Dhundhkari Pret Ki Katha: हिन्दू धर्म में 84 लाख योनियां हैं।इन्हीं में से एक है प्रेत योनी जिससे जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं कथाओं में एक कथा धुंधकारी प्रेत की भी है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें धुंधकारी प्रेत की बड़ी ही रोचक कथा के बारे में बताया जिसे आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।
- पौराणिक कथा के अनुसार, तुंगभद्रा नदी के तट के पास आत्मदेव नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था। ब्राह्मण ज्ञान, बुद्धि, धन आदि सभी से संपन्न था लेकिन उनकी कोई संतान न थी।
- एक ब्राह्मण को एक तेजस्वी साधु मिले जिन्होंने आत्मदेव को एक फल दिया और उसे उनकी पत्नी धुंधली को खिलाने के लिए कहा। धुंधली को यह बात जब उनके पति आत्मदेव ने बताई तो पूर्णतः अंधविश्वास लगी।
- खुद फल खाने के बजाए धुंधली ने गे को वह फल खिला दिया और अपनी बहन से उसके दो पुत्रों में से एक को मांग लिया। धुंधली ने जिस बेटे को पाला उसका नाम धुंधकारी पड़ा और गौ माता (गाय से जुड़े उपाय) ने फल खाने के बाद जिस मनुष्य बालक को जन्म दिया उसका नाम गोकर्ण पड़ा।

- धुंधकारी बड़ा ही दुराचारी, अभद्र और राक्षस स्वभाव का था वहीं उसका भाई गोकर्ण बेहद शांत, समझदार, विद्वान और ज्ञानी था।धुंधकारी ने अनेकों दुष्कृत किये थे यहां तक कि अपनी माता को भी मारता पीटता था इसी कारण से उसे कष्टदायी मृत्यु मिली।

- जहां धुंधकारी मरने के बाद पिशाच योनी में भटकने लगा तो वहीं, धुंधकारी का विद्वान भाई गोकर्ण भगवद भजन और कथा में लीन हो गया। धुंधकारी की मृत्यु के बाद गोकर्ण ने उसका श्राद्ध कर्म किया और पूर्ण विधि विधान से पिंडदान की क्रिया भी संपन्न की।

- मगर धुंधकारी को पिशाच योनी से मुक्ति नहीं मिल पा रही थी। गोकर्ण ने 1 नहीं 2 नहीं बल्कि 1000 बार धुंधकारी का श्राद्ध किया लेकिन उसे मोक्ष नहीं मिला। धुंधकारी बार-बार भाई के स्वप्न में आकर मोक्ष की इच्छा जताता। ऐसे में गोकर्ण ने सूर्य उपासना की।
- सूर्य भगवान (सूर्य भगवान की आरती) के जब दर्शन हुए तो गोकर्ण ने उनसे पूछा कि 1000 बार श्राद्ध करने के बाद भी आखिर क्यों धुंधकारी को मुक्ति नहीं मिल पा रही है तब सूर्य देव ने बताया कि उसके पाप कर्मों का लेखा-जोखा इतना है कि श्राद्ध 1 लाख बार भी किया जाए तो भी उसे मुक्ति प्राप्त नहीं होगी।
- तब सूर्य देव ने भगवद कथा को ही धुंधकारी की मुक्ति का और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया। गोकर्ण ने भगवद कथा अपने भाई धुंधकारी प्रेत को सुनाई और उसे मुक्ति मिल गयी।
तो ये थी धुंधकारी प्रेत की कथा जिसे श्राद्ध से नहीं बल्कि भगवद कथा से मिली थी मुक्ति। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Pinterest, Shutterstock
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