भारत का दिल कहे जानी वाली दिल्ली अपने आप में नायाब है। विविधताओं के इस शहर ने अपने अदंर कई चीजें समा रखी हैं। इसी कारण से लोग हमेशा दिल्ली का दीदार करने की इच्छा रखते हैं। यहां आपको एक तरफ मुगल काल की कला देखने को मिलेगी तो दूसरी तरफ 21वीं सदी का भारत। यहां आपको मंदिर से लेकर मस्जिद और चर्च तक हर चीज देखने को मिलेंगी। लेकिन जब बात मस्जिद की आती है तो ज्यादातर लोग केवल जामा मस्जिद के बारे में ही जानते हैं। बता दें कि दिल्ली में केवल जामा मस्जिद ही नहीं है। बल्कि कई अन्य मस्जिदें भी हैं। हर मस्जिद का अलग इतिहास है। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल में दिल्ली की कुछफेमस मस्जिदों के बारे में बताएंगे। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
मोठ की मस्जिद दिल्ली में सबसे ज्यादा फेमस है। यह साउथ एक्स पार्ट-2 , साउथ दिल्ली में स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण लोदी शासन काल के दौरान वजीर मिया भोइया ने करवाया था। यह मस्जिद 500 साल पुरानी है। लेकिन इस मस्जिद के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है। एक बार सिकंदर लोदी ने इस क्षेत्र में बने एक मस्जिद का दौरा किया था।
जब लोदी ने मस्जिद पर दुआ के लिए जमीन में अपने पैर टेके तो उनके घुटने पर एक मोठ चिपक गया था। यह सब लोदी के वजीर ने देखा था। ऐसे में उन्होनें इस क्षेत्र में मसूर की दाल उगाने का सोचा। उन्होनें दाग उगाई और जब फसल अच्छे से उग गई, तब वजीर ने सारी दाल बेच दी और खूब पैसा कमाया। दाल के पैसों से वजीर ने यह मस्जिद बनाई। जिसका नाम मोठ मस्जिद रखा गया। आपको एक बार मोठ मस्जिद जरूर जाना चाहिए।
इस मस्जिद को कुतुब मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। इस मस्जिद का निर्माण गुलाम वंश के संस्थापक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने शुरु करवाया था। यह मस्जिद हिंदू और इस्लामिक कला का बेहद ही शानदार नमूना है। जब आप इस मस्जिद की छत और खंभे देखेंगे तो आपको भारतीय मंदिरों की शैली की झलक नजर आएगी। वहीं इस मस्जिद के बुर्ज इस्लामिक शैली के तर्ज पर डिजाइन किए गए हैं। यह मस्जिद कुतुब मीनार परिसर, महरौली में स्थित है। सुबह 7 बजे से लेकर 5 बजे तक आप कभी भी इस मस्जिद का दौरा कर सकते हैं। अपनी फैमिली के साथ इस मस्जिद को देखने जरूर जाएं।
इस मस्जिद का निर्माण साल 1650 में शाहं जहां की बेगम फतेहपुरी ने करवाया था। यह मस्जिद एशिया के सबसे बड़ी मसालों की मार्केट के पास यानी पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। लाल पत्थरों से बनी यह मस्जिद देखने में बेहद खूबसूरत लगती है। इस मस्जिद में एक हॉल भी है, जिसमें 7-आर्चड् ओपनिंग है। बता दें कि 1857 के युद्ध के दौरान यहां पर भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया था। लेकिन इस युद्ध के बाद अंग्रेजों ने इसे व्यापारी राय लाला चुन्नमल को 19000 रूपये में बेच दिया था।
राय लाला चुन्नमल ने 1877 तक इस मस्जिद की देखभाल की। इसके बाद भारत सरकार ने इस मस्जिद को अपने कब्जे में कर लिया। ईद-उल-फितर के दिन इस मस्जिद को शानदार तरीके से सजाया जाता है। इस दिन यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इस मस्जिद में जाकर आपको शांति का एहसास होगा। साथ ही आप मुगल काल की कला से भी रूबरू होंगे। (आगरा में घूमने की बेस्ट जगहें)
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यह मस्जिद महरौली के आर्कियोलॉजिकल विलेज कॉम्प्लेक्स में स्थित है। यह मस्जिद दो व्यक्तियों की है। जिनका नाम जमाली और कमाली था। इस मस्जिद का निर्माण साल 1529 में हुमायूं द्वारा करवाया गया था। बता दें कि जमाली उस दौर के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। जमाली का असली नाम शेख हामिद बिन फजलुल्लाह था। हालांकि, कमाली के बारे में किसी को ज्यादा नहीं पता है। आपको दिल्ली की इस सबसे फेमस मस्जिद को देखने जरूर जाना चाहिए। यहां अपने दोस्तों के साथ जा सकते हैं। (दिल्ली की खूबसूरत गलियां)
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बता दें कि इस मस्जिद का नाम खिड़की इसके बेहतरीन खिड़की डिजाइन के कारण पड़ा। सन 1380 में इस मस्जिद का निर्माण खान-ए-जहां जुनान शाह द्वारा किया गया था। खान-ए-जहां जुनान शाह सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के प्रधान मंत्री थे। यह मस्जिद भारी बलुआ के पत्थरों से बनी है। अगर दिल्ली में आप कुछ बेहतरीन देखना चाहते हैं तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए। (दिल्ली के आसपास घूमने की बेस्ट जगहें)
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