नाग पंचमी हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की खास पूजा की जाती है।पंडित अरविंदत्रिपाठी ने हमें बताया है किनाग पंचमी पर नाग देव की पूजा करने से काल सर्प दोष और सांप के काटने का डर खत्म हो जाता है। साथ ही, भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है।
सावन महीने में पड़ने के कारण यह पर्व और भी खास है क्योंकि इस दिन नाग देवता और भगवान शिव दोनों की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी की पूजा के बाद इसकी कथा भी पढ़ी जाती है। नाग पंचमी की व्रत कथा पढ़े या सुने बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं नाग पंचमी व्रत कथा के बारे में विस्तार से।
नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha)
एक नगर में एक राजा के सात पुत्र थे और सभी के विवाह हो चुका था। सभी पुत्रों में 6 की संतान थी, लेकिन राजा के सबसे छोटे बेटे की कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण राजा की सबसे छोटी पुत्रवधू बहुत दुखी रहती। राजा की सभी बहुएं छोटी बहु को अक्सर बच्चा न होने के कारण बांझ और निसंतान कहकर ताना मारा करती थी। जेठानी के तानों से राजा की छोटी पुत्रवधू बहुत दुखी रहती थी।
एक दिन दुखी होकर राजा की छोटी पुत्रवधू अपने पति से कहती है कि मेरा कोई संतान न होने के कारण सभी मुझे बांझ और निसंतान कहकर ताना मारते हैं। यह सुन राजा के पुत्र ने अपनी पत्नी से कहा कि दुनिया क्या कहती है इसपर ध्यान मत दो, तुम अपने काम से काम रखो और अपनी दुनिया में प्रसन्न रहो। यह सुन राजा की छोटी पुत्रवधू को थोड़ी सांत्वना मिली, लेकिन कुछ देर बाद वह उन बातों को सोच फिर दुखी हो जाती थी।
इसे भी पढ़ें:Nag Panchami Date 2025: कल रखा जाएगा नाग पंचमी का व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
जैसे तैसे समय गुजरा और सावन का महीना आया, सावन में शुक्ल पक्ष की चौथ की रात को राजा की छोटी पुत्रवधू को सपने में पांच नाग दिखाई देते हैं। सपने में आए नाग ने कहा कि हे बेटी कल पंचमी है यानी नाग पंचमी, इस दिन यदि तू हमारी पूजा करेगी, तो तुझे संतान की प्राप्ति होगी। नाग देवता की बात सुन राजा की छोटी पुत्रवधू प्रसन्न हुई और अपने पति से इसके बारे में बताया।
यह सुन राजा के छोटे बेटे ने कहा कि यदि तुम्हें सपने में नाग दिखाई दिए हैं तो, तुम नाग की आकृति या चित्र बनाकर पूरे विधि विधान से पूजा करें। नाग देव ठंडा भोजन करते हैं ऐसे में आप उन्हें पूजा के बाद कच्चे दूध का भोग लगाओ। नाग पंचमी के दिन राजा की छोटी पुत्रवधू ने पूरे विधि विधान से नाग देवता की पूजा की और भोग रूप में दूध पिलाया। नाग देवता राजा की छोटी पुत्रवधू की पूजा से प्रसन्न हुए और उसे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। नव महीने बाद राजा की छोटी पुत्रवधू को एक सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस दिन के बाद नाग पंचमी की यह कथा विख्यात हुआ और सभी नाग देव कि कृपा पाने के लिए इस व्रत कथा को पढ़ते हैं।
इसे भी पढ़ें:नाग पंचमी के शुभ अवसर पर इस विधि से करें नाग देवता की पूजा, जानें पूजन सामग्री लिस्ट और महत्व
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit: freepik
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों