लक्ष्मी जी के हैं ये 8 स्वरूप, जानें किसकी पूजा करने से क्या मिलता है फल

त्योहारों के इस मौसम में देवी लक्ष्मी के सभी स्वरूपों की पूजा करें और अलग-अलग फल प्राप्त करें। 
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इसलिए देवी लक्ष्‍मी को अष्‍ट लक्ष्‍मी भी कहा जाता है। देवी लक्ष्मी के सभी आठों स्‍वरूपों के अलग-अलग अर्थ होते हैं और इनकी पूजा करने से आपको अलग-अलग फल भी प्राप्त होते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में इन आठों रूपों की महिमा के बारे में बताएंगे और इनकी पूजा करने के फल भी बताएंगे।

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महालक्ष्मी

देवी लक्ष्मी के सबसे पहले और विशाल स्वरूप को महालक्ष्‍मी कहा गया है। आमतौर में हर हिंदू परिवार में महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी को आदि लक्ष्‍मी भी कहा गया है और इन्‍हीं से मनुष्‍यों की उत्पत्ति हुई। यही सौभाग्य लक्ष्मी भी हैं और यही वैभव लक्ष्‍मी भी हैं।

विवाहित महिलाएं यदि महालक्ष्‍मी को सिंदूर चढ़ाती हैं और फिर खुद को लगाती हैं, तो इससे उन्हें सदा सुहागन होने का आशीर्वाद भी मिलता है। यदि आप नियमित महालक्ष्मी की पूजा करती हैं, तो आपके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।

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संतान लक्ष्मी

जिन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है उन्हें संतान लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और अपनी बच्‍चों के अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य और भविष्‍य के लिए भी आपको संतान लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

संतान लक्ष्मी की पूजा करके आप अपनी संतान के लिए सुख, समृद्धि और संपदा की कामना कर सकती हैं।

धन लक्ष्मी

जीवन में धन और यश की प्राप्ति के लिए आपको नियमित धन लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए। देवी लक्ष्‍मी का यह स्वरूप आपको समाज में कीर्ति भी दिलाता है। धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शंख, कोड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र आदि देवी को अर्पित करना चाहिए।

धन लक्ष्मी की पूजा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और यदि आर्थिक समस्या हो भी जाती है, तो उससे उबरने का रास्ता भी प्राप्त होगा।

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धान्य लक्ष्मी

धान्य यानि अन्‍न और संपदा। देवी लक्ष्मी के धान्‍य स्वरूप की पूजा करने से आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी। यदि आपके ऊपर धान्य लक्ष्‍मी की कृपा रहती है, तो आपके हाथों से हमेशा अच्छा और स्वादिष्ट भोजन बनता है।

आप अपनी रसोई में धान्‍य लक्ष्‍मी की तस्‍वीर रख कर उनकी नियमित पूजा करेंगी, तो आप पर उनकी कृपा बनी रहेगी। धान्य लक्ष्‍मी को रसोई में बने भोजन का नियमित भोग लगाएं और गुड़हल का फूल भी अर्पित करें।

गज लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी के इस स्वरूप को नौकरीपेशा, कारोबारी और व्यापारियों को पूजना चाहिए। यदि गज लक्ष्‍मी की कृपा आप पर रहेगी तो आपको नौकरी में प्रमोशन, कारोबार में तरक्की और धन कमाने के नए अवसर प्राप्त होंगे।

गज लक्ष्मी की पूजा के साथ ही आपको श्री यंत्र की पूजा भी जरूर करनी चाहिए, इससे आपको अच्छे फल प्राप्त होते हैं। आप चाहें तो 11 शुक्रवार गज लक्ष्मी का व्रत रखकर और उनकी पूजा करके अपने कार्यक्षेत्र में सफलता पा सकते हैं।

वीरा लक्ष्‍मी

वीरा लक्ष्‍मी को ही विजय लक्ष्‍मी भी कहा जाता है। लक्ष्मी जी का यह स्वरूप आपको किसी भी क्षेत्र में विजय दिलाने के लिए होता है। खासतौर पर जंग का मैदान हो या कोर्ट कचहरी, यदि आप किसी क्षेत्र में जीत हासिल करना चाहते हैं, तो आपको देवी लक्ष्मी के विजय स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। आप विजय लक्ष्‍मी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करके प्रसन्न कर सकती हैं।

विद्या लक्ष्मी

यह देवी लक्ष्मी का आठवां स्वरूप है। विद्या को धन से भी ज्यादा कीमती बताया गया है। इसलिए केवल विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि सभी को विद्या लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे आपका विवेक बढ़ता है और आपको काम को सही तरह से आगे बढ़ाने का रास्‍ता भी नजर आता है।

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