Nag Panchami Vrat Katha 2025: नाग पंचमी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, नहीं सताएगा सर्प दंश का भय

नाग पंचमी का त्योहार शिव भक्तों और समस्त हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस विशेष पर्व पर भक्तगण नाग देवता के चित्रों और मूर्तियों की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन नागों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। नाग पंचमी आध्यात्मिक महत्व से भरा एक पावन अवसर है। इसी कड़ी में आइये जानते हैं नाग पंचमी की व्रत कथा के बारे में।  
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सावन महीने में पड़ने के कारण यह पर्व और भी खास है क्योंकि इस दिन नाग देवता और भगवान शिव दोनों की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी की पूजा के बाद इसकी कथा भी पढ़ी जाती है। नाग पंचमी की व्रत कथा पढ़े या सुने बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं नाग पंचमी व्रत कथा के बारे में विस्तार से।

नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha)

Nag Panchami Vrat Katha

एक नगर में एक राजा के सात पुत्र थे और सभी के विवाह हो चुका था। सभी पुत्रों में 6 की संतान थी, लेकिन राजा के सबसे छोटे बेटे की कोई संतान नहीं थी। संतान न होने के कारण राजा की सबसे छोटी पुत्रवधू बहुत दुखी रहती। राजा की सभी बहुएं छोटी बहु को अक्सर बच्चा न होने के कारण बांझ और निसंतान कहकर ताना मारा करती थी। जेठानी के तानों से राजा की छोटी पुत्रवधू बहुत दुखी रहती थी।

एक दिन दुखी होकर राजा की छोटी पुत्रवधू अपने पति से कहती है कि मेरा कोई संतान न होने के कारण सभी मुझे बांझ और निसंतान कहकर ताना मारते हैं। यह सुन राजा के पुत्र ने अपनी पत्नी से कहा कि दुनिया क्या कहती है इसपर ध्यान मत दो, तुम अपने काम से काम रखो और अपनी दुनिया में प्रसन्न रहो। यह सुन राजा की छोटी पुत्रवधू को थोड़ी सांत्वना मिली, लेकिन कुछ देर बाद वह उन बातों को सोच फिर दुखी हो जाती थी।

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जैसे तैसे समय गुजरा और सावन का महीना आया, सावन में शुक्ल पक्ष की चौथ की रात को राजा की छोटी पुत्रवधू को सपने में पांच नाग दिखाई देते हैं। सपने में आए नाग ने कहा कि हे बेटी कल पंचमी है यानी नाग पंचमी, इस दिन यदि तू हमारी पूजा करेगी, तो तुझे संतान की प्राप्ति होगी। नाग देवता की बात सुन राजा की छोटी पुत्रवधू प्रसन्न हुई और अपने पति से इसके बारे में बताया।

यह सुन राजा के छोटे बेटे ने कहा कि यदि तुम्हें सपने में नाग दिखाई दिए हैं तो, तुम नाग की आकृति या चित्र बनाकर पूरे विधि विधान से पूजा करें। नाग देव ठंडा भोजन करते हैं ऐसे में आप उन्हें पूजा के बाद कच्चे दूध का भोग लगाओ। नाग पंचमी के दिन राजा की छोटी पुत्रवधू ने पूरे विधि विधान से नाग देवता की पूजा की और भोग रूप में दूध पिलाया। नाग देवता राजा की छोटी पुत्रवधू की पूजा से प्रसन्न हुए और उसे संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। नव महीने बाद राजा की छोटी पुत्रवधू को एक सुंदर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस दिन के बाद नाग पंचमी की यह कथा विख्यात हुआ और सभी नाग देव कि कृपा पाने के लिए इस व्रत कथा को पढ़ते हैं।

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Image Credit: freepik

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FAQ

  • नाग पंचमी के दिन कौन सा दीया जलाएं?

    नाग पंचमी के दिन अलसी के तेल का दीया जलाएं। 
  • नाग पंचमी के दिन नागों को क्या अर्पित करें? 

    नाग पंचमी के दिन नागों को दूध के अलावा घी, हल्दी और पुष्प अर्पित करें।