15 अगस्त के दिन बॉर्डर पर कुछ ऐसा नजारा देखने को मिलेगा, किसी ने सोचा नहीं था। महिला पाकिस्तान की रहने वाली थी, लेकिन परेड में वह पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय झंडा लेकर पहुंची थी। महिला के हाथ में तिरंगा देखते ही गुस्से में बौखलाए पाकिस्तानी सिपाही उसके पीछे भागने लगे। महिला भी नारे लगाते हुए भागने लगी, झंडा ऊंचा रहे हमारा। तभी एक पाकिस्तानी अधिकारी ने अपनी बंदूक जेब से निकाली। भारतीय सैनिक भी यह नजारा देख रहे थे। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ परेड में देखने को मिलेगा। सभी की निगाहें बस पाकिस्तानी अधिकारी पर थी, उसने बंदूक महिला पर तान दी थी और वह गोली चलाने ही वाला था। तभी बॉर्डर के दूसरी तरफ खड़े भारतीय सिपाहियों ने एक साथ ऊंची स्वर में चिल्लाया- खबरदार जो तुमने उसपर बंदूक चलाई, हजारों नागरिक अपनी सीट से घबरा कर खड़े हो गए थे।
दरअसल, 14 अगस्त की सुबह नाजिया अपने घर में चुपके से रेडियो ऑन करती है। वह अपने घर में 4 बच्चों, सास-ससुर और पति के साथ रहती है। पति ने सोचा भी नहीं था कि कुछ ऐसा उसकी पत्नी करने वाली है। उसे घर में कुछ भी बिना पूछे करने की मनाही थी। रेडियो सुनने के लिए भी उसे अपने पति से इजाजत लेनी पड़ती थी। उस दिन नाजिया जिस रेडियो को सुन रही थी, उसमें भारत की स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले परेड का जिक्र हो रहा था।नाजिया रेडियो की धीमी आवाज करके प्रसारण सुन रही थी, तभी किसी अचानक से पति ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया। नाजिया घबरा गई, क्योंकि वह छिपके से रेडियो सुन रही थी। उसने घबराते हुए कहा,, आ रही हूं, बस 2 मिनट में। पति ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा- इतनी देर से बाथरूम में कर क्या रही हो, तुरंत दरवाजा खोलो, वरना मैं तोड़ दूंगा। नाजिया ने कपड़ों के ढेर के अंदर रेडियो छिपाया और हाथ पैर गीला किया और दरवाजा खोला।
दरवाजा खोलते ही उसके पति ने उसका हाथ पकड़कर उसे कमरे में धकेल दिया और चिल्लाने लगा। क्या कर रही थी… इतनी देर से बाथरूम में कर क्या रही थी, मैं कबसे चिल्ला रहा हूं… नाजिया घबराते हुए कह रही थी। नहीं कुछ नहीं, मेरे पेट में दर्द था। सलमान को पत्नी नाजिया की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, वह बाथरूम में जाकर चेक करने लगा। उसने बाथरूम का हर कोना चेक किया और आखिर उसे कपड़ों के अंदर रेडियो नजर आया। रेडियो देखते ही सलमान के सिर पर जैसे भूत सवार हो गया। नाजिया भागते हुए गई और कहने लगी, प्लीज.. प्लीज इसे कुछ मत करना। सलमान ने चिल्लाते हुए कहा… आज तो इस घर में या तो रेडियो रहेगा या फिर तू..आज के बाद तू कभी रेडियो नहीं सुन पाएगी…
गुस्से में सलमान ने रेडियो को जमीन पर फेंका और उसके टुकड़े हो गए। नाजिया रेडियो के टुकड़ों को उठाकर रोए जा रही थी। लेकिन उसका पति सलमान किसी हैवान से कम नहीं था। उसने डंडा उठाया और नाजिया को बहुत मारा। नाजिया को उस दिन रेडियो सुनने की वजह से इतना मारा गया था कि वह ढंग से चल भी नहीं पा रही थी। लेकिन टूटे हाथ-पैरों से उसे अभी भी घर के सारे काम करने थे। नाजिया जैसे-तैसे घर के काम कर रही थी, लेकिन घर में केवल पति ही नहीं बल्कि उसका ससुर भी किसी हैवान से कम नहीं था। ससुर की नजरे नाजिया को लेकर अच्छी नहीं थी, जब वह उसे घर में अकेले पाता था, तो उसके छेड़खानी करना शुरू कर देता था। जब भी नाजिया ये बात अपने पति को बताती थी, तो वह अपने पिता को समझाने की बजाय नाजिया पर ही हाथ उठाता था। यही कारण था कि अब नाजिया ने अपने पति को ससुर की गंदी हरकतों के बारे में कुछ भी बताना बंद कर दिया था।
उस दिन उसके ससुर की हरकतें बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। सास भी बच्चों के साथ बाहर गई थी और पति भी नहीं था। उसने गुस्से में कहा- दूर हो जाओ मुझसे.. आज मुझे छूने की कोशिश भी की तो…फिर भीससुर उसके पीछे ऐसे पड़ गया, जिससे बचने के लिए वह बिना कुछ सोचे समझे घर से भाग गई। उसने अपने पति को कमरे में बंद किया और दुपट्टा भी लेना भूल गई। घर से निकलने के बाद हर कोई उसे घूर रहा था, उसने पड़ोस की एक महिला से दुपट्टा लिया और बिना कुछ बोले वहां से निकल गई।
महिला ने भी उससे कुछ नहीं पूछा था, क्योंकि उसकी हालत सारे दर्द बयां कर रही थी। नाजिया लड़खड़ाते-भागते जैसे तैसे घर से बहुत दूर निकल चुकी थी। रात में अकेले घर के बाहर रहना उसके लिए सेफ नहीं था। लेकिन वो रास्ते में बस कोना ढूंढ कर छिप रही थी। आधे से ज्यादा सफर उसने बस छिप-छिपकर ही पूरा किया था। क्योंकि, अगर रात में उसे अकेले कोई देख लेता, तो शायद अंधेरी रात में कितने लोगों के जुल्म उसे अकेले सहने पड़ते। सूरज निकलने वाला था और वह बस चले जा रही थी, तभी उसने एक चाय की टपरी देखी। चाय की टपरी देखकर वह उसके पीछे जाकर छिप गई, क्योंकि वहां पाकिस्तानी फौजी बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। उनके हाथ में रेडियो था। रेडियो में वह 15 अगस्त पर होने वाली परेड के बारे में जानकारी ले रहे थे। तभी एक गाना बजा…. संदेशे आते हैं,.. बहुत तड़पाते हैं.. कि घर कब आओगे…गाना सुनते ही नाजिया तेज-तेज रोने लगी। नाजिया के रोने का आवाज फोजियों ने सुन ली और दुकाने के पीछे जाकर देखने लगे। नाजिया का हालत बहुत खराब थी, खून से सने कपड़े और बिखरे बाल। थकी हारी नाजिया की बोलने की भी हिम्मत नहीं बची थी। पाकिस्तानी सैनिकों ने उसे पानी पिलाया और चाय भी दी।
उन्होंने नाजिया से पूछा- बहन यहां अकेले क्या कर रही हो, तुम्हें इतनी चोटें कैसे लगी?… तभी रेडियो पर आवाज आई… यह गाना राहुल की तरफ से उनके किसी खास के लिए था, जिसका इंतजार वो कई सालों से कर रही है। यह सुनकर नाजिया के आंसू और भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सिपाही उसे चुप कराने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह अचानक रोने क्यों लगी। उन्हें बिलकुल समझ नहीं आ रहा था कि रेडियो पर बातें सुनकर उसे रोना आया था। काफी देर उसे चुप कराने के बाद नाजिया ने सिपाहियों से कहा, मैं परेड देखने जाना चाहती हूं। प्लीज मुझे इसमें शामिल होने दें। पाकिस्तानी सैनिकों ने कहा, बहन हम ऐसे आपको साथ नहीं ले जा सकते। नाजिया ने फिर कहा- प्लीज मैं आपके आगे हाथ जोड़ रही हूं। आखिर पाकिस्तानी सैनिकों नाजिया की परेशानी और सिफारिश को ठुकरा नहीं पाए। इसके बाद सैनिकों ने उससे पूछा, हम आपको साथ ले जाएंगे, लेकिन वहां आप जाकर करेंगी, क्या?
नाजिया ने कहा- मेरा परिवार परेड देखने जाने वाला था। पक्का मैं परेड मैं उनसे मिल पाउंगी। मैं उनसे बिछड़ गई हूं। मैं वहां परेड में उन्हें ढूंढना चाहती हूं। पाकिस्तानी सैनिकों को उसकी बात पर भरोसा हो गया। वह अपने साथ वैन में बिठाकर उसे बॉर्डर पर ले गए। बॉर्डर पर पहुंचने से पहले महिला के चेहरे पर खुशी की लहर नजर आ रही थी। सैनिकों को भी लगा कि वह अपने परिवार से वापस मिलने की खुशी में इतनी खुश हो रही है।
नाजिया बॉर्डर पर पहुंची, तब तक परेड शुरू हो चुकी थी। उसने यहां -वहां नजर घुमाई। सिपाही उसे उतारकर आगे निकल गए। लेकिन जब तक परेड चली, तब तक नाजिया एक ही जगह खड़ी रही। जैसे ही परेड खत्म हुई, नाजिया ने सिपाही से कहा.. मैं यहां की रहने वाली नहीं हूं.. मेरा परिवार वहां खड़ा है। भारत में मेरा परिवार है। प्लीज मुझे मे परिवार के पास जाने दो। सिपाही ने उसे मना कर दिया।तभी बॉर्डर के दूसरी तरफ सामने से एक आदमी और बच्चा भागते हुए नजर आया। बच्चा मां..मां चिल्ला रहा था…वहीं आदमी रोते हुए पुकार रहा था.. सोनम..सिपाही ने यह नजारा देखा और इसका दिल भावुक हो गया।
पाकिस्तानी सिपाही से बार -बार नाजिया कह रही थी... मैं पाकिस्तान की नागरिक नहीं हूं…मैं भारत की रहने वाली हूं…बार-बार नाजिया का ऐसा बोलते देख, कर्नल ने उसकी आवाज सुन ली। पाकिस्तानी कर्नल ने कहा- माइक में अनाउंस करते हुए कहा.. छोड़ दो उसे….कर्नल ने पूछा.. तुम भारत की नागरिक हो, तो पाकिस्तान में क्या कर रही हो ?…
नाजिया ने कहा… मेरा नाम सोनम है.. वो दूसरी तरफ बॉर्डर के मेरा बेटा और पति खड़ा है। मैं गलती से यहां आ गई थी। मुझे मेरे घर जाना है, मैं आप लोगों के आगे हाथ जोड़ रही हूं। प्लीज मुझे मेरे देश जाने दो….ये बोलते हुए सोनम जमीन पर हाथ जोड़कर बैठ गई और रोने लगी..
उधर दूसरी तरफ उसका बेटा और पति भी रो रहे थे। लेकिन इससे केवल परिवार वाले ही नहीं बल्की आम नागरिकों के भी आंसू आने लगे थे। कर्नल ने माइक में अनाउंस करते हुए कहा- जाने दो सोनम को… वो हमारे देश की नागरिक नहीं है….सोनम का खुशी से ठिकाना नहीं था.. अनाउंसमेंट सुनते ही…दोनों देशों के नागरिकों में खुशी की लहर दौड़ गई थी…सोनम ने खुशी-खुशी अपने पति और बच्चों को गले लगाया, इस नजारे को देखकर सभी की आंखे नम हो गई। ये नजारा देखने वाला था… आखिर प्यार और हिम्मत ने दोनों देशों के मनमुटाव के बावजूद उन्हें एक कर दिया।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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