
हिंदू शादी की कई ऐसी रस्मे हैं जिसका विशेष महत्व होता है। शादी की रस्में रोका या वरीक्षा से ही शुरू हो जाती हैं और ये दुल्हन के विदा होकर ससुराल जाने तक चलती हैं। शादी की अलग-अलग रस्मों में से एक होती है पाणिग्रहण संस्कार। इसका मतलब है वर द्वारा वधू का हाथ थामना। विवाह संस्कारों में, हालांकि हर क्षेत्र और संप्रदाय में अलग भिन्नताएं होती हैं, लेकिन कुछ संस्कार विवाह की वैधता के लिए आवश्यक माने जाते हैं और सभी के लिए समान होते हैं। इन्हीं में से एक माना जाता है पाणिग्रहण संस्कार। हिंदू शादी में मुख्य रूप से चार संस्कार होते हैं और उनका अलग-अलग महत्व होता है। शादी की मुख्य रस्मों में कन्यादान, विवाह होम यानी पवित्र अग्नि में आहुति देना और पाणिग्रहण जिसमें वर वधू का दाहिना हाथ पकड़ता है और उसमें जल डाला जाता है और विवाह को स्वीकृति मिलती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें परिणग्रहण संस्कार के बारे में और इसके महत्व को भी समझें।
पाणिग्रहण हिंदू विवाह की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र रस्मों में से एक है। इस संस्कार की शुरुआत तब होती है जब दूल्हा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके खड़ा होता है, जबकि वधू पूर्व दिशा की ओर मुख करके उसके सामने बैठती है। यह व्यवस्था ऊर्जा संतुलन और परंपरा का प्रतीक मानी जाती है। इसके बाद पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण शुरू करते हैं और वधू का दाहिना हाथ दूल्हे के हाथ में सौंपते हैं। इसी क्षण को पाणिग्रहण कहा जाता है। दूल्हा वधू का हाथ थामकर यह वचन देता है कि वह जीवन भर उसके सुख-दुख में साथ रहेगा, उसकी रक्षा करेगा और उसे सम्मान देगा।
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पाणिग्रहण मंत्र का बहुत महत्व है क्योंकि यह सार्वजनिक रूप से घोषणा करता है कि वर ने जीवन भर के लिए वधू की ज़िम्मेदारी ले ली है, उसके साथ एक समृद्ध और धार्मिक जीवन व्यतीत करने का दायित्व लिया है और देवता इस घोषणा के साक्षी हैं। वैदिक मंत्र दर्शाते हैं कि पाणिग्रहण विवाह समारोह का एक अनिवार्य अंग है।
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पाणि का मतलब हाथ होता है और ग्रहण का मतलब होता है स्वीकार करना। हिंदू विवाह में पाणिग्रहण संस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वह पवित्र क्षण होता है जब वर अग्नि के समक्ष वधू का हाथ थामकर उसे जीवन भर साथ निभाने का वचन देता है। यह केवल हाथ पकड़ने का कार्य नहीं होता है बल्कि जिम्मेदारियों, प्रेम, सम्मान और विश्वास को स्वीकार करने की प्रतिज्ञा है। पाणिग्रहण के माध्यम से दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ रहने, एक-दूसरे की रक्षा करने और परिवार तथा समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने की प्रतिबद्धता जताते हैं।
विवाह के सभी संस्कारों में से पाणिग्रहण को प्रमुख माना जाता है और इसका महत्व वर-वधू के वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए बहुत ज्यादा होता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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