हिंदू शादियों में सबसे प्रमुख रस्म सिंदूरदान की रस्म को माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मांग में सिंदूर लगाए बिना शादी पूर्ण नहीं मानी जाती है। हिंदू धर्म में सिंदूर लगाने की प्रथा सदियों पुरानी है।
यूं कहा जाए कि यह प्रथा शायद रामायण काल से चली आ रही है। रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि माता सीता भी प्रभु श्री राम के नाम का सिंदूर अपनी मांग में लगाती थीं और एक बार हनुमान जी के इसका कारण पूछने पर उन्होंने बताया था कि ये प्रभु श्री राम के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है।
तभी से ऐसी मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति-पत्नी के बीच का रिश्ता मजबूत होता है और ये जन्म जन्मांतर तक चलता है। विवाह के दौरान जब वर वधु की मांग में सिंदूर लगाता है तब शादी को पूर्णता मिलती है। सिंदूर की रस्म में एक और प्रथा है दुल्हन की मांग में सिक्के से सिंदूर लगाने की। आइए ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से जानें इस प्रथा का महत्व क्या है।
माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है
ज्योतिष में ऐसा कहा जाता है कि जब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है तब वो सीधे ही हाथों का इस्तेमाल न करके सिक्के का इस्तेमाल करता है।
दरअसल ऐसा माना जाता है कि विवाह के समय दुल्हन माता लक्ष्मी का स्वरूप होती है और दुल्हन की मांग में सिक्के से सिंदूर भरने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है क्योंकि सिक्का भी माता लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। सिक्के से मांग भरने से वधू का सौभाग्य सदैव बना रहता है और हमेशा मां लक्ष्मी के आशीर्वाद की वजह से आर्थिक स्थिति ठीक बनी रहती है।
शरीर के चक्र नियंत्रित रहते हैं
शरीर में 7 चक्र होते हैं और उनका नियंत्रण सिर के उस हिस्से से होता है जिसमें सिन्दूर भरा जाता है। मांग के पीछे के हिस्से में सूर्य का स्थान होता है और जब सिक्के से सिन्दूर भरा जाता है तब वधु का सूर्य मजबूत होता है और उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी राहत मिलती है।
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वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है
हिंदू शादियों में सिंदूर दुल्हन के बालों के बीचों बीच वाले हिस्से पर लगाया जाता है। यह उसकी वैवाहिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है और एक विवाहित महिला के रूप में उसकी स्वीकृति का प्रतीक माना जाता है।
सिंदूरदान की रस्म के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला सिक्का धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता जाता है। एक सिक्के से सिंदूर लगाने से, यह माना जाता है कि दूल्हा दुल्हन की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है और उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है। इससे पति के मन में पत्नी का समर्थन करने और उनकी देखभाल करने की कुशलता आती है।
सिक्का होता है रक्षा का प्रतीक
ज्योतिष में सिक्के को दूल्हे की अपनी पत्नी की रक्षा करने और उसकी ताकत बनने की प्रतिज्ञा के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। यह पति की अपनी पत्नी के भविष्य में संरक्षक होने की जिम्मेदारी को दिखाता है। ऐसा माना जाता है कि सिक्के से मांग भरते समय दूल्हा हर परिस्थिति में दुल्हन की रक्षा और उसका साथ देने का वचन देता है और जीवन भर साथ देने का वचन देता है।
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चांदी का सिक्का होता है शुभ
चांदी को चन्द्रमा का प्रतीक माना जाता है और ये शीतलता प्रदान करती है, इसलिए जब चांदी के सिक्के का इस्तेमाल सिंदूर भरने में किया जाता है तब ये शरीर और मन मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है। ज्योतिष में शादी के समय चांदी के सिक्के का इस्तेमाल सबसे शुभ माना जाता है।
एक शादी समारोह में एक सिक्के से सिंदूर लगाने की प्रथा सांस्कृतिक रूप से महत्व रखती है, जो दूल्हे को दुल्हन के संरक्षक के रूप में प्रस्तुत करता है।
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