भारत में सभी धर्म के लोग अपने भगवान, अल्लाह या ईश्वर की पूजा करते हैं, क्योंकि हर धर्म में हर चीज़ का एक Scientific Reason होता है। नमाज़ को रोजाना पढ़ने से लोगों को कई तरह से मानसिक और शारीरिक फायदे भी होते हैं। इसलिए हर मुसलमान हर दिन पांच वक्त की नमाज़ पढ़ता है।
आपने भी यकीनन मुसलमानों को नमाज़ पढ़ते देखा होगा, क्योंकि रोज़ाना पांच वक्त की नमाज़ पढ़ना इस्लाम का एक बुनियादी हिस्सा है। बता दें कि इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सभी लोगों पर नमाज़ वाजिब हो जाती है, फिर चाहे मर्द हो या औरत, गरीब हो या मालदार, सभी लोगों को 5 वक्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है।
कुरान के मुताबिक जन्नत की कुंजी में से एक कुंजी नमाज़ है। ऐसे में पांच वक्त की नमाज़ समय से अदा करना बेहद जरूरी है। मगर इससे पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि नमाज़ों के नाम क्या हैं, किस वक्त नमाज़ अदा की जाती है और हर नमाज में कितनी रकात होती हैं। तो देर किस बात की आइए विस्तार से इस लेख में जानते हैं।
किसे कहते हैं नमाज़?
नमाज़ को अरबी भाषा में सलाह कहते हैं, जिसमें अल्लाह की इबादत यानि पूजा की जाती है और कुरान पढ़ जाता है। नमाज़ के जरिए ही अल्लाह पाक से अपनी गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इसके अलावा, नमाज़ के अंदर कई तरह की पोजीशन होती हैं, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक लाभ भी देती हैं।
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पांच नमाज़ों के नाम
नमाज़ हर मुसलमान पर वाजिब है, जिसे सबको कसरत से पढ़नी चाहिए। इन पांच नमाज़ों के नाम फज्र (तड़के), जुहर (दोपहर), अस्र (सूरज ढलने से पहले), मगरिब (सूरज छिपने के बाद) और ईशा (रात) है। इन नमाज़ों को अलग-अलग वक्त पर अदा किया जाता है। इसके अलावा भी कई नफील नमाजें हैं, जो अलग-अलग दिन और अलग-अलग मौकों पर पढ़ी जाती हैं।
फज़र की नमाज़
सुबह के सूरज निकलने से पहले फज़र की नमाज़ पढ़ी जाती है। इस नमाज़ में सिर्फ 4 रकत नमाज़ होती हैं, जिसमें 2 रकअत सुन्नत नमाज़ और 2 रकअत फ़र्ज़ नमाज़ होती है।
ज़ोहर की नमाज़
ज़ोहर की नमाज़ दिन की दूसरी नमाज़ होती है। इसमें पूरे 12 रकअत नमाज़ होती हैं, जिसमें 4 सुन्नत नमाज़, 4 फ़र्ज़ नमाज़, 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल नमाज़ होती है।
असर की नमाज़
इस्लाम की तीसरी नमाज़ का नाम असर की नमाज़ है। यह दिन के लगभग सूरज ढूढ़ने से पहले पढ़ी जाती है। असर की नमाज़ में 4 सुन्नत और 4 फ़र्ज़ नमाज़ होती है।
मग़रिब की नमाज़
इस्लाम की चौथी नमाज़ मग़रिब की नमाज़ है, जो दिन के आखिरी हिस्से से पहले पढ़ी जाती है। इस नमाज़ के बाद सूरज ढल जाता है। इस नमाज़ में 3 फ़र्ज़ नमाज़ 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल नमाज़ होती है।
ईशा की नमाज़
इस्लाम की पांचवीं और आखिरी नमाज़ ईशा की नमाज़ है। ईशा की नमाज़ में सबसे ज़्यादा 17 रकअत होती हैं। (रमज़ान में तरावीह की दुआ से लेकर नियत करने का सही तरीका यहां जानें)
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नमाज़ अदा करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
- जन्नत की कुंजी में से एक कुंजी नमाज़ है। ऐसे में पांच वक्त की नमाज़ समय से अदा करना बेहद जरूरी है। लेकिन इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप जल्दी-जल्दी नमाज़ अदा करें। इससे सलाह में पढ़ी जाने वाली दुआओं का तर्जुमा बदल जाता है।
- नमाज़ में ध्यान लगाना बहुत जरूरी है क्योंकि जब हम सलाह अदा करते हैं, जिसमें किबला की तरफ मुंह होना चाहिए। इस्लाम में नमाज अदा करने की शर्तें में एक शर्त किबला की तरफ मुंह का होना है। मस्जिद में नमाज अदा करते समय किबला की तरफ मुंह है या नहीं।
- जिस तरह बदन साफ होना चाहिए नमाज़ पढ़ने के लिए भी साफ सुथरा रखे। अगर आपके कपड़े पर किसी तरह की गन्दगी लगी हुई है, तो ऐसे में कपड़े धो लेना चाहिए या दूसरे कपड़े पहन लेना चाहिए। इसके बाद ही नमाज़ पढ़नी चाहिए।
- आप जहां नमाज़ अदा करने जा रहे हैं वो स्थान पाक होना चाहिए। वैसे तो जमीन पर आप कहीं भी नमाज़ पढ़ सकते हैं क्योकि ज़मीन पाक होती है, लेकिन इस बात पर ध्यान जरूर दें कि जिस स्थान या जगह पर नमाज़ अदा करने जा रहे है, वहां पर किसी भी तरह की गंदगी न हो।
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