डियर पॉलिटिशयन्स,
उम्मीद है कि आप सभी अच्छे होंगे। यह खत मैं आपको एक खास मकसद से लिख रही हूं और यह मकसद है आपको यह याद दिलाना कि देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते...जनता की आवाज होने के नाते आपके लिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी जिम्मेदारियों को समझें और जरा सोच-समझकर बोलें। अब आप सोच रहे होंगे कि आपको यह सलाह देने वाली मैं कौन हूं..तो मैं आपकी तरह की देश की एक नागरिक हूं या यूं कहूं देश की एक बेटी हूं और माफ कीजिएगा, मुझे यह बिल्कुल गवारा नहीं हो रहा है कि आप देश की एक ऐसी बेटी को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करें, जिसने अपने अदम्य साहस और जज्बे से देश का नाम रोशन किया है।
मैं बात कर रही हूं कर्नल सोफिया कुरैशी की...जिन्हें लेकर आप ही में से एक राजनेता विजय शाह ने एक ऐसा बयान दिया...जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वाकई मैंने जो सुना..सही सुना..कहीं मुझे सुनने-समझने में कोई धोखा तो नहीं हुआ। लेकिन, अफसोस मुझसे सुनने में गलती नहीं हुई थी बल्कि एक बार फिर से आप में एक नेता की जुबान फिसल गई थी।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब आपके किसी साथी ने इस तरह का बयान दिया हो। पहले भी लड़कियों के रेप...उनके कपड़ों...रात में बाहर निकलने...प्रोफेशन और न जाने किन-किन चीजों को लेकर आप लोगों ने शब्दों की मर्यादा लांघी हैं और हर बार मेरी तरह न जाने देश की कितनी बेटियों का दिल टूटा है। लेकिन, इस बार तो हद ही हो गई है।
हाल ही में हुए सैन्य अभियान के बारे में बात करते हुए मध्य प्रदेश के जनजातीय मामलों के मंत्री विजय शाह जी का यह कहना कि "आतंकवादियों ने हमारी बहनों और बेटियों का सिंदूर मिटा दिया था, और हमने उनकी बहन को भेजकर उन्हें बदला दिया।" वाकई मेरे मन में कई सवाल खड़े करता है।
वैसे विजय शाह जी सिर्फ यही नहीं रूके...उन्होंने इतना भी कहा कि उन लोगों यानी आतंकवादियों ने हिंदुओं को मारा और हमारी तरफ से एहसान चुकाने के लिए उनकी बहन को...उनकी समुदाय की बेटी को भेज दिया...इस बयान में और भी कई ऐसे शब्द थे, जिन्हें यहां लिखना मुझे सही नहीं लग रहा है....लेकिन इस खत के जरिए कुछ सवाल पूछना बेशक मुझे सही लग रहा है। हालांकि, आपने बाद में कहा कि आपके बयान में तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है पर शायद इस बात पर विश्वास करना जरा मुश्किल है।
देश की एक बेटी जिसके परिवार की न जाने कितनी पुश्ते सेना में रही हैं और अपने मन में देशभक्ति का जज्बा लिए वह देश की आन-बान-शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार है...आखिर क्यों उसे भी हम जाति और धर्म के बंधनों में बांधने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
क्या कर्नल सोफिया ने कभी देश के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हुए अपने धर्म या देश के बाकी लोगों के धर्म और जाति के बारे में सोचा होगा...नहीं बिल्कुल नहीं...क्योंकि सच तो यह है कि तिरंगे के नीचे खड़े होकर हम सभी सबसे पहले भारतीय हैं और सेना के जवान तो इस बात को पूरी शिद्दत से मानते और समझते हैं। ऐसे में इस तरह का बयान क्या उनकी बेइज्जती नहीं है...
बेशक पहलगाम में जो हुआ..गलत हुआ...धर्म पूछकर किसी को गोली मार देना..हमारे देश की बहन-बेटियों से उनका सुहाग छीन लेना, न केवल निंदनीय बल्कि कुछ ऐसा है, जो हमें निशब्द कर देता है। लेकिन, देश की वो बेटी जो देश के सम्मान को सबसे ऊपर रखते हुए...भारत की एकता-अखंडता के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने को तैयार है, उसे लेकर ऐसी टिप्पणी करना भी कम शर्मनाक नही हैं।
आखिर में आप सभी नेताओं से बस इतना की कहना चाहूंगी कि जनता आप पर भरोसा करती है...आपको अपनी आवाज समझती है...ऐसे में आपसे इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि आप जरा शब्दों को तोल कर बोलें और कुछ ऐसा न कहें जो हमारे भरोसे पर ही सवाल उठा दे।
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Image Credit: Jagran.Com and ANI
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