इस्लाम धर्म में रमज़ान का मुबारक महीना शाबान के महीने के बाद आता है और इस महीने का तमाम मुसलमान बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि मुसलमानों के लिए रमज़ान का महीना बहुत ही पाक यानि पवित्र माना जाता है। इसलिए मुस्लिम लोग रमज़ान के पूरे महीने रोज़ा रखते हैं, पांचों वक्त की नमाज़ अदा करते, ज़कात देते हैं और अल्लाह की खूब इबादत करते हैं।
क्योंकि रमज़ान के इस मुबारक महीने में अल्लाह की इबादत करने का दुगना सवाब मिलता है। मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि रमज़ान के महीने में अगर सच्चे और पाक दिल से दुआ मांगी जाती है, तो अल्लाह तमाम दुआएं कुबूल करता है। इतना ही नहीं, रमज़ान के महीने में लगभग सभी मुसलामानों के घर इफ्तार के समय स्वादिष्ट और लज़ीज़ पकवान बनाए जाते हैं और रोज़दार को परोसे जाते हैं।
हालांकि, अब रमज़ान का महीना आने वाला है और सभी मुसलमान लोग तैयारियों में लगा गए हैं लेकिन क्या आपको पता है कि रमज़ान क्यों और कैसे मनाया जाता है? अगर नहीं, तो आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं रमज़ान के महीने से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमज़ान एक महीने का नाम है, जो शाबान के महीने के बाद आता है। इस्लामिक कैलेंडर में यह महीना आठ महीने के बाद यानि नौवें नंबर पर आता है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि महीने की तारीख हर साल चांद के हिसाब से बदलती रहती है। हालांकि, सबसे पहले सऊदी अरब में रमज़ान या फिर ईद का चांद नजर आता है।
अगर हम रमज़ान के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो रमज़ान एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है 'जलाने के' यानि इस महीने में लोगों के तमाम गुनाह जल जाते हैं। इसलिए रमज़ान के पूरे महीने तमाम मुस्लिम लोग रोज़ा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।
इसे ज़रूर पढ़ें-रमजान जैसे पाक महीने में खजूर खाने से आपको होंगे ये 5 फायदे
रमज़ान मुस्लिम धर्म का एक मुबारक महीना है, जो इस्लाम की पांच बुनियादों यानि स्तंभों में से एक है जैसे- पहला कलमा, नमाज़, ज़कात, रोज़ा और हज आदि। साथ ही, इस्लामिक ग्रंथों के अनुसार इस महीने में मुसलमानों की प्रमुख किताब यानि कुरान भी पैगंबर मोहम्मद पर नाज़िल हुआ था। इसलिए इस महीने में कुरान पढ़ना फर्ज़ है यानि कुरान पढ़ना अच्छा माना जाता है और कई देशों में रमज़ान के महीने को “कुरान का महीना” भी कहा जाता है।
रमज़ान के महीने में सभी मुसलमानों पर रोज़ा रखना फर्ज़ है लेकिन मुस्लिम ग्रंथों के अनुसार लोग 7 से 8 साल की उम्र के बाद रोज़ा रखना शुरू करते हैं। रोज़ा रखने के लिए सभी लोग सहरी (फजर की अज़ान से पहले) से लेकर शाम यानि इफ्तार तक भूखे रहते हैं और न कुछ खाते हैं न पानी पीते हैं। (रमजान के रोजे के दौरान आपको गर्मी से बचाएंंगी ये 5 चीजें)
हालांकि, कई लोगों को रोज़ा न रखने की छूट भी दी गई है जैसे- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बच्चे और शारीरिक या मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति आदि शामिल हैं। साथ ही, मासिक-धर्म के दौरान भी महिलाएं रोज़ा नहीं रखती हैं।
रमज़ान के महीने के आखिर में 'ईद-उल-फितर' यानि मीठी ईदमनाई जाती है, जो पूरे 30 दिन रोज़े रखने के बाद आती है। इसलिए यह मुसलमानों का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार है। बता दें कि ईद के दिन लोग ईद की नमाज़ पढ़कर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और आपस में प्यास बांटते हैं। साथ ही, इस दिन नए-नए पकवान बनाए जाते हैं जैसे- शीर,खीर, हलीम, दही-भल्ले आदि और सभी को ईदी भी बांटी जाती है।
इसे ज़रूर पढ़ें-रमजान हैं तो जानिए कि सहरी में क्या खाए और क्या ना खाएं
उम्मीद है कि आपको रमज़ान से जुड़े ये रोचक तथ्य पसंद आए होंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik)
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।