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क्या आपको पता है एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में कैसे करते हैं एक्सरसाइज, गार्डनिंग और दांतों को ब्रश?

सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर इतने महीने स्पेस में काटने के बाद अब वापस आने वाले हैं। पर 9 महीने स्पेस में रहने के बाद शरीर में क्या होता है? कैसे उन्हें अपना डेली रूटीन फॉलो करना पड़ता है? जानें
Editorial
Updated:- 2025-03-17, 16:25 IST

अगर आपसे कहा जाए कि आपको एक 5 बेडरूम वाले घर में 9 महीने रहना है और बिना बाहर निकले अपना काम करना है, तो क्या होगा? एक वक्त के बाद लोगों को बोरियत होने लगती है। 5 बेडरूम बराबर ही साइज है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ही सुनीता विलियम्स पिछले 9 महीने से मौजूद हैं। वो सिर्फ 8 दिन के मिशन पर गई थीं, लेकिन स्पेस क्राफ्ट में दिक्कत होने के कारण वो 9 महीने एस्ट्रोनॉट बुच विलमोर के साथ वहीं फंस गईं।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन एक बहुत ही अचंभित कर देने वाली जगह है। यहां पर 24 घंटे में 16 बार सनराइज और सनसेट होता है। स्पेस में होने के कारण यहां कोई ग्रैविटी नहीं है। यही कारण है कि यहां जीवन इतना आसान नहीं है जितना लगता है।

नासा ने एक पेपर पब्लिश किया था जिसमें एस्ट्रोनॉट्स के जीवन के बारे में बताया गया था। वो क्या करते हैं, कैसे रहते हैं, कहां जाते हैं, और उन्हें क्या-क्या काम जरूर करने होते हैं।

नासा की जानकारी के अनुसार, चलिए एस्ट्रोनॉट्स के जीवन पर थोड़ी नजर डालते हैं।

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हर रोज़ 2 घंटे एक्सरसाइज

आपको लगता होगा कि स्पेस स्टेशन में वैसे ही एस्ट्रोनॉट्स का वजन कम हो जाता है। ऐसे में उन्हें एक्सरसाइज की क्या जरूरत है, लेकिन एस्ट्रोनॉट्स के लिए सबसे जरूरी काम ही एक्सरसाइज है।

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इसका कारण है जीरो ग्रैविटी। हर 90 मिनट में सनराइज के कारण एस्ट्रोनॉट की फिजिकल और मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है। उन्हें हर रोज मोशन सिकनेस और क्लॉस्ट्रोफोबिया जैसी समस्याओं से लड़ना पड़ता है।

जीरो ग्रैविटी के कारण शरीर के सभी फ्लुएड्स सिर की ओर जाने लगते हैं। ऐसे में एस्ट्रोनॉट्स को महसूस होता है कि उनके सिर में लगातार दर्द हो रहा है।

इन सभी समस्याओं को कम करने के लिए उन्हें हर रोज दो घंटे एक्सरसाइज करनी होती है। उन्हें ट्रेडमिल, साइकिल आदि का उपयोग करना होता है। जीरो ग्रैविटी में उनकी मसल्स बहुत जल्दी खराब होने लगती हैं और बोन्स भी कमजोर होने लगती है। अगर वो एक्सरसाइज नहीं करेंगे, तो वापस पृथ्वी पर आने के बाद वो ना तो चल पाएंगे ना सीधे बैठ पाएंगे क्योंकि इतने महीने वो स्पेस में उड़ रहे थे। यही कारण है कि बिना एक्सरसाइज के वो स्पेस स्टेशन में नहीं रह सकते।

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आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन सुनीता विलियम्स ने तो स्पेस में मैराथन भी दौड़ ली है।

स्पेस में करनी होती है खेती

यहां मिट्टी में पौधे उगाने की बात नहीं हो रही है। यहां बात हो रही है वेजी (Veggie) सिस्टम की। यानी कि वेजिटेबल प्रोडक्शन सिस्टम जिसके जरिए माइक्रोग्रैविटी में एस्ट्रोनॉट्स सब्जियां उगाते हैं।

नासा की वेबसाइट के मुताबिक, एस्ट्रोनॉट्स के विटामिन की कमी हो जाती है जिसके कारण एस्ट्रोनॉट्स को कई बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में कुछ फ्रेश सब्जियां भी उगाना जरूरी है। नासा का वेजी सिस्टम पौधों को एक पिलो (pillow) में उगने का मौका देते हैं जिसमें मिट्टी, फर्टिलाइजर आदि होते हैं। इससे पानी और न्यूट्रिएंट्स आसानी से पौधे तक पहुंचाए जा सकते हैं। इसमें बहुत सारी साइंस लगती है, लेकिन अभी तक स्पेस में सब्जियां उगाने का इससे अच्छा तरीका नहीं रहा है। इसके जरिए स्पेस में तीन तरह की पत्ता गोभी, और कुछ फूल उगाए जा सके हैं। एस्ट्रोनॉट स्कॉट कैली की एक तस्वीर भी वायरल हुई है जिसमें उनके उगाए हुए फूलों का बुके, पृथ्वी के बैकड्राप के सामने है।

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कैसे एस्ट्रोनॉट्स मेंटेन करते हैं हाइजीन?

एस्ट्रोनॉट्स को 16 घंटे के मिशन के बाद कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी होती है। स्पेस में लाइट और साउंड अलग तरह से ट्रैवल करती है इसलिए उन्हें इयरप्लग्स और आईमास्क लगाकर सोना होता है।

एस्ट्रोनॉट्स को हर रोज स्पंज बाथ लेनी होती है। इसके लिए उनके पास दो कपड़े होते हैं। एक नहाने के लिए और एक धोने के लिए। उन्हें अपने बालों में बिना धोए निकलने वाला शैम्पू इस्तेमाल करना होता है। पानी और साबुन उनके शरीर में जीरो ग्रैविटी में चिपका रह सकता है। ऐसे में एक्स्ट्रा पानी सक्शन के जरिए स्पेस वेस्ट वाटर टैंक में जाता है।

टूथपेस्ट करना भी एक आर्ट है। वो जीरो ग्रैविटी में ब्रश में चिपका नहीं रहता। वो भी फ्लोट करता रहता है।

 

एस्ट्रोनॉट्स के लिए बाथरूम जाना भी आसान नहीं होता है। जीरो ग्रैविटी में वो पॉट के ऊपर नहीं बैठ सकते। वहां फ्लश भी नहीं काम कर सकता। हर एस्ट्रोनॉट के लिए अलग यूरिनल पाइप होता है और पॉट पर बैठने पर वैक्यूम की तरह फील होता है। यहां पंखे होते हैं जो एयर और वेस्ट मटेरियल खींच लेते हैं।

ये तो थीं कुछ बातें। एस्ट्रोनॉट्स को रोजाना की समस्याओं को ऐसे ही झेलना होता है।

नासा के एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी मुश्किल जरूर है, लेकिन उनके लिए ये जुनून और जज्बे का सफर है।

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All image Credit: Nasa

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