शास्त्रों के अनुसार सुहागिन स्त्रियों के लिए सिंदूर लगाने का कौन-सा दिन है शुभ

शास्त्रों में सिंदूर से जुड़े कुछ नियमों का जिक्र किया गया है और सुहागिन स्त्रियों को उन्हें ध्यान में रखने की सलाह दी जाती है। 

when married women should apply sindoor according to shastra

सिंदूर जिसे कुमकुम के नाम से भी जाना जाता है। इसे मुख्य रूप से विवाह का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू शादी की रस्म तभी पूरी होती है जब वर मंडप में वधु की मांग में सिंदूर लगाता है। सिंदूर को विवाह का प्रतीक माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने माथे के बीच से सिर के मध्य तक बालों के बीच में सिंदूर लगाती हैं। दरअसल यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और मांग में सिंदूर लगाना सुहागिनों के मुख्य श्रृंगार में से एक माना जाता है।

अधिकांश हिंदू विवाह समारोहों में सिंदूर लगाने की रस्म सबसे महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक होती है और शादी के बाद भी सिंदूर लगाने के नियम होते हैं जिसे हर एक सुहागिन स्त्री ध्यान में रखती है। चूंकि सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसलिए महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ मांग में सिंदूर लगाती हैं। लेकिन शास्त्रों में सिंदूर लगाने के भी कुछ नियम बताए गए हैं और कुछ विशेष दिनों में मांग में इसे न लगाने की सलाह दी जाती है। आइए आइए Life Coach और Astrologer Sheetal Shapaira से जानें सिंदूर लगाने के शुभ दिनों के बारे में।

सिंदूर का महत्व

importance of sindoor according to astrology

सिंदूर का रंग मुख्य रूप से लाल होता है जिसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह प्राचीन काल से ही मस्तक के ऐसे बिंदु पर लगाया जाता था, जो अधिकांश शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है और हार्मोन-स्रावित ग्रंथियों को भी उत्तेजित करता है। ऐसा माना जाता है कि सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है और शास्त्रों में इसे पति की लंबी उम्र की कामना और रिश्ते की मजबूती का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह प्रथा हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के समय से चली आ रही है और उस दौरान भी महिलाएं सिंदूर लगाती थीं।

इसे जरूर पढ़ें:बिहार और झारखंड में दुल्हन को लाल के बजाय क्यों लगाया जाता है नारंगी सिंदूर?

सिंदूर से जुड़ी पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर लगाते हुए देखा तो उन्होंने माता सीता से यह पूछा कि वो सिंदूर क्यों लगाती हैं। इसके उत्तर में माता सीता ने यह बताया कि सिंदूर उनके प्रभु श्री राम के प्रति प्रेम का प्रतीक है। इस बात पर हनुमान जी (हनुमान जी से जुड़े रहस्य) ने अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लिया था। तभी से यह मान्यता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना चाहिए।

सुहागिनों को किन दिनों में सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है

when married girl should apply women

  • मान्यतानुसार माता पार्वती अपने माथे पर भगवान शिव के लिए सिंदूर लगाती हैं इसीलिए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों को किसी भी पूजा पाठ में और शुभ अवसरों पर मांग में सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए।
  • करवा चौथ, वट सावित्री पूजा और किसी भी ऐसी पूजा या व्रत के दिन सिंदूर अवश्य लगाएं जो सुहागिनों के लिए मुख्य अवसर माने जाते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि किसी भी सुहागिन (सुहागिन महिलाओं को किस दिन धोने चाहिए बाल) को रविवार, सोमवार और शुक्रवार के दिन सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए।
  • माता गौरा को सिंदूर चढ़ाकर अपनी मांग भरने से सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।

किन दिनों में न लगाएं सिंदूर

sindoor apply rules for women according to shastra

  • ऐसा माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों को कभी भी पीरियड्स के दौरान सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। दरअसल शास्त्रों के अनुसार सिंदूर को बहुत पवित्र माना जाता है और पीरियड्स के दौरान शरीर की अशुद्धि मानी जाती है। इसलिए इस दौरान सिंदूर लगाने की मनाही होती है।
  • मंगलवार के दिन मुख्य रूप से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की प्रथा है और उन्हें बाल ब्रह्मचारी माना जाता है इसलिए भी मंगलवार के दिन सिंदूर नहीं लगाना चाहिए।

सिंदूर लगाने के कुछ नियमों को ध्यान में रखते हुए यदि सुहागिन स्त्रियां सिंदूर लगाती हैं तो ये उनके लिए लाभकारी हो सकता है। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ जुड़ी रहें।

Image Credit: Freepik

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP