मेवाड़ के महासतिया का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, क्योंकि यह उदयपुर के राजपरिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार स्थल है। यह उदयपुर के आयड़ में स्थित है और यहां कई पूर्व राजाओं और राजपरिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार किया गया है। वहीं, बीते कल पूर्व मेवाड़ के राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का अंतिम संस्कार यहीं किया गया। उनके पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।
अरविंद सिंह मेवाड़ के पार्थिव शरीर को सिटी पैलेस के शंभू निवास चौक में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। उनकी अंतिम यात्रा जगदीश चौक, घंटाघर, हाथीपोल और दिल्ली गेट से होते हुए आयड़ स्थित महासतिया पहुंची। इस दौरान, बड़ी संख्या में लोगों ने जुलूस में भाग लिया और फूल बरसाकर उन्हें भावभीनी विदाई दी।
आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि शाही परिवार में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है और महासतिया का क्या महत्व है?
महासतिया केवल एक श्मशान घाट नहीं है, बल्कि यह मेवाड़ के दिवंगत राजपरिवार के सदस्यों के सम्मान और परंपराओं से जुड़ा एक पूजनीय स्थल है। यह राजस्थान के उदयपुर में स्थित एक विशेष दाह संस्कार स्थल है, जहां शाही परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार किया जाता है। महासतिया शब्द सती प्रथा से जुड़ा हुआ है, जो प्राचीनकाल में एक प्रथा थी, जिसमें राजघराने की महिलाएं अपने पति की मृत्यु के बाद आत्मदाह कर लेती थीं। हालांकि, यह प्रथा खत्म हो चुकी है। आज, महासतिया केवल अंतिम संस्कार का स्थल नहीं, बल्कि मेवाड़ की शाही परंपराओं और आस्था का प्रतीक है।
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मेवाड़ का शाही परिवार एक पारंपरिक और विस्तृत अंतिम संस्कार प्रक्रिया को फॉलो करता है, जो हिंदू मान्यताओं और रीति-रिवाजों से प्रेरित है।
राजपरिवार में किसी सदस्य के निधन के बाद, उसके पार्थिव शरीर को स्नान कराया जाता है और उसे सफेद या केसरिया वस्त्र पहनाए जाते हैं। चंदन, घी और हल्दी जैसे पवित्र पदार्थों का लेप लगाया जाता है। इसके बाद, पार्थिव शरीर को माला और फूलों से सजाया जाता है। एक विशेष रूप से सजी हुई पालकी में रखा जाता है, जिसे महासतिया तक ले जाया जाता है।
महासतिया तक शव को ले जाने के लिए एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। इसमें परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और भी कई लोग शामिल होते हैं। पूरे रास्ते राम नाम सत्य है का जाप किया जाता है और पारंपरिक मेवाड़ी संगीत बजता है।
महासतिया पहुंचने पर, मृतक का सबसे बड़ा पुत्र या उत्तराधिकारी मुखाग्नि देता है। अंतिम संस्कार की चिता चंदन और सुगंधित लकड़ियों से बनाई जाती है।
जब चिता पूरी तरह जल जाती है, तो राख और अस्थियों को इकट्ठा किया जाता है और पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है।
उदयपुर में स्थित महासतिया केवल अंतिम संस्कार का स्थल ही नहीं, बल्कि मेवाड़ की गौरवशाली विरासत का प्रतीक भी है। यह स्थान शाही परिवार के दिवंगत सदस्यों की स्मृति में बनाए गए भव्य स्मारकों से घिरा हुआ है, जिन्हें 'छतरियां' कहा जाता है। ये छतरियां राजपूताना शैली में बनी सुंदर और जटिल कलाकृतियां मेवाड़ की समृद्ध वास्तुकला और शाही परंपराओं को दर्शाती हैं।
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मेवाड़ के शाही परिवार के अंतिम संस्कार में ब्राह्मणों का बहुत महत्व होता है। अंतिम संस्कार के बाद गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है, जिसमें मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के बारे में बताया जाता है। इस दौरान, हवन किया जाता है, जिसमें घी, अनाज और गाय के गोबर के उपले शामिल होते हैं। ये सभी चीजें हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती हैं और आत्मा की शांति के लिए आहुति दी जाती है।
शाही परिवार में अंतिम संस्कार के बाद 13 दिनों तक शोक मनाया जाता है। इस अवधि में कोई उत्सव या शुभ काम नहीं होता है। मृत्यु के 13 दिन बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंद को भोजन कराया जाता है, ताकि पुण्य अर्जित कर दिवंगत आत्मा को शांति मिल सके।
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Image Credit - ptinews, ANI
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