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Why does women apply sindoor on nose

Chhath Puja 2023: आखिर बिहार में पूजा के वक्त क्यों महिलाएं लगाती हैं नाक तक सिंदूर, जानिए इसका महत्व

सिंदूर को माथे पर लगाना तो सही है, लेकिन बिहार में सिंदूर नाक पर क्यों लगाया जाता है वो भी जान लीजिए।
Editorial
Updated:- 2023-11-18, 18:23 IST

'अरे-अरे देखो तो दुल्हन की नाक में सिंदूर गिर गया। अब तो पति उसे बहुत प्यार करेगा', 'अरे नाक पर सिंदूर गिरने से तो सास बहुत प्यार करती है', ऐसी ही कई बातें शायद आपने भी सुनी होंगी। सिंदूर लगाते समय नाक पर अगर गिर जाए तो ये शुभ माना जाता है, लेकिन अगर बात करें बिहार और झारखंड की महिलाओं की तो वहां पर नाक से सिंदूर लगाना शुरू किया जाता है। बिहार में छठ के पर्व के दौरान भी नाक तक सिंदूर लगाने का रिवाज है। महिलाएं अपनी नाक से लेकर सिर तक सिंदूर की लंबी रेखा खींचती हैं। पर ऐसा क्यों होता है क्या आपको पता है?

क्या इसका मतलब भी यही है कि पति के प्यार के लिए ही इसे किया जाता है? अगर आपने छठ पूजा के समय महिलाओं को देखा है तो आपको ये पता होगा कि यहां सिंदूर लगाने का तरीका कुछ और ही होता है। इसमें नारंगी रंग का सिंदूर लगता है जो आधे चेहरे को कवर कर लेता है। नाक की टिप से जो सिंदूर की लाइन शुरू होती है वो माथे को चीरती हुई आधे सिर को कवर कर लेती है। 

तो चलिए आज इसी सिंदूर पर बात करते हैं कि आखिर नाक से ही क्यों लगाया जाता है ये सिंदूर। 

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छठ पूजा में लगाया जाता है नाक से लेकर सिर तक सिंदूर

दिवाली के छह दिन बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है और अर्घ दिया जाता है। ये पर्व तीन दिन का होता है और इसी समय सिंदूर लगाकर महिलाएं पानी में उतरकर पूजा करती हैं। माना जाता है कि भगवान राम और सीता के अयोध्या वापस आने के बाद लोगों ने व्रत रखा था और पूजा की थी और उसके बाद से ही इस पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हो गई। 

chhat puja sindoor on nose

आखिर क्यों नाक से ही लगाया जाता है सिंदूर?

इसका ताल्लुक घर की खुशहाली और पति की जिंदगी से है। ऐसी मान्यता है कि सिंदूर कुछ इस तरह से लगाना चाहिए कि नाक से लेकर सिर तक जाए ताकि सबको दिखे। ऐसी मान्यता है कि अगर सिंदूर नाक से लेकर सिर तक जाएगा तो सिंदूर की लंबी लाइन की तरह ही पति की उम्र भी लंबी होगी। इसी के साथ छठ माता सभी पर अपनी कृपा बनाए रखेंगी।  

इसी मान्यता के तहत हर शादीशुदा महिला अपनी नाक से लेकर सिर तक सिंदूर लगाती है। छठ पूजा की मान्यता ये भी है कि अगर किसी कुंवारी कन्या के ऊपर ये सिंदूर गिर जाता है तो उसकी शादी भी जल्दी होती है।  

इस नारंगी सिंदूर की तुलना सूरज की लालिमा से भी की जाती है और जिस तरह चढ़ता सूरज सभी के लिए अच्छा होता है वैसे ही शादीशुदा महिला के लिए भी नारंगी सिंदूर अच्छा माना जाता है। 

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कार्यक्षेत्र में भी तरक्की को दर्शाती है सिंदूर की रेखा 

मान्यताओं के अनुसार इसका एक महत्व ये भी है कि सिंदूर की रेखा पति की तरक्की को दिखाती है। जितनी ज्यादा लंबी रेखा पति के लिए उतनी ही तरक्की की गुंजाइश मानी जाती है। इस रेखा को छोटा नहीं होने दिया जाता है और इसलिए पत्नी हमेशा ही जितनी लंबी हो सके उतनी लंबी सिंदूर की रेखा लगाती हैं।   

आखिर नारंगी सिंदूर ही क्यों? 

नारंगी सिंदूर का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि इसे भगवान को चढ़ाने के लिए शुभ मानते हैं। इसका पौराणिक महत्व है और इसका विवरण आपको रामायण में भी मिल जाएगा।  

शादी के समय नई दुल्हन को भी नारंगी सिंदूर ही लगाया जाता है ताकि उसका जीवन सुखद हो। इसका एक और महत्व भी है। नारंगी सिंदूर हनुमान जी को चढ़ाया जाता है जो ब्रह्मचारी थे और शादी के वक्त दुल्हन का ब्रह्मचर्य व्रत खत्म होकर ग्रहस्थ जीवन शुरू होता है। ये प्रथा तो सिर्फ बिहार और झारखंड की नहीं बल्कि ये कई जगहों पर होता है।  

 

हालांकि, बंगाली और पंजाबी शादियों में नारंगी सिंदूर का इतना महत्व नहीं है।  

नारंगी रंग का सिंदूर और उससे जुड़ी इस मान्यता के बारे में आपको पहले पता था क्या? इसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

 

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