli Zambiyon Wa Atoobu Ilaiyh“
दुआ का मतलब है कि मैं बख्शिश चाहता हूं उस अल्लाह से, जिस के सिवा कोई माबूद नहीं, मगर वही हमेशा जिन्दा रहेगा और मै उसी की तरफ मुतवज्जेह हूं।
उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों