सिन्दूर, जिसे कुमकुम के नाम से भी जाना जाता है, इसे हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों की निशानी के रूप में देखा जाता है। इसे विवाह का प्रतीक माना जाता है और जब शादी के मंडप पर दूल्हा दुल्हन की मांग सिंदूर से भरता है तब शादी को पूर्णता मिलती है।
हिंदू शादियों में सिन्दूर का बहुत प्रतीकात्मक और सांस्कृतिक महत्व है। आमतौर पर देखा जाता है कि दूल्हा अंगूठी से दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरता है। ज्योतिष की मानें तो इस प्रथा का जीवन में बहुत महत्व होता है और अंगूठी से मांग भरना सौभाग्य को बढ़ावा देना माना जाता है।
अंगूठी से सिन्दूर लगाने के कई प्रतीकात्मक अर्थ हैं। अंगूठी पति के अपनी पत्नी के प्रति प्यार और प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जबकि सिंदूर एक विवाहित महिला के रूप में पत्नी की स्थिति को दर्शाता है। आइए Acharya Ravi Kumar Sardana, Vastu Expert, Reiki Healer, International Tarot card reader and Astrologer से जानें इस प्रथा के कारणों और इसके महत्व के बारे में विस्तार से।
शादी में मांग में सिंदूर लगाने के प्रतीकात्मक अर्थ के अलावा, अंगूठी से मांग भरने के कई अन्य लाभ भी होते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि सिन्दूर का लाल रंग जीवन से बुरी शक्तियों को दूर रखता है, जबकि अंगूठी पत्नी के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता की रक्षा करती है।
अंगूठी से सिंदूर लगाने की प्रथा सदियों पुरानी है जो आज भी हिंदू संस्कृतियों में व्यापक रूप से प्रचलित है। यह प्यार, प्रतिबद्धता और सुरक्षा का प्रतीक है और यह विवाहित महिलाओं के लिए अपनी स्थिति और पहचान दिखाने का एक एक तरीका है।
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जब शादी में अंगूठी से मांग भरी जाती है तो यह पति के अपनी पत्नी के प्रति प्यार को दर्शाती है। अंगूठी दंपति के अटूट प्रेम का प्रतीक मानी जाती है और ऐसा माना जाता है कि अंगूठी से सिन्दूर लगाकर पति अपनी पत्नी के प्रति अपनी इस प्रतिज्ञा को दिखाता है कि वह उससे हमेशा प्यार करेगा और किसी भी परिस्थिति में पत्नी का साथ नहीं छोड़ेगा।
किसी भी विवाहित स्त्री के लिए सिन्दूर सौभाग्य, समृद्धि और उर्वरता से जुड़ा होता है। जब दूल्हा अंगूठी से दुल्हन की मांग में सिंदूर लगाता है तब यह जीवन में शुभता और सौभाग्य लाता है। ऐसा माना जाता है कि यह जोड़े के जीवन में आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा लाता है, जिससे एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध विवाहित जीवन सुनिश्चित होता है।
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हिंदू धर्म में, लाल रंग को एक शुभ रंग माना जाता है और यह विभिन्न देवताओं और अनुष्ठानों से जुड़ा है। लाल रंग का होने के कारण कई देवी-देवताओं के पूजन में सिंदूर चढ़ाना जरूरी माना जाता है।
जब इसे सोने की अंगूठी से लगाया जाता है तब इसका महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि सोने को भगवान विष्णु की प्रिय धातु माना जाता है और विवाह में दुल्हन लक्ष्मी का रूप होती है, इसलिए सोने की अंगूठी से सिंदूर (क्यों होती है सिंदूरदान की रस्म) भरकर जीवन में सौहार्द्र की कामना की जाती है।
शादी में सिंदूर से मांग भरने के लिए सोने की अंगूठी का उपयोग धन और समृद्धि का प्रतीक भी होता है। ऐसा माना जाता है कि सोने की अंगूठी से सिन्दूर लगाने से दम्पति के जीवन में वित्तीय स्थिरता और प्रचुरता आती है।
सोने की अंगूठी का उपयोग करना भी भावनात्मक महत्व रखता है। यह कीमती वस्तुओं के आदान-प्रदान का प्रतीक है और जोड़े के बीच प्यार, सम्मान और प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में भी कार्य करता है।
अंगूठी से सिन्दूर लगाने की प्रथा एक खूबसूरत और सार्थक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। यह प्यार, प्रतिबद्धता, सुरक्षा और एक साथ एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
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