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क्या वाकई इंद्र के श्राप से शुरू हुए महिलाओं के पीरियड्स? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

पीरियड्स की शुरुआत कैसे हुई? हो सकता है कि आपको यह बचकाना सवाल लगे, लेकिन दुनिया भर में अलग-अलग माइथोलॉजी के हिसाब से इसकी शुरुआत भी अलग बताई गई है।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-06-26, 11:21 IST

भारत में पीरियड्स को अशुद्ध माना जाता है, लेकिन दुनिया के कई कल्चर ऐसे हैं जहां इसे फीमेल पावर का एक तरीका समझा जाता है। दुनिया में कई धर्म हैं और उनमें से कई मेंस्ट्रुएशन को अलग-अलग तरह से डिफाइन करते हैं। आज हम आपको मेंस्ट्रुएशन से जुड़ी माइथोलॉजिकल स्टोरीज बताने जा रहे हैं। इनमें हिंदू पौराणिक कथाएं भी शामिल होंगी जहां महिलाओं को श्रापित समझा जाता है। 

इंद्र का श्राप बना पीरियड्स का कारण

हिंदू माइथोलॉजी

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्र के श्राप के कारण महिलाओं को पीरियड्स होते हैं। इसके बारे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हरजिंदगी को विस्तार से बताया है।

उनके मुताबिक भागवत पुराण के अनुसार में इंद्र देव ने एक ब्राह्मण की हत्या की थी। स्वर्ग पर असुरों ने विजय प्राप्त कर ली थी और उस वक्त इंद्र मदद के लिए ब्रह्मदेव के पास गए थे। ब्रह्म देव ने उन्हें एक अन्य ब्राह्मण के पास जाने का मार्ग दिखाया। उस ब्राह्मण की पत्नी राक्षसी थी और उसने इंद्र की तपस्या सफल ना होने दी। इससे क्रोधित होकर इंद्र देव ने ब्राह्मण और उसकी पत्नी दोनों को मार दिया। मारने के बाद इंद्र को यह अहसास हुआ कि उन्होंने एक ब्राह्मण की हत्या की है जिससे उन्हें पाप लगा है। 

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इसका उपाय जानने के लिए जब वो ब्रह्मा के पास गए तब उन्होंने कहा कि इंद्र को अपने पाप को कई हिस्सों में बांटना होगा जिससे उनका पाप कम हो जाए। ऐसे में धरती, पेड़, जल और महिला को उन्होंने पाप का भागीदार बनाया। यही कारण है कि महिलाओं को पीरियड्स होने लगे। 

चांद की वजह से होते हैं पीरियड्स

ग्रीक माइथोलॉजी

ग्रीक माइथोलॉजी के मुताबिक तीन देवियां आर्टेमिस, एथेना और हेस्टिया (Artemis, Athena, Hestia) इसकी जिम्मेदार हैं। ये तीनों मेंस्ट्रुएशन, शारीरिक रचना और शादी के लिए पूजी जाती हैं। हालांकि, इसका जिम्मेदार चांद माना जाता है। मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग को चांद के आकार बदलने से जोड़ा जाता था। जिस तरह से लूनर साइकल और ज्वार-भाटा होते हैं। यही नहीं शब्द मेंस्ट्रुएशन भी असल में ग्रीक माइथोलॉजी से आया है। मेंस्ट्रुएशन में लैटिन मेंसेस शब्द को लिया गया है जिसका अर्थ है महीना और दूसरा ग्रीक शब्द मेने  जिसका अर्थ है चांद। 

ग्रीक माइथोलॉजी के अनुसार मेंस्ट्रुएशन के दौरान महिलाओं को स्पिरिचुअल और मेंटल पावर मिलती है। इस दौरान उन्हें सबसे ज्यादा मजबूत माना जाता है। 

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पीरियड्स से महिलाएं होती हैं शुद्ध

रोमन माइथोलॉजी

ग्रीक माइथोलॉजी से आगे बढ़कर अगर हम रोमन कहानियों के बारे में बात करें, तो पाएंगे कि वहां माइथोलॉजी को काफी हद तक साइंस से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि मेंस्ट्रुएशन की वजह से महिलाओं के शरीर से बहुत ज्यादा फ्लूएड निकल जाता है। इसके कारण उनमें खास शाक्तियां आ जाती हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) को भी इन्हीं शक्तियों का परिचय माना जाता था। 

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दैत्य के कारण शुरू हुए पीरियड्स

जोरोस्ट्रियन माइथोलॉजी 

पारसी धर्म का उद्गम जोरास्ट्रियन धर्म से ही हुआ है। इस कथा के अनुसार मेंस्ट्रुएशन का संबंध दुष्ट देव अहरिमन् (Ahriman) से है। अच्छे देव ओहर मजद (Ohrmzd) ने ब्रह्मांड की रचना की और उसके तुरंत बाद अहरिमन् ने उसे अटैक कर दिया। इसके बाद 3000 साल तक उसे हार का असर झेलना पड़ा। कई दैत्यों ने उसे जगाने की कोशिश की लेकिन सफल सिर्फ गेह हुई। गेह ने कहा कि वो संसार के सभी भले लोगों को बुरा बना सकती है। इसके बाद अहरिमन् ने गेह के माथे को चूमा और उसके बाद उसके अंदर अशुद्ध खून की रचना हुई। जोरास्ट्रियन कथाओं में उसे ही पहली महिला माना जाता है जिसे पीरियड्स हुए थे।  

 

पीरियड्स से जुड़ी ये चर्चित कथाएं अलग-अलग प्लेटफॉर्म से ली गई हैं। ऐसे ही कई और धर्म हैं जिनमें पीरियड्स को कुछ अलग तरह से डिफाइन किया गया है। पर उनकी जानकारी फिर कभी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।      

 

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